हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड से राजेश्वर महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि समर्थन मूल्य ना मिलने के कारण राज्य के किसान कर्ज में डूब गए हैं, और यहां के किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं।झारखण्ड सरकार किसानों के लिए कई लाभप्रद एवं सशक्त योजनाएं चल रही है, जिससे किसान लाभावांवित भी हो रहे है।उन्होंने बताया कि किसान खेती करने के लिए बैंक से के.सी.सी एवं एफ़.सी.सी सस्ते ब्याज पर कर्ज लेते है, लेकिन गौर करने वाली बात हैं कि कई किसान जो ऋण कृषि कार्य के लिए लेते हैं, उसे खेती कार्य में न लगाकर घर बनाने, गाड़ी-मोटर खरीदने एवं अन्य वस्तुएं खरीदने में उपयोग करते हैं।और बिडंबना यह है कि बाद में वही किसान ,सरकार से कर्ज माफ़ करने के लिए गुहार लगाते हैं । वे कहते हैं कि कुछ किसान ऐसे भी हैं, जो ऋण लेकर खेती करते हैं, लेकिन बाढ़,सूखा या किसी कारणवश उनका फसल नष्ट हो जाता है। किसानो को खाद्य, बीज, डीजल, कृषि यन्त्र आदि में सब्सिडी तो मिलता है लेकिन वो भी नाम मात्र का । अत: उनका कहना है कि इसके लिए सरकार को समर्थन मूल्य निर्धारित करना चाहिए। साथ ही सरकार को इस बात का उच्च स्तरीय जाँच करने की जरुरत है कि कर्ज लेने वाला किसान वास्तव में ऋण के पैसे से फसल लगा रहा है या नहीं। और फिर सरकार को उन्हीं किसानों का ऋण माफ़ करना चाहिए ,जो ऋण लेकर फसल लगाते है
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हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड से राजेश्वर महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि लोगों की मानसिकता बन गया है भ्रष्टाचार। आम आदमी प्रशासनिक दाव-पेच में नहीं पड़ना चाहते है। झारखण्ड में इन दिनों प्रत्येक विभागों में भ्रष्टाचार का नजारा दिखता है। किसी भी सरकारी दफ्तर में बिना रिश्वत लिए कार्य नहीं होता है। अशिक्षा एवं कुछ पढ़े-लिखे वर्ग समय बचाने के चक्कर में अफसरों को पैसा देते है ताकि जल्दी से जल्दी काम निपट जाये। खुलेआम रिश्वतखोरी का धंधा कार्यलयो में चल रही है। रिश्वत लेने व देने की खबर किसी को भी प्राप्त नहीं हो पाती है। सरकार जब से बनी है तब से सिर्फ मुख्य बात भ्रष्टाचार मिटाने की है लेकिन परिणाम कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है। दिन-प्रतिदिन भ्रष्टाचार की सीढ़िया ऊपर चढ़ती नजर आ रही है।
हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड से राजेश्वर महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि किसान हमारे अन्नदाता है। झारखण्ड के 70 प्रतिशत किसान मानसून पर निर्भर रहते है।तथा किसान मानसून के साथ जुआ खेलते हैं । आजीविका के लिए खेती पर निर्भर इन किसानों की स्थिति आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया वाली है हो गई है ,जिससे किसानों की हालात चिंताजनक बनी हुई है।सरकार किसानो के लिए विभिन्न तरह की योजनाएं चला रही है लेकिन ये योजनाएँ हाथी के दो दांत वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। वर्तमान स्थिति यह है कि अधिकांश किसानों की मानसिकता में परिवर्तन हो रही है चूँकि किसानों को खेती में बेरोजगारी दिखाई दे रही है।किसान मानसून के समय खेतो में काम करते है तथा बाकि दिनों में पलायन कर जाते है। वे कहते हैं कि सरकार किसानों के लिए रियायती दरों में खाद ,बीज एवं कृषि यंत्र मुहैया कराये।सिचाई एवं खेत जुताई के लिए ट्रैक्टर एवं बिजली या डीजल मुहैया करानी चाहिए।साथ ही उत्पादित फसल को सुरक्षित रखने हेतु कोल्ड स्टोर की व्यवस्था कराने की जरुरत है
हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड से प्रताप महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि जन वितरण प्रणाली के अंतर्गत उचित चावल एवं केरोसिन तेल नहीं मिलती है। जन वितरण प्रणाली के अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति को 35 किलो चावल मिलना है लेकिन सिर्फ 30 किलो चावल ही मिल पा रहा है। इसके साथ हर माह केरोसिन तेल भी नहीं दिया जाता है। आखिर इसका उपाय क्या है? सभी प्रयास कर रहे है कि सही तरीके से वितरण किया जाये लेकिन फिर भी सही वितरण नहीं हो रहा है।
हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड से राधे-श्याम महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि झारखण्ड सरकार ने पंचायतों का सुदृढ़ विकास के लिए पंचायत स्वंय सेवको की बहाली की है, लेकिन ये सिर्फ केवल कागजों एवं अख़बार तक ही सीमित है। पंचायत सेवको की बातें अधिकारी नहीं सुनते है, अधिकारी सिर्फ चुप्पी साधे रहती है।सरकार ने सिर्फ अपनी सुविधा के लिए पंचायत स्वंय सेवको का चयन किया है। इन्होने कुछ पंचायतो के स्वंय सेवकों से कार्य विषय के बारे जानकारी ली तो पता चला कि पंचायत सेवकों को अपने कार्य एवं जिम्मेवारी के बारे में पता नहीं है। पंचायत सेवको को अपने अधिकारों और ग्राम पंचायत के नियमों के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं है। ऐसे में गाँवो का विकास कैसे संभव है? पंचायत स्वंय सेवक अपने विकास की चर्चाये कैसे कर सकते है? इसके लिए पंचायत स्वंय सेवकों को पंचायत मुख्यालय में बैंठना चाहिए अधिकारियों की कमी से सप्ताह में दो या तीन दिन पंचायत भवन में रहना चाहिए, साथ ही जन कल्याण योजनाओ के सेवाओं से वंचित व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने का कार्य करना चाहिए। स्वंय सेवक, मुखिया, पंचायत सचिव एवं कर्मचारी को आपस में मिलकर कार्यो का निष्पादन करना चाहिए।
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जिला हज़ारीबाग़ बिष्णुगढ से राजेश्वर महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि अब यातायात नियमो का उलंघन करने वालो पर दो हजार रूपए का चलान काटा जा रहा है।बिना ड्राइविंग लाइसेंस,हेलमेट,इन्सोरेंश पेपर,ट्रिपल लोडिंग बाइक चलाने वालो के लिए यह नियम महत्वपूर्ण हो गई है। इस तरह राजस्व में वृद्धि हो रही है।वहीं दूसरी ओर दो पहिया वाहन जिनका जप्त कर लिया जाता है उन लोगो से मोटी रकम की मांग की जाती है जिससे गरीबो को काफी परेशानियां उठानी पड़ती है।लेकिन यदि किसी दबंगो का वाहन जप्त होता है तो वे किसी बड़े अधिकारी के पेरवी से कम शुल्क में छूट जाते है।यह बात सच है कि प्रशासन जनता के भलाई की बात सोचती है लेकिन इस तरह दो तरफ़ा भेदभाव क्यों किया जा रहा है।अत:सरकार को प्रत्येक दो पहिया शोरूम में परिवहन विभाग से आदेश लेकर शोरूम में ही कैम्प की व्यवस्था कर सभी जरुरी कार्य का निष्पादन करना चाहिए।
जिला हज़ारीबाग़ बिष्णुगढ से राजेश्वर महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से मोबाइल वाणी पर चल रहे विषय- "सहियाओं की मांग" पर अपनी राय देते हुए कहते है कि सहिया साथी जो भी बनती हैं वे अपने कार्यो को सुचारु रूप से और लगन के साथ करते नजर आती हैं।गर्भवती महिलाओं को चिकित्सालय में पंहुचा कर संस्थागत प्रसव करवाती हैं साथ ही शिशु जन्म प्रमाण पत्र बनवाकर लाभुक तक पहुंचाती हैं।इनकी सेवा बहुत ही सराहनीय है। सहिया के कार्य से ही ममता वाहन सुदूर इलाके तक पहुंचती है।यदि प्रधान मंत्री कौशल विकास के तहत इन्हे नर्स जैसे प्राक्षिण दी जाए तो ये अच्छे मानदेय में कार्य कर सकती हैं।सहिया क्रियाशील हो तथा आवश्यकता अनुसार प्रशिक्षण लेकर ग्रामीण क्षेत्र में कार्य कर सकती हैं। उन्हें निचले स्तर के स्वास्थ विभाग के कर्मचारी का दर्जा दिया जाना चाहिए । सहियाओं को स्वास्थ्य केन्द्रो तक आने-जाने का भत्ता अवश्य देना चाहिए। रात में स्वास्थ्य केंद्र में भोजन एवं ठहरने की भी सुविधा मुहैया कराई जानी चाहिए।क्योकि समाज की सेवा में सहियाओं का भी सहयोग रहता है।