सरकार हर बार लड़कियों को शिक्षा में प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं लाती है, लेकिन सच्चाई यही है कि इन योजनाओं से बड़ी संख्या में लड़कियां दूर रह जाती हैं। कई बार लड़कियाँ इस प्रोत्साहन से स्कूल की दहलीज़ तक तो पहुंच जाती है लेकिन पढ़ाई पूरी कर पाना उनके लिए किसी जंग से कम नहीं होती क्योंकि लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और पढ़ाई करने के लिए खुद अपनी ज़िम्मेदारी लेनी पड़ती है। लड़कियों के सपनों के बीच बहुत सारी मुश्किलें है जो सामाजिक- सांस्कृतिक ,आर्थिक एवं अन्य कारकों से बहुत गहरे से जुड़ा हुआ हैं . लेकिन जब हम गाँव की लड़कियों और साथ ही, जब जातिगत विश्लेषण करेंगें तो ग्रामीण क्षेत्रों की दलित-मज़दूर परिवारों से आने वाली लड़कियों की भागीदारी न के बराबर पाएंगे। तब तक आप हमें बताइए कि * -------आपके गाँव में या समाज में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति क्या है ? * -------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने की होड़ बाकी है ? * -------साथ ही लड़कियाँ को आगे पढ़ाने और उन्हें बढ़ाने को लेकर हमे किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ?

दोस्तों, सरकारी स्कूलों की बदहाली किससे छुपी है? इसी कारण देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था, प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक, पूरी तरह से बाजारवाद में जकड़ गई है। उच्च व मध्यम वर्ग के बच्चे तो प्राइवेट स्कूलों में अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। नेताओं और नौकरशाह की बात तो दूर अधिकांश विद्यालय में कार्यरत शिक्षक के बच्चे भी सुविधा संपन्न प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करते हैं भला ऐसे में सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा की चिंता किसे होगी? देश के छोटे से छोटे विकास खंड में सरकारी स्कूलों में करोड़ों खर्चे जाते हैं फिर भी उनका स्तर नहीं सुधरता। -------------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? -------------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? -------------और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।

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दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि भारत में हर साल 6.3 करोड़ लोगों को सिर्फ इसलिए गरीबी से जूझना पड़ता है क्योंकि उन्हें अपने स्वास्थ्य का खर्चा खुद उठाना पड़ता है। जिस देश में एक सांसद के स्वास्थ्य पर सरकार सालभर में 51 हजार रुपये से ज्यादा खर्च कर देती है, उसी देश के आम नागरिक के स्वास्थ्य पर सरकार 18 सौ रुपये के करीब ही खर्च कर पाती है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2021 के मुताबिक, अगर गांव में कोई व्यक्ति सरकारी अस्पताल में भर्ती होता है, तो उसका औसतन खर्च 4,290 रुपये होता है. वहीं, गांव में निजी अस्पताल में भर्ती होने पर उसे 22,992 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसी तरह शहर में सरकारी अस्पताल में भर्ती होने पर 4,837 और निजी अस्पताल में 38,822 रुपये का खर्चा आता है. तो अब आप ये सोचिए जिस देश में 70 से 80 करोड़ एक वक़्त के राशन के लिए मोहताज़ हो , वो कैसे इलाज़ करवा पाएंगे। -------तब तक आप हमें बताइए दोस्तों कि आपके क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था के क्या हालात है ? -------आपके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज़ की स्थिति क्या है ? --------इस बढ़ती महँगाई के कारण स्वास्थ्य पर होने वाला खर्चा आपका कितना बढ़ा है ? --------दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फोन से 3 नंबर का बटन दबाकर या फिर मोबाइल वाणी एप के जरिए एड का बटन दबाकर, क्योंकि याद रहे दोस्तों, बोलेंगे तो बदलेगा?

बिहार राज्य के किशनगंज जिला से सामुदायिक संवाददाता धीरज सिन्हा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि पोठिया प्रखंड कार्यालय परिसर में अब लोगों को शुद्ध एवं स्वादिष्ट खाना - नाश्ता, चाय इत्यादि का आनंद मिल पाएगा। सतत् जीविकोपार्जन योजना (एसजेवाई) की मदद से बतासी जीविका दीदी ने प्रखंड परिसर में चाय - नाश्ता, खाना के दुकान की शुरुआत की। अत्यंत गरीब परिवार से आने वाली बतासी जीविका दीदी ने स्वरोजगार की शुरुआत कर आर्थिक प्रगति की राह पर आगे कदम बढ़ाया है।

बिहार राज्य के किशनगंज जिला से सुधा आचार्या मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि गरीबी रेखा से नीचे एवं आर्थिक रूप से कमजोर गुजर-बसर करने वाली गर्भवती महिलाओं को आर्थिक लाभ के साथ-साथ मातृत्व मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना 2.0 में बदलाव के साथ अन्य सुविधा प्रदान की जा रही है। इस योजना के तहत अब चयनित महिलाओं को ग्यारह हजार रुपए की सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी।

