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जिला दुमका से महेंद्र कुमार शाह ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से एक गीत प्रस्तुत किये।
दुमका से शैलेन्द्र सिन्हा साथ में बरहेट निवासी हीरालाल मरांडी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बच्चो कि स्वास्थ समस्या के बारे में जिक्र कर रहे है जो कि एक बीमारी से पीड़ित है और गरीबी के कारण इलाज नहीं करा पा रहे है सरकार से अनुरोध करते है कि अगर कुछ मदद हो जाती तो वे इलाज के लिए बच्चो को दिल्ली ले जाते जिससे उनका इलाज सम्भव हो पाता,क्योँकि इस बीमारी का झारखण्ड में इलाज नहीं है.
दुमका से शैलेन्द्र सिन्हा साथ में सामाजिक कार्यकर्त्ता सरला कर्ण झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि आदिवासी समाज में खास कर संथाल परगना में महलाएं डायन के नाम पर प्रताड़ित हो रही है इसका मुख्य कारण कि उन्हें जमीन का अधिकार नहीं मिलता उनके जमीन को हड़पने के लिए गावं और समाज के लोग उन्हें डायन के नाम पर प्रताड़ित करते है महिलाओ के लिए अधिकार तो बने कानून बने पर महिलाए में जागरूकता कि कमी है और इस वजह से डायन के नाम पर वे प्रताड़ित होती आ रही है.
दुमका से शैलेन्द्र साथ में महिला मुखिया वासिन टुडू झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि संसय तो अनेको है जहा तक विकास कि बात करे तो पंचायती राज तो आया है पर नाम मात्र का लोगो को जागरूक होने कि जरुरत है जब तक लोग जागरूक नहीं विकास नहीं हो सकता है हाई स्कुलो में शिक्षको कि काफी कम संख्या है जिससे बच्चो का पढाई काफी ख़राब है और रिजल्ट भी ख़राब होता जा रहा है सरकार स्कुलो में सारी सुविधाये तो दे रही है यह नहीं सोचती कि बच्चो कि पढाई किस तरह हो रही है इसपर ध्यान केंद्रित करने कि जरुरत है.
दुमका से शैलेन्द्र सिन्हा साथ में ग्राम प्रधान नवल हांसदा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि सरकार 1932 के खतियान के रैयीतो को अधिकार/हक़ मिले पर 13 वर्षो में कितनी ही सरकार आयी और गयी पर इसका समाधान नहीं हो सका साथ में यह भी कहते है कि इन्हे भी परा शिक्षको कि जितना मानदेय मिलना चाहिए अभी इनको मात्र 1000 मानदेय मिलता है
