इस कार्यक्रम में हम जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और असमान बारिश के पैटर्न से उत्पन्न हो रहे जल संकट पर चर्चा करेंगे। "मौसम की मार, पानी की तकरार" से लेकर "धरती प्यासी, आसमान बेपरवाह" जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा। हम समझेंगे कि कैसे सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारे जल संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर क्या समाधान हो सकते हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं – आपके इलाक़े में पानी की क्या स्थिति है? क्या आपने कोई जल संरक्षण के उपाय अपनाए हैं? या आप इस दिशा में कोई क़दम उठाने की सोच रहे हैं?
साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?
झारखण्ड राज्य के रांची से जयवीर यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं की जनसँख्या बढ़ने से वाहन की संख्या बढ़ रही है जिससे प्रदुषण बढ़ रहा है अधिक जानकारी के ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें
मैक्लुस्कीगंज 3 मार्च 2024 प्रदूषण के खिलाफ एकजुट हुए ग्रामीण, चतरो स्थित बालमुकुंद स्पंज आयरन फैक्ट्री के बाहर दिया धरना, प्रबंधक के खिलाफ जमकर कर रहे हैं नारेबाजी गिरिडीह. सदर प्रखंड के चतरो में स्थित बालमुकुंद स्पंज आयरन फैक्ट्री के खिलाफ आज सैकडों की संख्या में महिला - पुरुष व बच्चे आंदोलन करते हुए फैक्ट्री गेट के बाहर धरना प्रदर्शन कर फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बालमुकुंद स्पंज आयरन फैक्ट्री से लगातार इलाके में प्रदूषण फैलाया जा रहा है, जिसके कारण चतरो, गादी श्रीरामपुर, पूर्णानगर समेत आस-पास के कई गांव के सैकडों लोगों का जीना मुहाल हो गया है. कई लोग प्रदूषण के कारण बीमारी के चपेट में आ रहे हैं, बच्चों का भविष्य अंधकार में पड़ रहा है. लेकिन कई बार आंदोलन करने के बावजूद जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. यही कारण है कि प्रदूषण की समस्या से त्रस्त होने के बाद आज पूरे गांव के ग्रामीण फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ धरना - प्रदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है की यह धरना-प्रदर्शन तब - तक जारी रहेगा जब-तक जिला प्रशासन या स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा प्रदूषण के रोकथाम को लेकर किसी तरह की कोई पहल नहीं की जाती है. ग्रामीणों का आरोप है कि जब भी वे लोग धरना-प्रदर्शन पर बैठते हैं तो फैक्ट्री के प्रबंधक के द्वारा ग्रामीणों के ऊपर ही गलत आरोप लगाकर प्राथमिकी दर्ज करा कर ग्रामीणों को परेशान करने का काम किया जाता है. इधर फैक्ट्री के बाहर सैकड़ो की संख्या में ग्रामीणों के द्वारा आंदोलन किए जाने की सूचना मिलने के बाद बीडीओ गणेश रजक, मुफस्सिल थाना प्रभारी श्याम किशोर महतो समेत भारी संख्या में पुलिस बल के जवान मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित करने में जूट हुए हैं. आंदोलन कर रहे सभी ग्रामीण अपने - अपने हाथों में तख्तियां लेकर फैक्ट्री प्रबंधक के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं.
दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।
Transcript Unavailable.
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झारखंड राज्य के रांची जिला से हमारे श्रोता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हमे कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए इसके लिए सबसे पहले पेड़ लगाने और जल संरक्षण में योगदान देने की आवश्यकता है। दूसरा कदम हमे प्लास्टिक के आवश्यक उपयोग को कम करके बिना प्लास्टिक के उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए। तीसरा कदम हमे वनपतियों की रक्षा करनी चाहिए और वनों की कटाई को रोकना चाहिए ताकि पर्यावरण शुद्ध रह सके और हमारा आने वाला पीढ़ी स्वस्थ रह सके
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डॉ तोहसेक्स जेकेk