दिल्ली एनसीआर के फरीदाबाद से हमारे संवाददाता रफ़ी ने सांझा मंच के माध्यम से शारदा जी के साथ बातचीत की। जिसमे शारदा जी से जो बताती हैं कि वे एक एक्सपोर्ट लाइन में छः वर्षों से कार्य कर रहीं हैं। इस लाइन में पुराने मजदूरों को निकाल कर नए मजदुर को रखा जाता है और उनके साथ छेड़-छाड़ किया जाता है। मजदुर नौकरी छूटने के डर से इसकी शिकायत मालिक से नहीं करतें हैं। जीएसटी होने के करण नौकरी भी जल्दी लोगों को नहीं मिल पाती है।
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सदाम जी बताते हैं कि ये लेबर का कार्य करते हैं इनके साथ कई मजदुर कार्य करते हैं जो दूसरे ठेकेदार के अंदर में आते हैं। उन्हें दो माह का वेतन नहीं मिल रहा है।
दिल्ली एनसीआर से रवि धर्मी जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि वो एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में काम करते थे। उनका पीएफ का फॉर्म भी नहीं भरा जा रहा था। उन्होंने ने कई बार फॉर्म भरने की कोशिश भी की पर उनके साथ बतमिजी से बात की जाती थी। उन्हें कंपनी छोड़े हुए नौ माह बीत गए हैं पर उन्हें पीएफ नहीं दिया जा रहा था। बल्कि उन्हें एक साल और काम करने को बोला जा रहा था जिसके बाद उनका पीएफ फॉर्म भरा जाता। लेकिन जब उन्हें साझा मंच के बारे में जानकारी मिली तो वो इसके बारे में नन्द किशोर जी से बात किये जिसके बाद नन्द किशोर जी ने उनके हेड से बात की तो वो पीएफ का फॉर्म भरने के लिए तैयार हो गए। इसके लिये उन्होंने साझा मंच को धन्यवाद दिया।
दीवान सिंह जी जो की उतराखंड के रहने वाले है वो बताते हैं कि वो गुड़गांव हरियाणा में एक कंपनी में काम करते थे पर वो कंपनी बंद कर करके कहीं भाग गया।
दिल्ली एनसीआर के उद्योग विहार से हमारे संवाददाता रफ़ी ने सांझा मंच के माध्यम से श्री मति देवी जी के साथ बातचीत की। जिसमे श्री मति देवी जी से जो बतातीं हैं कि वे अपने परिवार के साथ ओखला कलोनी में अपना झुगी बना कर रहती हैं और कड़ी धुप में बैठ कर कतरन छटाई का कार्य करती हैं जिसमे उन्हें 200 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से मिलता है।इस कार्य में उन्हें कई सारी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। पीने के लिए पानी टैंकर से बोतल में भर कर लाती हैं और उसी पानी को पी कर काम करती हैं लेकिन काम पुरे 30 दिन का नहीं मिलता है।
सांझा मंच के माध्यम से, अख्तर जी से जब आगे पूछा गया कि वे ,अकेले रहते है या परिवार के साथ, तो वे बताते हे कि अगर हम अपने बच्चो को यहाँ रखेंगे तो गुज़ारा नई हो पायेगा ,क्यूकी कमरे का किराया 3 , 4 हजार रुपए है। और उनका तनख़्वा 10 ,12 हजार रुपए है , और बच्चो को पढ़ाना भी है। इसीलिए बच्चो को गॉव में ही रखता हू । जो 2 ,4 हजार रुपए होता है उसे घर में भेज देता हू। जिससे उनका भरण पोषण हो सके। अख्तर जी बताते हे कि 10 साल पहले दिल्ली आए थे। जो उम्मीद वे लेकर दिल्ली आए वो पूरा नहीं हो पाया। अख्तर जी बताते है कि जब वे नौकरी कर रहे थे तो उससे उनका घर चल रहा था लेकिन 3 माह से बहुत दिक्कत हो गया है। अख्तर जी बताते हे कि जी. एस. टी. और नोट बंदी से ही नौकरी में कमी आई है। वो बताते हे , की पिछले 10 वर्षो में सबसे ज़्यादा दिकक्त अभी के वक़्त में हो रहा है।अख्तर जी बताते है सरकार ने कुछ अच्छा काम किया है। जैसे उनका खाता बैंक में खोल कर तनख्वा सीधा उसी में भेजना, जिससे तनख्वा कम दे कर और ज़्यादा दिखाया जाता था वो बंद हो गया है।
सांझा मंच के माध्यम से रफ़ी जी ने ,अख्तर जी का साक्षात्कार लिया। जिसमे अख्तर जी ने बताया की वे जिस कम्पनी में काम करते थे जी. एस. टी. के कारण उन्हें वहाँ से हटा दिया गया। जहाँ पर अख्तर जी काम करते थे वहाँ वे बिजली चेक करते एवं रिपोर्ट बनाते थे। वहाँ वे बताते हे की उन्हें 11 महीना ही काम दिया जाता था। फिर नये सिरे से नियुक्त कर लिया जाता था। लगभग 10,12 साल से ऐसा ही होता आ रहा है। इसका कारण वे बताते हे कि कंपनी बोनस के समय आधा से ज़्यादा कर्मचारी को निकाल देती है । और फिर नई सिरे से नियुक्ति किया जाता है ताकि उन्हें बोनस देना ना पड़े। साथ ही वे बताते है कि ऐसा काम बहुत सी कंपनी द्वारा किया जाता है।अख्तर जी बताते है की वे इस कंपनी में पिछले 6 वर्षो से काम कर रहे है और उनके साथ हर बार ऐसा ही किया जा रहा है।
एक मजदुर भाई अपने समस्या के बारे में बताते हैं कि सरकार की ओर से हर चीज का दाम बढ़ाया गया तो मजदूरों का वेतन 250 रूपए ही क्यों है। इसमें कोई इजाफा क्यों नहीं किया गया है
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से रंजीत कुमार बताते हैं कि ये उधोग बिहार में चिंटू फेशन कंपनी में काम करते हैं लेकिन समय पर पैसा नहीं मिलता है सुबह 9 बजे से काम पर बुलाया जाता है। और 5 मिंट लेट होने गाली दिया जाता है साथ ही ओवर टाइम का भी पैसा नहीं मिलता है
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दीपक कुमार जी उत्तर प्रदेश से बताते हैं कि वो एक पेन की कंपनी में काम करते थे,उन्होंने उस कंपनी में इस्तीफा दे दिया है पर कंपनी अभी तक पैसा नहीं दी और बार बार तारीख दे रही है।
Sept. 15, 2017, 11:42 a.m. | Location: 1129: UP | Tags: UGC grievance wages Identity proof workplace entitlements