"आप हमें बताएं कि आज के इस दिखावे और चकाचौंध से भरी दुनिया में एक इंसान कम पैसों में खुद को कैसे खुश और स्वस्थ रख सकता है ? क्या आपने ऐसा अनुभव कभी अपने जीवन में किया है कि आपके पास इतने पैसे नहीं हो जितनी की आपको जरूरत हो और फिर भी आपने चीजों को अच्छे से मैनेज किया हो अगर हाँ तो कैसे? अपना अनुभव हमारे साथ साझा करें। साथियों अकसर हमें यह सुनने को मिल जाता है कि जितना है उतना में खुश रहना सिखो लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है यार फिर यह सिर्फ एक कहावत ही बनकर रह जाता है ? आपके अनुसार किसी व्यक्ति के जीवन में पैसा होना या न होना उसके मन मस्तिष्क को किस हद तक प्रभावित कर सकता है ? आज के विषय से जुड़ा आपके मन में कोई सवाल है तो जरूर रिकॉर्ड करें। हम आपके सवालों को जवाब ढूंढ कर लाने की पूरी कोशिस करेंगे। "
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.
अब नहीं मिल रहे हैं कापसहेड़ा में करकट वाला कमरा हुआ श्रमिक परेशान
नई दिल्ली।। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वार्षिक वित्तीय खर्चों की पूर्ति के लिए, देश को कल्याण की दिशा दिखाने के लिए सरकार द्वारा जनता से किए वादों को पूरा करने के लिए मंगलवार के दिन लोकसभा में बजट 2024 पेश किया। बजट का लक्ष्य अपुष्ट था।बजट के माध्यम से गरीब, महंगाई, युवा और अन्नदाता की समस्याओं को केंद्रित कर कांग्रेस के न्याय फार्मूला को अघोषित हासिल करने की चेष्टा दिखाई दी है। जहां सदन का केंद्र बैंगनी किनारे वाली क्रीम रंग की साड़ी पहनकर सदन में पहुंचीं वित्त मंत्री सीतारमण तक सीमित था बस्ता खुलते ही बजट की प्रस्तुती पर खिसक गया।आरंभ से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पर भरोसा जताने और लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का जनादेश देने के लिए देश की जनता को धन्यवाद दिया गया। श्रीमति सीतारमण के अनुसार बजट रोजगार, कौशल, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर ध्यान केंद्रित कर तैयार किया गया है।साथ ही साफतौर पर यह भी स्पष्ट किया की जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था अब भी नीतिगत अनिश्चितता की चपेट में है… समय की धरा प्रवाह में भारत की आर्थिक वृद्धि को स्थापित किया जाना जटिल प्रक्रिया से संभव होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि देश की मुद्रास्फीति स्थिर बनी हुई है और चार प्रतिशत की ओर से बढ़ रही है। शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने बजट पेश होने से पहले कहा कि वो उम्मीद कर रही हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से कुछ राहत दिलाएंगी और सरकार प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ नहीं बल्कि ‘जन की बात’ करेगी।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
महिलाओं को अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह भेदभाव उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकता है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या और बाल विवाह जैसी हिंसा लैंगिक असमानता का एक भयानक रूप है। यह हिंसा महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाती है और उन्हें डर और असुरक्षा में जीने के लिए मजबूर करती है। लैंगिक असमानता गरीबी और असमानता को बढ़ावा देती है, क्योंकि महिलाएं अक्सर कम वेतन वाली नौकरियों में काम करती हैं और उन्हें भूमि और संपत्ति जैसे संसाधनों तक कम पहुंच होती है। दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----लैंगिक असमानता के मुख्य कारण क्या हैं? *-----आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए भविष्य में क्या-क्या तरीके अपनाएँ जा सकते हैं? *-----साथ ही, लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए हम व्यक्तिगत रूप से क्या प्रयास कर सकते हैं?
2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।
