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प्रखंड बाघमारा, जिला धनबाद से बीरबल महतो जी ने मोबाइल वाणी पर अपनी आवाज में एक बहुत ही खुबशुरत सी कविता प्रस्तुत किया है जो आधारित है रंगों का पर्व होली पर। इस कविता के माध्यम से उन्होंने लोगों को एक साथ मिलजुलकर और अच्छे से होली पर्व मनाने का सन्देश दिया है।

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March 13, 2017, 7:37 a.m. | Location: 10: JH, Hazaribagh, Ichak | Tags: festival   culture   event   personal expressions   | Category: Culture

जिला धनबाद बाघमारा से गंगाधर महतो मोबाइल वनै के माध्यम से बताते है कि मलेरिया मादा एनेफिलीज मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर गड्ढो में जमे पानी,नालियों में जमे गंदगी,घर के आस-पास कूड़ा-कचड़ा के जमाव में पनपता है।इससे बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए,साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए,मच्छर मारने का दवा का इस्तेमाल करना चाहिए

महुदा धनबाद से बीरबल महतो ने मोबाइल के माध्यम से नारी शक्ति पर एक कविता प्रस्तुत किया है।

ग्राम महुदा,जिला धनबाद,झारखण्ड से बीरबल महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि झारखण्ड का अर्थ होता है झाड़ एवं जंगल लेकिन आज के इस युग में वनों की संख्या घटते जा रही है, जिससे झारखण्ड अर्थ अलग होता दिख रहा है, इसका मुख्य कारण है कि लोग अपने कामो के लिए पेड़-पौधों को दिन-प्रतिदिन काटते जा रहे है इसके फलस्वरूप लोग इतने स्वार्थी हो गए है कि एक नए पौधे नही लगा पा रहे है। कुछ बिचौली सरकारी कर्मचारी से मिलकर भी पेड़-पौधों को काटकर बेचना एक व्यवसाय का नाम दे दिया गया है, इस कारण से हमारा पर्यावरण का संतुलन बिगड़ते जा रहा है,क्योंकि पेड़-पौधे ही हमारे पर्यावरण को संतुलित बनाये रखती है। पेड़-पौधे को काटना एवं पहाड़ो का खनन किया जा रहा है जिसके कारण पर्यावरण असुंतलन होते जा रहा है जिसका कारण समय पर वर्षा ना होना तथा विभिन्न प्रकार के बिमारियों का जन्म लेना, तथा कागजी रूप में पेड़ लगाने के क्रम को दर्शाना। आज अगर कागजी रूप में पेड़-पौधे लगाए होते तो हमारा झारखण्ड पेड़-पौधों एवं जंगलो की कमी नही होता।

जिला धनबाद ,प्रखंड बाघमारा से बीरबल महतो जी ने मोबाइल वाणी पर जंगलों की महत्व पर एक कविता प्रस्तुत किया है जिसका शीर्षक है "जंगल के बिना मंगल नहीं " .

जिला धनबाद,प्रखंड बाघमारा से बीरबल महतो जी झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से मलेरिया पर आधारित एक कविता प्रस्तुत कर रहे है

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