पूर्णिया जिला के धमदाहा प्रखंड मुख्यालय एवं के नगर प्रखंड मुख्यालय क्षेत्र के बरदेला, छोटी तरौनी मुस्लिम टोला ,मीरगंज कसाई टोला एवं के नगर के सभी पंचायत में गरीब निसहाय लाचार व्यक्तियों को आजाद समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष मौलाना इस्तियाक चतुर्वेदी ने अपने निजी कोष से अपने समर्थकों के साथ हर एक पंचायत में कैम्प आयोजित कर गरीब लोगों के बीच ऊनि कम्बल एवं ऊनि स्वेटर लगभग सभी जगहों से कुल मिलाकर 500 कंबल का वितरण किया।गरीब लोगों के बीच कंबल वितरण के दौरान काफी खुशी देखने को मिला। वही आजाद समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष मौलाना इस्तियाक चतुर्वेदी ने बताया कि इस कपकपाती ठंड की बढ़ती प्रकोप को देखते हुए आज हमने अपने निजी कोष से धमदाहा प्रखंड मुख्यालय एवं कृत्यानन्द नगर प्रखंड मुख्यालय के लगभग पंचायत में एक छोटे मोटे कैम्प आयोजित कर वैसे लोगों जो गरीब निसहाय लाचार लोगो को सम्मान पूर्वक बुलाकर उन्हें कम्बल एवं ऊनि स्वेटर प्रदान किया।और आगे भी बदस्तूर जारी रहेगा।वही जिला अध्यक्ष मौलाना इस्तियाक चतुर्वेदी ने वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा जो काम सरकार को करनी चाहिए आज वो काम हमलोगों के द्वारा किया जा रहा है।इस वर्तमान सरकार में गरीब निसहाय लोगो की कोई वेल्युएशन नही है ।बहुत ऐसे परिवार है जिनके घर मे दो वक्त की रोटियां पर भी आफत है ।वही ग्रामीण मोहम्मद ग्यास ने बताया कि आजाद पार्टी के जिलाध्यक्ष मौलाना इस्तियाक चतुर्वेदी जी गरीबो की मसीहा है जिन्होंने अपने निजी कोष से सदैव गरीबों के कार्यों में लगाने से पीछे नहीं हटते।सैकड़ो की तादाद में पहुँचे लोगो ने जिलाध्यक्ष की खबू तारीफें की गरीब लोगों का कहना है कि हमलोगों के दुःख सुख में मौलाना इस्तियाक चतुर्वेदी कदम से कदम मिलाकर चलने का काम कर रहे हैं।इनके सराहनीय कार्य को मैं सलाम करता हूँ।वही इस मौके पर जिलाध्यक्ष मौलाना इस्तियाक चतुर्वेदी, जयप्रकाश उर्फ जेपी,मोहम्मद ग्यास,मुफ्तिस शम्स तबरेज,मोहम्मद सलीमुद्दीन उर्फ खलील के अलावे सैकड़ों लोग शामिल थे।

बिहार राज्य के किशनगंज जिला के दिघलबैंक प्रखंड क्षेत्र के धनतोला पंचायत भवन में मनरेगा मजदूर सतत विकास संगठन के द्वारा आठ पंचायतों में चौमुखी शिक्षा अभियान के तहत होम ट्यूशन सेंटर एवं सिलाई सेंटर का उद्घाटन किया गया।जहां समाज के गरीब असहाय बच्चों को मुफ्त में शिक्षा के अलावा सिलाई सिखाना है। स्थानीय लोगों ज्यादा से ज्यादा इसका लाभ ले‌।

दोस्तों, योजना का पूरा खर्च केन्द्र सरकार उठाती है. राज्य सरकार का काम बुजुर्गों का पंजीयन करना, उनके लिए अन्नपूर्णा योजना कार्ड बनाना और राशन देना है. ध्यान रखे दोस्तों, कि इस योजना के तहत बनने वाले कार्ड का रंग सफेद होता है और कार्ड बन जाने के बाद बुजुर्ग नजदीकी सरकारी राशन दुकान से राशन ले सकते हैं. वन नेशन वन राशन कार्ड योजना लागू होने के बाद तो यह सुविधा भी दी जा रही है, कि बुजुर्ग किसी भी राज्य में रहते हुए इस योजना के तहत राशन प्राप्त कर सकते हैं. और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

महंगाई, भ्रष्टाचार के विरुद्ध किशनगंज महागठबंधन के बैनर तले सरवर आलम जी के नेतृत्व में महागठबंधन परिवार का जिला मुख्यालय मे समाहरणालय के समक्ष प्रतिरोध मार्च ।