उत्तरप्रदेश राज्य के गाज़ीपुर ज़िला से रवि ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि लगभग डेढ़ महीना पहले टीका के लिए पंजीकरण करवाए थे अब जाकर 13 जुलाई का नंबर उन लोगों को मिला है

उत्तरप्रदेश राज्य के गाज़ियाबाद ज़िला से रवि ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि कम्पनियाँ लेबर चैट से बाल श्रमिकों को कम वेतन पर काम देते है। बच्चों को पीस बनाने का काम देते है जिसमे उन्हें पीस के हिसाब से पैसे नहीं देते उन्हें 5 या 6 हज़ार रूपए ही सैलरी दे देते है वहीं काम पर रखने से पहले बच्चों का आधार कार्ड भी नहीं मांगते है।

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उत्तरप्रदेश राज्य के ग़ाज़ियाबाद से रवि की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से संदीप से हुई। सदीप कहते है कि वो बिहार के पटना के निवासी है। वो कार्य पर जाने के लिए पैसो की मदद चाहते है

उत्तरप्रदेश राज्य के ग़ाज़ियाबाद ज़िला से रवि की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से सीतामढ़ी निवासी से हुई। इन्होने बताया की अगर साझा मंच से कम ब्याज़ दर से पैसों की सहायता मिलेगी तो अच्छा रहेगा

उत्तरप्रदेश राज्य के गाज़ियाबाद ज़िला से रवि की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बाल श्रमिक जीतेन्दर कुमार से हुई। जीतेन्दर कुमार कहते है कि कंपनी बंद है जिस कारण वापस शहरों के लिए आने के लिए सोचना पड़ता है। बिहार में अगर पैसे उधार लेंगे तो अधिक ब्याज पर मिलेगा ,इसलिए साझा मंच से सहायता चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के गाज़ियाबाद ज़िला से रवि की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बाल श्रमिक साहिल से हुई साहिल कहते है कि वो 13 साल के है और स्टील प्लांट में काम करते है। उन्हें मज़बूरी में काम करना पड़ रहा है। 10 घंटे की ड्यूटी में 4 हज़ार रूपए दिया जाता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के ग़ाज़ियाबाद ज़िला से रवि ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि कोरोना काल में कई काम धंधे ठप हो गए है। जिस कारण बाल मज़दूरी भी बढ़ी है। एक बाल श्रमिक रोहित की बात करते हुए इन्होने बताया कि इनके माता पिता सब्ज़ी बेचते थे ,लॉक डाउन में काम ठप हो गया। माता सदमे में दिमाग की मरीज बन गई वही पिता अपने दो बच्चों के साथ पानी पहुँचाने का काम करते है

उत्तरप्रदेश राज्य के ग़ाज़ियाबाद ज़िला से रवि ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि परिवार में मज़दूरी कर भरण पोषण किया जाता है ,अगर सही से परिवार नहीं चलता है तो यही मज़दूर परिवार अपने बच्चों को भी काम पर लगवा देते है। पीएफ,ईएसआई ,वेतन के लाभ पर बच्चे ध्यान नहीं देते इसलिए कंपनी मालिक इन्हे काम पर रखना पसंद करते है

गाज़ियाबाद से राधेश्याम साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि गाज़ियाबाद के कंपनियों में कम उम्र के छोटे-छोटे बच्चों को काम पर रखा जाता है जो कि गैर क़ानूनी है।