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दिल्ली एनसीआर श्रमिक वाणी के माध्यम से रीना परवीन की बातचीत कोमल से हुई कोमल बताती हैं में खिलौना फैक्ट्री में काम करती हूं हमें 2 महीने से हमारी सैलरी नहीं मिल रहा है सैलरी नहीं मिलने की वजह से हमारे घर में बहुत दिक्कत हो रही है अब तो खर्च के भी लाले पड़ रहे हैं इस वजह से बहुत ज्यादा समस्या हो रही है जबकि हमें हर महीने सैलरी मिलती थी मगर फैक्ट्री मालिक 2 महीने से शैली नहीं दे रहे इसकी वजह से बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही है

श्रीराम कॉलोनी राजीव नगर खजोरि खास पुलिस स्टेशन के पास आई . यू . ए . ब्लॉक के गली नंबर दो से मीना माध्यम से बता रही हैं कि इनका राशन कार्ड आठ साल से नहीं बना है

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एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?