विश्व जल दिवस अवसर पर समुदाय और विभाग द्वारा शपथ ग्रहण प्रोग्राम का आयोजन हुआ, इस प्रोग्राम में हम सुनेंगे समयदाये के साथियो द्वारा ली हुई शपथ - मेरा नाम कृष्णा शर्मा है मैं शपथ लेती हूं कि हमें जितना पानी का जरूर होगा हम उतना ही पानी लेंगे और पानी को व्यर्थ नहीं बहाएंगे! मेरा नाम राबिया है मै विजयागार से हु और मैं शपथ लेती हूं कि मैं पानी के बचाव और पानी को सही जीने की जानकारी हर घर में हर समुदाय में दूंगी! मेरा नाम ज्ञान है और मैं लंका पुरी कच्ची बस्ती में रहती हूं मैं शपथ लेती हूं कि मैं कम पानी में भी ज्यादातर काम करूंगी और जितना भी हो सकेगा पानी बचाऊंगी और इस पानी को दूसरे काम में भी लूंगी उसी से झाड़ू पोछा बर्तन पेड़ पौधों में काम में लूंगी |.....

नमस्ते साथियो मेरा नाम पूजा है और आज हम बात करेंगे की सेनेटरी पेड का निपटान कैसे करे। अक्सर आपने देखा होगा सेनेटरी नैपकिन जैसे मेडिकल कचरे को अक्सर हम घर से निकलने वाले कचरे के साथ मिक्स करके, कचरे की गाड़ी में डाल देतें है | तोह क्या ये निपटान का तरीका सही है ? आइये जानते हैं, सेनेटरी पैड का निपटान कैसे करें? सैनिटरी पैड निपटान पर सही जानकारी होना स्वच्छता के साथ-साथ पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है | ज्यादातर घरों में सूखे और गीले कूड़े के लिए अलग-अलग कंटेनर या कचरा पात्र होते हैं। इस्तमाल किये गए सैनिटरी नैपकिन के लिए कोई भी पक्ष जिम्मेदार नहीं है। ये कचरा परियवर्ण के साथ साथ जानवरो के लिए भी हानिकारक माना जाता है। सैनिटरी पैड को सुरक्षित रूप से निपटाने में पहला कदम उनके लिए एक अलग कचरा पात्र रखना है यह न केवल बदबू, बैक्टीरिया और मक्खियों को दूर रखेगा, बल्कि उन्हें ढक कर भी रखेगा और साथ ही ये जानवरो की पहुंच से भी दूर रहेगा | सही निपटान के लिए जब आप हर तीन घंटे में नैपकिन चेंज कर रहे हैं तोह सेनेटरी पेड को सावधानी से रोल करें और इसको अख़बार में लपटे। नैपकिन के लिए अलग डस्टबिन या थैले में नैपकिन और नए पेड के कवर को डाले। यदि आप कपडे का इस्माल करते हैं और उसे दुबारा उपयोग में नहीं लेने वाले हैं तोह इसे भी इसी प्रकार कागज में लपेट के अलग डस्टबिन में डाले | हमने देखा की कुछ बस्ती जैसे गेटोर की छतरियों में किशोरिया सूती कपडे से बने पेड का इस्तमाल करती हैं, जिसे साबुन से धो कर, तेज़ धुप में सूखा कर दुबारा इस्तमाल में लिया जा सकता हैं। आप ध्यान रखे की कपडे से बने पेड या कपडे का तेज़ धुप में सुखना जरुरी है, ताकि इसका सुरक्षित रूप से दुबारा इस्तमाल किया जा सके। कई बार किशोरी और महिलाये, पेड़ को अँधेरे या रात में धो कर सुबह इस्तमाल में ले लेती है । तेज़ धुप लगने से कड़पे में छुपे बैक्टरिया मर जाते हैं तोह कृपया कपडे को तेज़ धुप में सूखा कर ही दुबारा इस्तमाल में ले । आप चाहे तो कागज के थैले या पेपर बैग में भी वेस्ट सेनेटरी पैड को इकट्ठा कर सकती हैं | यह सेनेटरी पेड वाले एकत्रित कूड़े को बाकी सूखे/गीले कूड़े के साथ मिश्रित होने से बचाएगा। याद रखे की इकट्ठा सैनिटरी नैपकिन के थैले को कचरे की गाड़ी में ही डाले | इसे टॉयलेट में फ्लश न करे क्योंकि वे सीवर और पाइपलाइन को जाम कर सकता हैं। आपने पाया होगा की अंतिम दिन में हम ये सोचते हैं की पेड साफ़ ही है और उसे बिना परवाह किये बिना कागज में लपेटे हुए सीधे डस्टबिन में डाल देते हैं लेकिन ये समझना जरुरी है की पेड का ये सही निपटान का तरीका सही नहीं है, इस लिए पेड को हमे उसी प्रकार से निपटान करना है जैसे हम माहवारी के अन्य दिनों में करते है। सुलभ शौचालिये में नैपकिन बदलते पर इसका डिस्पोसे आप इंसीनिरेटर मशीन के द्वारा भी कर सकते हैं। यहाँ आपको इसे अख़बार में लपेटने की जरूरत नहीं है। इंसीनेटर मशीन में इस्तेमाल किये गए पेड़ को रोल करके डाले इकठ्टे हुए नैपकिन दिन के अंत में एक साथ लाल बटन दबाने से मशीन में ही नष्ट हो जाते हैं । अगर आप स्कूल टीचर या विद्यार्थी हैं तोह यहाँ आप एक सेनेटरी नैपकिन गड्ढे का निर्माण कर सकते हैं जहा सामूहिक रूप से इकठ्टे हुए नैपकिन का निपटान स्कूल में सहायका के साथ मिल कर सकते हैं। जब आप घर पर होते हैं तो सैनिटरी पैड का निपटान करना आसान होता है, और आप इसे अपनी सुविधा अनुसार निपटान कर सकते हैं। साथियो…. आप जान गए हैं की नैपकिन का सही निपटान घरलू स्तर पर कैसे करना है। आप नैपकिन के निपटान के लिए कोनसा तरीका इस्तमाल करते हैं हमे जरूर बताये, हो सकता है की सेनेटरी पेड के निपटान से जुड़े और सवाल आपको परेशान कर रहे होंगे जिसे आप नंबर ३ दबा हम से साँझा कर सकते हैं| हम आपको फिर मिलेंगे और जानकारियों के साथ तब तक के लिए धन्यवाद !

