गूलर का सब्जी बहुत ही लाभकारी होता है। इसे खाने से पुराना से पुराना कब्ज भी ठीक हो जाता है ,गूलर कोलेस्ट्रॉल को कम करता है ,यह हृदय के लिए बेहद फायदेमंद है। साथ ही गूलर कैंसर में लाभकारी होता है। मधुमेह को भी नियंत्रित करता है। सबसे पहले गूलर को अच्छे से साफ कर लेंगे उसको अच्छे से दो से तीन टुकड़ों में काट लेंगे।उसको 5 मिनट तक एक बर्तन में उबाल लेंगे और दूसरे बर्तन में छान कर रख लेंगे। साथ ही एक कड़ाही गर्म करने के लिए चढ़ायेंगे उसमे सरसों का तेल डालेंगे ,तेल गर्म होने के बाद उसमे एक चम्मच जीरा डालेंगे फिर उसमे दो हरी मिर्च बारीक़ कटा हुआ डालेंगे ,फिर उसमे एक प्याज और एक लहसुन ,एक टुकड़ा अदरख का पेस्ट डालेंगे और अच्छे से कम कम से 5 मिनट तक फ्राई करेंगे। फिर हल्दी धनिया लाल मिर्च का पेस्ट डाल कर उसको भी तेल छोड़ने तक फ्राई करना है थोड़ा सा गरम मसाला डालना है । फिर उसमे दो टमाटर का पेस्ट डालना है नामक डालेंगे और अच्छे से फ्राई करेंगे। उसके बाद उसमे गूलर डालेंगे और मसालों के साथ अच्छे से मिक्स करना है फिर थोड़ा पानी डालना है और ढककर 5 मिनट पकाना है।
सहजन के फूल को साफ करके उसको 4 बार पानी में उबाल लें। ताकी उसकी सारी कड़वाहट निकल जाए। फिर उसको मिक्सी में दरदरा पीस लें। कढ़ाई में तेल गरम करके उसमें लहसुन की पेस्ट डालकर पकाएं। जब लहसुन लाल हो जाए तब उसमें मसाले डालकर तुरंत टमाटर की प्यूरी डालकर पकाएं। जब टमाटर अच्छे से पक जाए तब उसमें सहजन की सब्जी डाले और मिक्स करें।10 मिनट तक उसको कम आंच पर भूनते रहे।(जरूरत हो तो पानी डाल सकते है।) जब सब्जी तेल पर आ जाए तब गैस बंद करे। तैयार है सहजन की सब्जी। इसको बाजरे की रोटी, मक्की की रोटी या तंदूरी रोटी के साथ सर्व करें। सहजन के फूल सेहत के लिए कई प्रकार से फायदेमंद माने गए हैं, इसका प्रमुख कारण है इसमें मौजूद औषधीय गुण। सहजन के फूल में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी हेलिमिंटिक (कीट नाशक), ड्यूरेटिक (मूत्र वर्धक), हेपटोप्रोटेक्टीवे (लिवर को सुरक्षित रखने वाला) और एंटीबायोटिक जैसे गुण मौजूद होते हैं। इसके अलावा, इसमें सूजन की समस्या को कम करने वाला, कोलेस्ट्रॉल कम करने वाला, यौन क्षमता को बेहतर करने वाला (Aphrodisiac), मांसपेशियों की समस्या से बचाव करने वाले गुण भी हैं।
सामग्री :- महुआ - 250 ग्राम चीनी - 1 कप दूध - 2 कप मावा - 250 ग्राम कसा हुआ काजू का पेस्ट - 3 बड़े चम्मच घी - 5 बड़े चम्मच महुआ का हलवा मुख्य रूप से झारखण्ड में बनाया जाता है। झारखंड के जंगलों में महुआ के पेड़ आसानी से मिल जाते हैं जो बहुत ही लाभकारी होते हैं महुवा स्वास्थ्य के लिए बहुत फायेदेमंद होता है और खून को तेजी से बढा़ने का काम करता है। सबसे पहले महुआ को अच्छे से धोकर साफ़ कर लेंगे ,उसके बाद उसको कुकर में 3 ग्लास पानी एड करेंगे और 3 सिटी मारने तक पकायेंगे। उसके बाद उसे एक बर्तन में निकाल लेंगे और मिक्सी में बिना पानी का इस्तेमाल किये अच्छे से पीस लेंगे। एक कड़ाही लेंगे और गर्म करेंगे