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जिला धनबाद के बाघमारा प्रखंड से मदन लाल चौहान जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि 2013 को हमारे देश में खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू किया गया है। जिससे देश की दो तिहाई आबादी एवं 75 फीसदी ग्रामीण एवं पचास फीसदी शहरी आबादी को फायदा मिलेगा। सरकार की यह सराहनीय कदम है। किन्तु जन वितरण प्रणाली के दुकानदार नियमो को अनदेखी कर मनमानी तरीके से एक से तीन किलो तक अनाज की कटौती करते हैं। और कभी कभी दो माह के जगह एक ही माह का खाद्यान देकर दो महीने का चढ़ा देते हैं।पिछले दिनों मुराईडीह जन वितरण प्रणाली में दुकानदार के खिलाफ सभी कार्डधारियों ने प्रखंड मुख्यालय बाघमारा में धरना प्रदर्शन किया। जिसकी अध्यक्षता महिला मुखिया कर रही थीं। आंदोलन के बाद भी नतीजा जस का तस बना रहा। ऐसे में यह सरकारी व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करते हैं। ऐसी घटना की जानकारी ऊपरी स्तर के पदाधिकारियों को होने के बाद भी वे चुप्पी साधे रहते हैं। इससे यह साफ जाहिर होता है कि कहीं न कहीं पदाधिकारी भी जन वितरण प्रणाली दूकान के काली कमाई का हिस्सेदार होते हैं। ऐसे में गरीबों की स्थिति में कोई सुधार नहीं होगी । गरीब और गरीब होते जायेंगे और आमिर और आमिर होते जायेंगे।

झारखंड के धनबाद से बीरबल महतो जी झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से कह रहे है कि बाल विवाह समाज के लिए एक कलंक है इसलिए बाल विवाह नहीं करना चाहिए।बाल विवाह करने से बच्चियाँ कमजोर हो जाती है, जिसके कारण उन्हें कई सारी बीमारियां भी हो जाती है।कच्ची उम्र में गर्भवती होने पर बच्चा दुर्बल पैदा होता है और माँ के मर जाने की संभावना बढ़ जाती है।माँ और बच्चा दोनों को खतरा होता है इसलिए कच्ची उम्र में विवाह नहीं करना चाहिए।हर माता-पिता को ये सोचना चाहिए की लड़की की उम्र 18 और लड़के की उम्र 21 वर्ष होने के बाद ही उनकी शादी करें।बच्चों को खेलने और पढ़ाई करने देनी चाहिए।जबतक उनकी उम्र शादी के लायक ना हो जाये तबतक उनकी शादी नहीं करनी चाहिए।

जिला धनबाद बाघमारा से मदन लाल चौहान जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि बाल विवाह एक सामाजिक कुढ़ की तरह है। आज भी कई गांव में जहां शिक्षा का प्रकाश नहीं पहुंच पाया वहां बाल विवाह की प्रथा चल रही है। जैसे-जैसे शिक्षा का प्रचार हुवा वैसे-वैसे अशिक्षा भी अंधकार मुक्त होती चली गई और बाल विवाह पर रोक लगी। बाल विवाह को रोकने में टीवी एक सशक्त माध्यम बना और बाल विवाह को रोकने वाले शिक्षा का जोत जगाने वाले साक्षरता प्रेरक एवं स्वयं सेवकों की भी सराहनीये योगदान रहा। सर्व प्रथम निरक्षरों को साक्षर बनाया गया और बाल विवाह से होने वाली सजा एवं नुकसान के बारे में बताया गया। अब सरकार ngo के माध्यम से जागरूकता अभियान चला कर बाल विवाह पर रोक लगाए।

जिला धनबाद से राधू राय जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि देश में बाल विवाह की प्रथा वर्षों से चली आ रही है। बाल विवाह निषेद कानून के वावजूद गांव वालों को बाल विवाह भा रही है। शिक्षित समाज में अशिक्षित लोग कुप्रथा को ढो रहे हैंकंधो के सहारे। बाल विवाह जैसे कानून के वावजूद बाल विवाह की जड़ अभी भी गहरी है।

जिला धनबाद से बीरबल महतो जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि बाल विवाह एक सामाजिक कोढ़ है। बाल विवाह होने का मुख्य कारन है अशिक्षा और सामजिक कुप्रथा,दहेज़ प्रथा,आदमी अज्ञानता के कारण बच्चो को कम उम्र में शादी कर देते हैं। जिसके कारण बच्ची का जीवन खतरा में पड़ जाता है। उनका शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण होता है। लड़की के बड़ी होने पर ज्यादा दहेज़ माँगा जाता है। इसलिए कम उम्र में शादी किया जाता है। हम सभी को चाहिए की लड़की की 18 साल और लड़के की 21 साल के बाद ही शादी करनी चाहिए। इससे बचाओ के लिए समाज को जागरूक करना चाहिए।

जिला धनबाद के बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बाल विवाह पर आधारित एक कविता प्रस्तुत कर रहें हैं।

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जिला धनबाद के बाघमारा प्रखंड से मदन लाल चौहान जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि बाघमारा प्रखंड अंतर्गत मांदरा पंचायत में जल सहियाओं का चयन किया गया था।जिसमे जल सहिया के द्वारा किये गए कार्यों में काफी गड़बड़ियां पाई गई।जल सहिया के रूप में ऐसी महिलाओं का चयन किया गया,जो घर से कभी बाहर नहीं निकली हैं, और इनके जगह इनके घर के पति या भेसुर कार्य करते हैं।स्थिति यह बन गई कि जल सहिया के चयन से पंचायत में विकास तो नहीं बल्कि विनाश के कागार में आ गया है।भारत सरकार के द्वारा स्वच्छ भारत की घोषणा आज विफल होते नजर आ रहा है।हर पंचायत में जल सहिया केवल कागजी खानापूर्ति करते नजर आतीं हैं।आज जल सहियाओं के द्वारा जल उपलब्ध कराना तो दूर की बात पर शौचालय निर्माण कराया जा रहा है। लेकिन कई शौचालय निर्माण के बाद ही गिर गया, जो आज एक जाँच का विषय बन गया है। सरकार द्वारा प्रत्येक शौचालय निर्माण के लिए बारह हजार रुपया दिया गया है, परन्तु केवल छः हजार से सात हजार रूपए में ही शौचालय तैयार कर दिया जा रहा है।जल सहिया का चयन गलत तरीके से किया गया। सबक के रूप में मांदरा पंचायत में जाँच करा कर देखा जा सकता है और पुरे झारखण्ड की जल सहिया के कार्यों का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। तभी अधिकार और दूरव्यवहार पर सवाल कर सकते हैं।

जिला धनबाद बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है ,यहाँ के 70 % लोग कृषि पर निर्भर करते हैं। अक्टूबर ,नवम्बर में रबी फसल किया जाता है। जिसमे जौ,गेहूं,चना,सरसो आदि उगाये जाते हैं। परन्तु खेती कृषकों के लिए एक जुआ है क्योकि अगर फसल नहीं ऊगा तो उनके जो मूलधन हैं वो खो जाता है। किसानो को इससे बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है। अतः झारखण्ड सरकार को किसानो का मदद करना चाहिए और पंचायत स्तर पर उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध करवाना चाहिए।हालांकि सरकार द्वारा किसानों के लिए बीज मुहैया कराइ जाती है लेकिन वह उन्नत किस्म का नहीं होता है और जो बीज मुहैया कराइ जाती है वह किसानों के लिए पर्याप्त भी नहीं हो पाता है।