स्कूल में जेंडर पर चर्चा और इस विषय में बच्चो के साथ बातचीत पर नूर ने जयपुर वाणी के माधियम से लोगो से कहा है की आशा है की शायद इस चर्चा से बच्चो के बिच बदलाव संभव है और उनमे जागरूकता भी |

विश्व शौचालय दिवस पर आप सभी के लिए स्थित सुलभ शौचालियो को लिंग समावेशी और सामान रूप से उपयोगी बनने हेतु इस पॉडकास्ट का टुकड़ा कर रही है आज सुनेगे ट्रांस समुदाय के मुद्दे |

पिछले सप्ताह में वार्ड 123 में समुदाय के साथ पानी और पानी से सम्बंधित आपदा पर चर्चा हुई, उसी विषय को देखते हुए जल विभाग ने बीसलपुर पाइपलाइन पर होने वाले काम के बारे में सन्देश साँझा किया है, इस में उन्होंने ने बीसलपुर पाइपलाइन डलने में होने वाली विलंबता के बारे में चर्च की ह। साथियो आप से निवेदन है की पानी की कमी आने से पहले ही आस पास के वाटर बॉक्स में टैंकर की सुविधा के लिए पहल करे और पानी का सदुपयोग करे।

नवम्बर में सफाई कर्मचारी साथियो के साथ सुरक्षा और गरिमा के विषय में हुई ट्रेनिंग में ये कुछ अनुभव हमारे साथियो के हैं जो उन्होंने जयपुर वाणी के लिए साँझा किये। ये अनुभव उनके रोज मर्रा के काम से है जो आप से साँझा किये जा रहे हैं, उम्मीद हैं ये कार्यक्रम आपको उनके अधिकार, सुरक्षा और उनकी गरिमा के मुद्दे पर ये जागरूक करेगा। यदि आप भी ऐसी किसी परिस्तिथि को देखते हैं तोह जयपुर वाणी पर नंबर ३ दबा के साँझा करे या नंबर २ दबा कर सीधे नगर निगम हेरिटेज से जुड़े। अगले कार्यक्रम को सुनने के लिए कृपया एक दबाये और ये कार्यक्रम दूसरे लोगो से भी साँझा करे।

