मैं , कजोड मल बैरवा हैं मैं जगतपुरा कच्ची बस्ती से जयपुर वाणी पर साझा कर रही हु की मेरी 2 महीने से पेंशन नही आ रही हैं तो आप मेरी समस्या का हल करे |

नमस्ते साथियो मेरा नाम पूजा है और आज हम बात करेंगे की सेनेटरी पेड का निपटान कैसे करे। अक्सर आपने देखा होगा सेनेटरी नैपकिन जैसे मेडिकल कचरे को अक्सर हम घर से निकलने वाले कचरे के साथ मिक्स करके, कचरे की गाड़ी में डाल देतें है | तोह क्या ये निपटान का तरीका सही है ? आइये जानते हैं, सेनेटरी पैड का निपटान कैसे करें? सैनिटरी पैड निपटान पर सही जानकारी होना स्वच्छता के साथ-साथ पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है | ज्यादातर घरों में सूखे और गीले कूड़े के लिए अलग-अलग कंटेनर या कचरा पात्र होते हैं। इस्तमाल किये गए सैनिटरी नैपकिन के लिए कोई भी पक्ष जिम्मेदार नहीं है। ये कचरा परियवर्ण के साथ साथ जानवरो के लिए भी हानिकारक माना जाता है। सैनिटरी पैड को सुरक्षित रूप से निपटाने में पहला कदम उनके लिए एक अलग कचरा पात्र रखना है यह न केवल बदबू, बैक्टीरिया और मक्खियों को दूर रखेगा, बल्कि उन्हें ढक कर भी रखेगा और साथ ही ये जानवरो की पहुंच से भी दूर रहेगा | सही निपटान के लिए जब आप हर तीन घंटे में नैपकिन चेंज कर रहे हैं तोह सेनेटरी पेड को सावधानी से रोल करें और इसको अख़बार में लपटे। नैपकिन के लिए अलग डस्टबिन या थैले में नैपकिन और नए पेड के कवर को डाले। यदि आप कपडे का इस्माल करते हैं और उसे दुबारा उपयोग में नहीं लेने वाले हैं तोह इसे भी इसी प्रकार कागज में लपेट के अलग डस्टबिन में डाले | हमने देखा की कुछ बस्ती जैसे गेटोर की छतरियों में किशोरिया सूती कपडे से बने पेड का इस्तमाल करती हैं, जिसे साबुन से धो कर, तेज़ धुप में सूखा कर दुबारा इस्तमाल में लिया जा सकता हैं। आप ध्यान रखे की कपडे से बने पेड या कपडे का तेज़ धुप में सुखना जरुरी है, ताकि इसका सुरक्षित रूप से दुबारा इस्तमाल किया जा सके। कई बार किशोरी और महिलाये, पेड़ को अँधेरे या रात में धो कर सुबह इस्तमाल में ले लेती है । तेज़ धुप लगने से कड़पे में छुपे बैक्टरिया मर जाते हैं तोह कृपया कपडे को तेज़ धुप में सूखा कर ही दुबारा इस्तमाल में ले । आप चाहे तो कागज के थैले या पेपर बैग में भी वेस्ट सेनेटरी पैड को इकट्ठा कर सकती हैं | यह सेनेटरी पेड वाले एकत्रित कूड़े को बाकी सूखे/गीले कूड़े के साथ मिश्रित होने से बचाएगा। याद रखे की इकट्ठा सैनिटरी नैपकिन के थैले को कचरे की गाड़ी में ही डाले | इसे टॉयलेट में फ्लश न करे क्योंकि वे सीवर और पाइपलाइन को जाम कर सकता हैं। आपने पाया होगा की अंतिम दिन में हम ये सोचते हैं की पेड साफ़ ही है और उसे बिना परवाह किये बिना कागज में लपेटे हुए सीधे डस्टबिन में डाल देते हैं लेकिन ये समझना जरुरी है की पेड का ये सही निपटान का तरीका सही नहीं है, इस लिए पेड को हमे उसी प्रकार से निपटान करना है जैसे हम माहवारी के अन्य दिनों में करते है। सुलभ शौचालिये में नैपकिन बदलते पर इसका डिस्पोसे आप इंसीनिरेटर मशीन के द्वारा भी कर सकते हैं। यहाँ आपको इसे अख़बार में लपेटने की जरूरत नहीं है। इंसीनेटर मशीन में इस्तेमाल किये गए पेड़ को रोल करके डाले इकठ्टे हुए नैपकिन दिन के अंत में एक साथ लाल बटन दबाने से मशीन में ही नष्ट हो जाते हैं । अगर आप स्कूल टीचर या विद्यार्थी हैं तोह यहाँ आप एक सेनेटरी नैपकिन गड्ढे का निर्माण कर सकते हैं जहा सामूहिक रूप से इकठ्टे हुए नैपकिन का निपटान स्कूल में सहायका के साथ मिल कर सकते हैं। जब आप घर पर होते हैं तो सैनिटरी पैड का निपटान करना आसान होता है, और आप इसे अपनी सुविधा अनुसार निपटान कर सकते हैं। साथियो…. आप जान गए हैं की नैपकिन का सही निपटान घरलू स्तर पर कैसे करना है। आप नैपकिन के निपटान के लिए कोनसा तरीका इस्तमाल करते हैं हमे जरूर बताये, हो सकता है की सेनेटरी पेड के निपटान से जुड़े और सवाल आपको परेशान कर रहे होंगे जिसे आप नंबर ३ दबा हम से साँझा कर सकते हैं| हम आपको फिर मिलेंगे और जानकारियों के साथ तब तक के लिए धन्यवाद !