गर्म होने के बाद उसमे घी डालेंगे और गर्म करेंगे फिर उसमे महुआ का पेस्ट डालकर घी सोखने तक मध्यम आंच में पकायेंगे। फिर उसमें काजू पेस्ट और मावा डालेंगे और 5 मिनट तक हलके आंच में अच्छे से पकायेंगे ,उसके बाद उसमें दूध और चीनी डालकर 5 मिनट तक पकायेंगे दूध अच्छे से सोख ले उसके लिए दो मिनट गैस में ही रखेंगे। अब हमारा महुआ का हलवा तैयार है आप इसे 15 से 20 दिनों तक फ्रिज में रख सकते हैं साथ ही ऊपर से ड्राई फ्रूट्स डालकर खा सकते हैं। आप अगर ज्यादा मीठा पसंद करते हैं तो थोड़ी चीनी डाल सकते हैं वैसे महुवा काफी मीठा होता है तो मैं उसमें चीनी नहीं डालती हूं।आपको अगर मेवे भी पसंद हैं तो आप डाल सकते हैं।
झारखंड में बनाया जाने वाला एक विशेष पकवान है बर्रा। बर्रा कोई त्योहारों या कोई फिर नास्ता के रूप में बनाया जाता है। बर्रा बनाने के लिए 250 ग्राम उड़द दाल ,रिफाइन तेल 200 ग्राम ,एक बड़े प्याज बारीक़ कटा हुआ ,1/4 चम्मच काली मिर्च पाउडर , 1/4 चम्मच लाल मिर्च पाउडर और नमक स्वादानुसार ,हरा धनिया बारीक़ कटा हुआ। उड़द दाल को रात भर भिगो के रखना है उसके बाद अच्छे से धो लेना है और मिक्सी में डाल कर पीस लेना है ,थोड़ा कड़ा पीसना है ज्यादा पानी एड नहीं करना है। इसके बाद इसमें प्याज ,मिर्च हरा धनिया ,नमक और काली मिर्च पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और नमक डाल कर अच्छे से मिलायेंगे। इसके बाद बर्रा बनाने के लिए हम अपने हाथ में थोड़ा सा पानी लेंगे और थोड़ा सा उड़द दाल का मिक्स लेंगे और ऊपर से भी हल्का पानी लेकर उसको कोड करेंगे। इसके बाद एक कड़ाही में रिफाइन तेल को अच्छे से गर्म करेंगे और एक बार में उतना ही बर्रा डालेंगे जितना कड़ाही में अच्छे से तल सके। इसके बाद बर्रे को दोनों तरफ से गोल्डन ब्रॉउन होने तक अच्छे से फ्राई कर लेंगे। इसको हम धनिया पत्ते की चटनी या टमाटर की चटनी के साथ खा सकते हैं।
झारखंड राज्य के सिमडेगा जिला से शुभम कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे सनई फूल का भुजिया खास तौर पर झारखंड में बनाया जाता है यह बरसात के दिनों में उगाया जाता है। सनई फूल हृदय रोगों और ,मधुमेह में कारगर होता है। 250 gm सनई के फूल 2 चम्मच तेल एक प्याज बारीक़ कटा हुआ एक चम्मच पीली या काली सरसों एक कली लहसुन दो हरी मिर्च धनिया पाउडर आधा चम्मच हल्दी पाउडर आधा चम्मच लाल मिर्च पाउडर एक चुटकी हींग एक छोटा चम्मच साबुत जीरा छोटा कप पानी एक टमाटर सबसे पहले सनई का फूल को अच्छे से धो लेंगे। उसको एक बर्तन में दो कप जैसा पानी डालकर 10 मिनट तक उबाल लेंगे। साथ ही दूसरी तरह एक कड़ाही लेंगे उसको गर्म होने के बाद उसमे सरसो का तेल डालेंगे तेल गर्म होने के बाद उसमे सरसो डालेंगे सरसो चटकने के बाद उसमे हींग ,लहसुन बारीक़ कटा हुआ ,अदरख बारीक़ कटा हुआ ,मिर्च ,जीरा डालेंगे और फ्राई करेंगे उसके बाद उसमे एक प्याज कटा हुआ डालेंगे। उसके बाद उसमें कटा हुआ टमाटर डालेंगे। कम से कम 5 मिनट फ्राई करने के बाद उसमें सनई का साग जो बॉईल कर के रखें हैं उसका पानी अच्छे से निचोड़ लेंगे और जहां मसालों को फ्राई किये हैं वहां डालेंगे और 5 मिनट ढक कर रखेंगे उसक बाद 10 से 15 मिनट तक अच्छे से फ्राई करेंगे। जब पूरी तरह से पानी सुख जाए चावल के साथ सर्व कर के खाएंगे।
