जिला गोड्डा,से निरंजन सिंह जी झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है, कि जब से कृषि मंत्री रणधीर सिंह जी बने है। तब से झारखंड दुग्ध उत्पादन में काफी हद तक आत्मनिर्भर बना है। उन्होंने एक योजना चलाई जिसमें लोगों को ऋण दिया जाता है और उस ऋण में 90 प्रतिशत छूट सरकार देती है और बाकि के 10 प्रतिशत राशि ही वापस लेती है।लोग यहां पर ऋण लेकर गाय पालन करते हैं और इसके लिए दुग्ध विक्रय केंद्र भी खोला गया है। उक्त दुग्ध विक्रय केंद्र में दुग्ध बेचने वाले किसानो को सही रेट दिया जाता है।जिससे लोगों के बीच खुशियाँ आई है । साथ ही इससे गरीबो को रोजगार भी मिल रहा है। लोग दूध बेचकर अपने परिवारों का भरण-पोषण कर रहे है। इससे झारखंड राज्य में खुशहाली छायी है

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झारखंड राज्य के गोड्डा जिला से निरंजन सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में तब ही सुधार आ सकेगा जब सरकार और जनता दोनों ही मिल कर प्रयास करेगी।लेकिन आज तक सरकार का ध्यान इस तरफ गया ही नहीं है।सरकार सिर्फ कागजी खाना-पूर्ति में ही व्यस्त रह जाती है।सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए ज्यादातर पारा शिक्षक होते हैं और स्कूलों में सरकारी शिक्षक मौजूद नहीं होते हैं।पारा शिक्षकों द्वारा बच्चों की पढ़ाई सही ढंग से नहीं हो पाती है।अभिभावकों को भी जागरूक होने की जरुरत है।आज के समय पर अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में ही पढ़ाते हैं।सरकारी स्कूलों में वही बच्चे पढ़ते हैं,जो बहुत ही गरीब परिवार से होते हैं।उन्होंने यह भी बताया कि स्कूलों में मिलने वाला मध्यान भोजन की ओर बच्चों का ध्यान रहता है और बच्चे पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते हैं।ऐसे में मध्यान भोजन से स्कूलों में बच्चों की उपस्थित तो बढ़ी है लेकिन गुणवत्तपूर्ण शिक्षा में बढ़ोतरी नहीं हुई है।चूँकि बच्चे स्कूल तो आते हैं लेकिन सिर्फ मध्यान भोजन खाकर वो घर जाने की तैयारी में लगे रहते हैं।अत: वे कहते हैं कि मध्याहन भोजन की राशि सीधे बच्चों के खाते में देने की व्यवस्था होनी चाहिए तभी शिक्षा की स्थिति में सुधार होगा। साथ ही इसके लिए अभिभावकों को भी जागरूक होना होगा।

झारखण्ड राज्य के गोड्डा जिले से अनुजा दुबे मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि इनके क्षेत्र में दो सरकारी स्कूल है जिसमे आठवीं,नौवीं एवं दशवीं कक्षा चलती है लेकिन इन स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है और आठवीं,नौवीं एवं दशवीं कक्षा के बच्चों को एक ही शिक्षक पढ़ाते हैं। यही वजह है कि गांव के सरकारी स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं दी जाती है। जिससे अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन निजी स्कूल में करातें हैं। ताकि उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। सरकार से यह कहना चाहती हैं कि सरकारी एवं निजी स्कूलों में जो भेदभाव की जा रही है, उसे दूर करने की जरुरत है।यदि सभी स्कूलों में बच्चों को एक समान शिक्षा दिया जाए, तो शिक्षा के स्तर में सुधार हो पाएगी। अतः सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे इस भेद भाव को ख़त्म करने के लिए कोई कठोर कदम उठाया जाए।

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