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जिला बोकारो प्रखंड नावाडीह से महावीर प्रसाद महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि नावाडीह के गरीब व मेहनतकश किसानों की मांग है कि उनका कृषि लोन माफ़ कर दिया जाए। किसान ऊची कीमतों पर बीज व खाद खरीद कर लगाते है,और जब उपज होती है तो उपज की बिक्री काफी कम कीमतों पर होती है। जिससे उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।ऐसे में किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ती है।किसान की कर्ज माफ़ी से बैंको का अनुशासन बिगड़ता ही है।वे कहते हैं कि मेहनती किसान कभी भी कर्ज माफ़ की आशा में नहीं रहता है,परन्तु कर्ज लेने की विवशता और कर्ज माफ़ी की आशा लगाए रहना उनके लिए बाध्यकारी हो गया है। किसानों को फसलो का उचित मूल्य नहीं मिलता इसके पीछे एक कारण हो सकता है कि कृषि उत्पादों को सस्ते दामो पर देश के अन्य शहरो में पहुचाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता होती है। साथ ही उनकी मज़बूरी भी है क्योंकि उन्हें विदेशो से कृषि की कुछ चीजो का आयात करना पड़ता है। ऐसे स्थिति में भी सरकार का ध्यान किसानों पर नहीं जाता है।जब फसलो के दाम नहीं बढ़ेंगे तो खेती के लिए किसान उपयोगी डीजल ,खाद ,कीटनाशक दवाइयों का अन्धाधुन्ध बढ़ती कीमतों का सामना कैसे करेंगे।

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मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिसूचना के मुताबिक सरकारी बच्चो को मिड डे मिल सुविधा आधार कार्ड के बिनाह पर ही प्राप्त होगी... जिन बच्चो के पास आधार कार्ड नहीं है उन बच्चो के अभिभावकों को 30 जून तक का समय दिया गया है अपने बच्चो के आधार कार्ड बनाने के लिए....देखा जाए तो केंद्र सरकार धीरे-धीरे सभी कल्याणकारी योजनाओ को आधार कार्ड से जोड़ रही है....जिसके पीछे कारण फर्ज़ीवाड़े को रोकना बताया जा रहा है... परन्तु क्या कल्याणकारी योजनाओ को आधार कार्ड से जोड़ना सही है...? और अभी तक जितने भी योजनाओ को आधार कार्ड से जोड़ा गया है ... क्या उन सब में फर्ज़ीवाड़े कम हुए है....? सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है तो क्या कल्याणकारी योजना को आधार कार्ड से जोड़ना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खिलाफत नहीं है ....?

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