झारखण्ड राज्य के सिमडेगा जिला से शुभम कुमार मंडल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं फुटकल साग की चटनी के रेसिपी के बारे में फुटकल साग में कैल्शियम आयरन और जिंक भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके अलावा यह फाइबर का भी अच्छा स्त्रोत है. उल्टी, दस्त या पेचिश जैसे पेट के रोगों के लिए यह बेहद कारगर घरेलू इलाज है. इसकी चटनी बनाकर खाने से लाभ मिलता है। इसको बनाने के लिए सबसे पहले हम साग को 10 मिनट तक उबाल लेंगे। उसके बाद उसे पीस लेंगे ,एक कढ़ाई लेंगे उसमे दो चम्मच के लगभग हम तेल डालेंगे।उसमे दो साबुत मिर्च और सरसों डालेंगे उसमे एक कटा हुआ प्याज डालेंगे और भूरा होने तक भूनेंगे . हम आलू को पहले फ्राई कर लेंगे आधा फ्राई होने के बाद उसमे हम पिसा हुआ साग डालेंगे और 5 मिनट तक भूनेंगे .उसके बाद अदरक धनिया पाउडर हल्दी पाउडर जीरा ,गोलकी और धनिया ,गरम मसाला का पेस्ट डालेंगे। और 5 मिनट का भूनेंगे .जब मसाला भून जाए उसमे 1 कप पानी डालकर उबालेंगे .उसमे थोड़ा धनिया का पत्ता डालकर सर्व करेंगे।
झारखण्ड राज्य के सिमडेगा जिला से शुभम कुमार मंडल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कुद्रुम माड़ साग के रेसिपी के बारे में यह झारखंड में प्रमुख रूप से खायी जाती है। यह पेट में जलन ,पेट खराब होने पर बहुत कारगर होती है। इसके फलों में धनिया का पत्ता मिलाकर चटनी भी बनाया जाता है आज हम इसके पत्तों से माड़ मिलाकर सब्जी बनाने की रेसिपी जानेंगे। इसके लिए सामग्री इस तरह के हैं ढाई सौ ग्राम कुद्रुम साग ,एक प्याज ,एक कली लहसुन ,दो साबुत मिर्च ,दो चम्मच सरसो तेल एक कटोरी चावल का माड़ , कुद्रुम साग बनाने के लिए हम कुद्रुम साग को अच्छे से धो कर काट लेंगे उसके बाद कड़ाही को गर्म करके सरसो का तेल डालेंगे ,तेल जब गर्म हो जाए उसमे मिर्च और प्याज डालेंगे ,प्याज हल्का ब्रॉउन होने तक भुंजेंगे ,उसके बाद साग डालेंगे और 5 -6 मिनट फ्राई करेंगे। उसके बाद उसमे माड़ डालेंगे ,उसमे स्वादानुसार नमक डालेंगे और 10 मिनट तक उबलने देंगे। उसके बाद हमारा कुद्रुम माड़ साग तैयार है।
झारखण्ड राज्य के सिमडेगा जिला से शुभम कुमार मंडल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं हड़िया एक प्रकार की बीयर है, जो पकाएं हुए चावल (भात) और रानू गोली से बनती है। यह बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है।