साल 2013-2017 के बीच विश्व में लिंग चयन के कारण 142 मिलियन लड़कियां गायब हुई जिनमें से लगभग 4.6 करोड़ लड़कियां भारत में लापता हैं। भारत में पांच साल से कम उम्र की हर नौ में से एक लड़की की मृत्यु होती है जो कि सबसे ज्यादा है। इस रिपोर्ट में एक अध्ययन को आधार बनाते हुए भारत के संदर्भ में यह जानकारी दी गई कि प्रति 1000 लड़कियों पर 13.5 प्रति लड़कियों की मौत प्रसव से पहले ही हो गई। इस रिपोर्ट में प्रकाशित किए गए सभी आंकड़े तो इस बात का प्रमाण है कि नई-नई तकनीकें, तकनीकों में उन्नति और देश की प्रति व्यक्ति आय भी सामाजिक हालातों को नहीं सुधार पा रही हैं । लड़कियों के गायब होने की संख्या, जन्म से पहले उनकी मृत्यु भी कन्या भ्रूण हत्या के साफ संकेत दे रही है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? *----- शिक्षित और विकसित होने के बाद भी भ्रूण हत्या क्यों हो रही है ? *----- और इस लोकसभा चुनाव में महिलाओ से जुड़े मुद्दे , क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ??

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

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नासिक में रहने वाली मयूरी धूमल, जो पानी, स्वच्छता और जेंडर के विषय पर काम करती हैं, कहती हैं कि नासिक के त्र्यंबकेश्वर और इगतपुरी तालुका में स्थिति सबसे खराब है। इन गांवों की महिलाओं को पानी के लिए हर साल औसतन 1800 किमी पैदल चला पड़ता है, जबकि हर साल औसतन 22 टन वज़न बोझ अपने सिर पर ढोती हैं। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" के नारे से रंगी हुई लॉरी, टेम्पो या ऑटो रिक्शा आज एक आम दृश्य है. पर नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा 2020 में 14 राज्यों में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि योजना ने अपने लक्ष्यों की "प्रभावी और समय पर" निगरानी नहीं की। साल 2017 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हरियाणा में "धन के हेराफेरी" के भी प्रमाण प्रस्तुत किए। अपनी रिपोर्ट में कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ स्लोगन छपे लैपटॉप बैग और मग खरीदे गए, जिसका प्रावधान ही नहीं था। साल 2016 की एक और रिपोर्ट में पाया गया कि केंद्रीय बजट रिलीज़ में देरी और पंजाब में धन का उपयोग, राज्य में योजना के संभावित प्रभावी कार्यान्वयन से समझौता है।

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