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जिला दुमका,प्रखंड गोपीकांदर से शंकर राय जी जो की घटवाल घटवार शिक्षित शंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष है ये मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है की इनके यहाँ पंचायत स्वयं सेवक द्वारा सर्वेक्षण कार्य किया जा रहा था ।सर्वे करने के दौरान जहाँ पर मासिक आय का कॉलम है उस कॉलम में मासिक आय 60 से लेकर 75 हजार रुपये लिखा जा रहा है।जबकि सिंधकड़िया गांव जो की मूसा पंचायत के अंतर्गत आता है।ये एक पहाड़ी गांव है जहाँ पर अनाज,कृषि उत्पादन करने का कोई सुविधा नहीं है।उन लोगो की वार्षिक आय 30-35 हजार से ज्यादा नहीं है।इसलिए शंकर जी पंचायत राज्य विभाग से अनुरोध करते है की सर्वे करने के बाद जो गलत रिपोर्ट दिया गया है इसमें जल्द-से-जल्द सुधार करे।ताकि लोग लाभान्वित हो सके,और किसी का कोई नुकसान ना हो । क्योंकि अगर इनलोगो का आय इतना लिखकर जमा कर देंगे तो स्वतः ये लोग बीपीएल कार्ड की सूचि से हट जायेंगे।जबकि इन लोगो का आय उतना है ही नहीं,इसलिए जल्द-से-जल्द इसपर रोक लगायी जाये।

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दुमका जिले के गोपीकांदर प्रखंड से शंकर राय जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि गोपीकांदर प्रखंड में सरकारी विभाग से दो अस्पताल बनाया गया है। इस अस्पताल का निर्माण हुए करीब दो वर्ष हो गया है,लेकिन अब तक यहां पर विभाग की ओर से एक भी डॉक्टर नही भेज गया है। अस्पताल में डॉक्टर नही रहने के कारन लोगो को काफी समस्याओ का सामना करना पड़ता है। लोगों को अपने इलाज के लिए बंगाल, रामपुरा, साहेबगंज, पाकुड़िया एवं दुमका तथा अन्य जगहों के अस्पतालों में जाना पड़ता है। वे कहते हैं कि लोगों को इलाज़ के लिए दूर जाना पड़ता है सिर्फ ये समस्या नही है बल्कि हर अस्पताल के अलग-अलग बिल होते हैं , जो आम लोगो के लिए बहुत ज्यादा है। इसलिए वे झारखण्ड सरकार से आग्रह करते हुए कहते है कि जल्द से जल्द यहाँ डॉक्टर की सुविधा दी जाये ताकि गरीब लोगो को अस्पताल का लाभ मिल सके।

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जिला दुमका प्रखंड गोपिकन्दर से शंकर राय जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि वे घटवार शैक्षिक संघर्ष मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष है और अपने दयनीय समाज की स्थिति को देखते हुए उसके बारे में बताते है कि आजादी के उन्हत्तर वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में करोड़ो रूपए खर्च किये जा रहे है ,लेकिन इससे हमारे समाज के बच्चो को अभी तक ऊंची शिक्षा का लाभ नहीं मिल रहा है. घटवार समाज में गरीबी ,अन्धविश्वास और दहेज़ प्रथा कायम है इस कारण भी लोग आगे पढ़ाई के बारे में नहीं सोच पाते क्योंकि माता -पिता कर्ज के तले दबे हुए है परिस्थितिवश जिस उम्र में नव युवकों को पढ़ना चाहिए वहाँ वे मजदूरी कर रहे है। इसके लिए वे मुम्बई ,दिल्ली ,गुजरात चले जाते है। इस तरह वे अपनी कमाई से अपने बहनों की शादी करवाते है , साथ ही वे अपने माता -पिता का लालन पालन भी करते है इसके कारण भी बच्चो की ऊंची शिक्षा नहीं हो पा रही है।घटवार समाज के लिए यह एक गंभीर समस्या है सरकार कहती है कि अच्छे दिन आने वाले है लेकिन घटवार समाज में अभी तक अच्छे दिन नहीं आये है।और ना ही इसके लिए सरकारी स्तर पर कोई ठोस योजना बन रही है।

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