इसके निर्माण में रानू गोलियों का उपयोग शामिल है, जो मूल रूप से लगभग 20-25 जड़ी-बूटियों का एक संयोजन है और एक किण्वक के रूप में कार्य करता है। यह रानू टैबलेट कई अन्य पेय पदार्थ बनाने में भी मदद करती है। हड़िया पर्व त्योहार में खास तौर पर बनाया जाता है। इसे ज्यादातर गर्मियों में पिया जाता है। हड़िया बनाने के लिए आधा केजी चावल लेंगे ,चावल के अनुसार ही पानी लेंगे ,रानू की 6 से 7 गोलिया। सबसे पहले एक बर्तन में पानी गर्म करने के लिए डालेंगे पानी उतना ही लेंगे जितना में चावल पक कर सूख जाए। पानी गर्म होने के बाद उसमें चावल डालेंगे और लगातार कुछ कुछ देर में चलाते रहेंगे ताकि चावल चिपके ना। जब चावल पक जाए। उसे ठंडा करने के लिए किसी खुली जगह में उसे फैला कर रखेंगे लगभग आधे घंटे में जब चावल ठंडा हो जाए उसमे रानू की गोलियों का मिश्रण बनाकर अच्छे से मिलाना है। फिर उसे एक बर्तन में डालेंगे और और ठक्कर रखदेंगे .3 से 4 दिनों के बाद हमारा हड़िया तैयार हो जायगा। उसके बाद हम एक छन्नी से छान लेंगे और हड़िया सर्व कर सकते हैं।
झारखंड राज्य के सिमडेगा से जिला से शुभम कुमार मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे बांस एक महत्वपूर्ण पौधा है. इसके उपले अर्थात करील का उपयोग कई प्रकार के व्यंजन बनाने में भी किया जाता है. साथ ही बांस के कई औषधीय गुण भी है. इसके सेवन से कई तरह की समस्याएं दूर होती है. खून को साफ करने, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण करने, पेट के कीड़े मारने, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, गठिया रोग, त्वचा एवं बाल तथा हड्डी के वृद्धि एवं हृदय रोगियों के लिए लाभकारी है, साथ ही शरीर की लंबाई बढ़ाने में भी करील बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसको बनाने के लिए बाँस करील ढाई सौ ग्राम ,एक टमाटर ,दो बड़ा प्याज,दो साबुत मिर्च ,एक चमच्च हल्दी ,नमक स्वादानुसार ,दो बड़े चमच्च सरसो तेल ,एक चमच्च काला सरसो, एक चमच्च काला सरसो जीरा छोटा टुकड़ा अदरक ,एक कलि लहसुन । इसको बनाने के लिए सबसे पहले बाँस करील को लंबा लंबा काट लेंगे एक कढ़ाई में सरसों का तेल गरम कर लेंगे ,जीरा और काला सरसों डालेंगे इसे थोड़ा चटकने देंगे फिर उसमे दो तीन मोटा काटा हुआ प्याज डालेंगे प्याज को ब्राउन नहीं करना है बस 1 से 2 मिनट इसे भून लेते हैं कटा हुआ बांस करील डालेंगे 5 मिनट के लिए हम कवर कर लेते हैं इसके बाद इसमें अदरक-लहसुन लाल मिर्च जीरा और काली मिर्च डालना है,स्वादानुसार नमक डालेंगे, हल्दी पाउडर भी डालना है। इसको भुनने में 40 से 50 मिनट लग जाता है आप यहां पर लाल मिर्च पाउडर का भी उपयोग कर सकते हैं इसको सुन्दर दिखने के लिए।
झारखंड राज्य के जिला सिमडेगा से शुभम कुमार , मोबाइल वाणी के माध्यम से गुलगुल्ला बनाने की रेसिपी बता रहे है। गुलगुल्ला बनाने के लिए 3 कटोरी आटा, 1 चम्मच सौंफ , 2 चम्मच नमक, 1 चम्मच मीठा सोडा , 100 ग्राम गुड़ , सरसों तेल 2 बड़ी चम्मच सभी सामग्री को किसी बर्तन में मिलाएंगे और घोल बना लेंगे न ज्यादा पतला न ज्यादा मोटा होना चाहिए , इसमें पानी मिलाएंगे फिर अच्छे से सभी को मिलाएंगे और इसके छोटे छोटे लोई बना लेंगे , उसके बाद कढ़ाई में सरसों तेल को गर्म करेंगे , फिर उसमे जो उस लोई को डाल देंगे और फ्राई करेंगे। कुछ देर फ्राई करने के बाद निकाल लेंगे और इस तरह गुलगुल्ला बनकर तैयार हो जायेगा।