मौसम विभाग केंद्र द्वारा दिए जाने वाले कलर कोड्स के अनुसार आपदा की चेतावनी के पैमाने को समझने के लिए श्री मान राधेश्याम सर ने इन कलर कोड के मायने बताये और इसको समुदाय के साथ जयपुर वाणी से साँझा किया

इस अभियान का मुख्य उदेश्य क्या है ? इस अभियान के तहत भारत के हर शहर और ग्रामीण इलाकों के घरों में शौचालय का निर्माण किया जाना है। जिन घरो में जगह की उपलब्धिता न हो वहा समुदायक शौचालिय का निर्माण होने का एक विकल्प है, ऐसे शौचालिय सबकी पहुंच में होऔर सभी के उपयोग के लिए सहज हो जैसे बुजुर्ग, विकलांग जन, गर्भवती व् धात्री महिला, ट्रांस पर्सन, समुदाय सभी के लोग आदि | शौचालय को सीवर चेंबर या सेप्टिक टैंक से जोड़ना चाहिए एवं शौचालय की लाइन को खुले नाले में न छोड़े| 3 साल की अवधि में चैम्बर खली करवाना और मलगाद प्रबंधन को बढ़ावा देना है । इस अभियान के अंदर खुले में शौच यानि खुले में मल त्याग को समाप्त करना है। उस शहर या गॉव को ODF++ (खुले में शौच मुक्त ) घोषित करना है । कचरा प्रबंधन यानि गीले सूखे कचरे को अलग करके सही निपटान करना है, और तकनीक का इस्तमाल करके अपशिष्ट को पुनः उपयोग करने को बढ़ावा देना है । हाथ से मैला ढोने को रोकना है। सफाई कर्मचारी द्वारा सीवर या सेप्टिक टैंक, सार्वजनिक सड़कों और शौचालयों से मानव मल को हाथ से हटाने पर रोक लगाना। सेफटी किट यानि सुरक्षा किट पहने को बढ़ावा देना है, और सीवर या सेप्टिक टैंक में सफाई कर्मचारी के सीधे उतरने पर रोक लगाना है। शहर और गांव की प्रत्येक सड़क गली और मोहल्ले साफ-सुथरे रखना है, लोगों की मानसिकता और व्यवहार में परिवर्तन को बढ़ावा देना है। किचन और बाथरूम में जाली का प्रयोग करना । इस्तमाल किये गए नैपकिन, शम्पू के पाउच, बाल आदि को सीवर में न जाने देना | सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तमाल नहीं करना । प्लास्टिक बैग की जगह कपडे के बैग को उपयोग में लेना ।