नमस्ते साथियो जयपुर वाणी पर आपका स्वागत है ! मै उसना गौरी पेंटर कॉलोनी वार्ड 55 से आपके पास लेकर आयी हूँ, आस्था कार्ड योजना के बारे में जानकारी : क्या आप जानते हैं ?..... राजस्थान के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा आस्था कार्ड योजना की घोषणा साल 2004-05 में की गई थी। शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए आरम्भ की गई इस योजना के अन्तर्गत विशेष योग्यजन व्यक्तियों को आस्था कार्ड निहित सुविधाओं के साथ – साथ बी. पी. एल श्रेणी के परिवारों के समान सुविधाएं मिलती हैं। यह योजना हर साल बखूबी चलाई जा रही है। चलिए जानते हैं कि आस्था कार्ड योजना योजना क्या है एवं इसके लाभ से जुड़ी हुई सभी जानकारी।

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इस अभियान का मुख्य उदेश्य क्या है ? इस अभियान के तहत भारत के हर शहर और ग्रामीण इलाकों के घरों में शौचालय का निर्माण किया जाना है। जिन घरो में जगह की उपलब्धिता न हो वहा समुदायक शौचालिय का निर्माण होने का एक विकल्प है, ऐसे शौचालिय सबकी पहुंच में होऔर सभी के उपयोग के लिए सहज हो जैसे बुजुर्ग, विकलांग जन, गर्भवती व् धात्री महिला, ट्रांस पर्सन, समुदाय सभी के लोग आदि | शौचालय को सीवर चेंबर या सेप्टिक टैंक से जोड़ना चाहिए एवं शौचालय की लाइन को खुले नाले में न छोड़े| 3 साल की अवधि में चैम्बर खली करवाना और मलगाद प्रबंधन को बढ़ावा देना है । इस अभियान के अंदर खुले में शौच यानि खुले में मल त्याग को समाप्त करना है। उस शहर या गॉव को ODF++ (खुले में शौच मुक्त ) घोषित करना है । कचरा प्रबंधन यानि गीले सूखे कचरे को अलग करके सही निपटान करना है, और तकनीक का इस्तमाल करके अपशिष्ट को पुनः उपयोग करने को बढ़ावा देना है । हाथ से मैला ढोने को रोकना है। सफाई कर्मचारी द्वारा सीवर या सेप्टिक टैंक, सार्वजनिक सड़कों और शौचालयों से मानव मल को हाथ से हटाने पर रोक लगाना। सेफटी किट यानि सुरक्षा किट पहने को बढ़ावा देना है, और सीवर या सेप्टिक टैंक में सफाई कर्मचारी के सीधे उतरने पर रोक लगाना है। शहर और गांव की प्रत्येक सड़क गली और मोहल्ले साफ-सुथरे रखना है, लोगों की मानसिकता और व्यवहार में परिवर्तन को बढ़ावा देना है। किचन और बाथरूम में जाली का प्रयोग करना । इस्तमाल किये गए नैपकिन, शम्पू के पाउच, बाल आदि को सीवर में न जाने देना | सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तमाल नहीं करना । प्लास्टिक बैग की जगह कपडे के बैग को उपयोग में लेना ।

स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा शुरू किया हुआ एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है । ये अभियान देश के स्तर पर सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए चलाया गया है । इस से पहले अभियान को ‘निर्मल भारत अभियान के नाम से जाना जाता था जिसे 2 अक्टूबर, 2014 में बदल कर स्वच्छ भारत अभियान कर दिया गया। इस अभियान के तहत केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 -24 के लिए 7192 करोड़ का बजट रखा है | इस अभियान को "पेय जल एवं स्वच्छता मंत्रालय" द्वारा चलाया जा रहा है। इस योजना का मूल वाक्य है "एक कदम स्वच्छता की ओर" जिसको गाँधी जी के चश्मे से दर्शाया किया गया है।