स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा शुरू किया हुआ एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है । ये अभियान देश के स्तर पर सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए चलाया गया है । इस से पहले अभियान को ‘निर्मल भारत अभियान के नाम से जाना जाता था जिसे 2 अक्टूबर, 2014 में बदल कर स्वच्छ भारत अभियान कर दिया गया। इस अभियान के तहत केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 -24 के लिए 7192 करोड़ का बजट रखा है | इस अभियान को "पेय जल एवं स्वच्छता मंत्रालय" द्वारा चलाया जा रहा है। इस योजना का मूल वाक्य है "एक कदम स्वच्छता की ओर" जिसको गाँधी जी के चश्मे से दर्शाया किया गया है।

नमस्ते साथियो जयपुर वाणी पर आपका स्वागत है ! मै तमन्ना कठपुतली नगर A वार्ड न. 147 से जयपुर वाणी पर लेकर आयी हू तेयारी मै ही समझदारी से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारीयाँ | साथियों क्या आप जानते है कि जयपुर एवं आस –पास के क्षेत्रों जैसे टोंक ,बूंदी, अजमेर ,भीलवाड़ा जिलो में 17 व 18 जून को चक्रवाती तूफ़ान बिपरजाँय आ रहा है यदि आप नही जानते है तो ये जानकारीयाँ सिर्फ आपके लिए है जिसमे तेज गति की हवाए चलेंगी और जयपुर जिले में भारी बारिश होने की संभावना है | साथियों जयपुर के जिला कलेक्टर के द्वारा कुछ सावधानियाँ बताई गयी है जिससे हम अपनी और अपने परिवारों की सुरक्षा कर सकते है |

मौसम परिवर्तन के बारे में जानकारी - श्री मान राधे श्याम शर्मा ( निर्देशक - मौसम विज्ञानं विभाग ), दिनाक १७ मार्च २०२३, से आने वाले पांच दिनों तक जयपुर और राजस्थान के अन्य क्षेत्रों में बरसात और तूफान के अनुमान व मौसमी बदलाव के निरक्षण के बारे में जानकारी साँझा कर रहे हैं, कृपया सावधानी बनाये रखे और ये सुचना अन्य श्रोताओ के साथ साँझा करे।

सीमा बेनीवाल जवाहर नगर जयपुर से जयपुर वाणी पर सन्देश दे रहे है की गीला और सुखा कचरा अलग अलग करने से पर्यावरण किस तरह प्रभावित होता है |

नमस्ते साथियों जयपुर वाणी पर आप सब सुन रहे हैं घर के काम को लेकर सुधा सरिता और शांति देवी की बात | पिछले एपिसोड में आपने सुना था की कैसे शांति देवी जी और महेश सुधा की बातो का विरोध कर रहे है | आज के एपीसोड में हम देखेंगे की क्या सुधा महेश और शांति जी को समझा पाती है या नही | तो चलो चले सीधे बस्ती की ओर

नमस्ते साथियों जयपुर वाणी में आप सब सुन रहे हैं घर के काम को लेकर सुधा सरिता और शांति देवी की बात | पिछले एपिसोड में आपने सुना की सुधा सरिता कैसे घर के काम को लेकर समानता के अधिकार के बारे में चर्चा कर रहे है | आज के एपीसोड में हम देखेंगे की क्या सरिता अपने पति को लेकर मीटिंग में आती है या नही और आगे क्या चर्चाए होंगी