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झारखण्ड राज्य के पूर्वीसिंघभुम,पोटका प्रखंड के हाथीबिंदा पंचायत से चक्रधर भगत जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि पंचायती राज व्यवस्था होने के बाद अभीतक गाँव घर का हालत जितना सुधरना चाहिए था उतना सुधर नहीं सका है।खाद्य आपूर्ति योजना के तहत गरीबो को राशन कार्ड अभी तक मुहैया नहीं कराया गया है। इसी तरह से इंदिरा आवास योजना भी सही मायने में गरीब लोगो को नहीं मिला है,सिर्फ संपन्न परिवार वालों को ही मिला है। वही दूसरी ओर बिजली की स्थिति भी दयनीय है।इन सात सालों में जितने भी सरकारी योजनएं संचालित हो रही हैं, जिसका देख-रेख पंचायती राज व्यवस्था के तहत मुखिया द्वारा किया जाना चाहिए ,परन्तु इन सभी योजनाओं का देख-रेख बिचौलियाँ द्वारा किया जा रहा है और सिर्फ मुखिया का इस्तेमाल रबर स्टाम्प और हस्ताक्षर के लिए ही किया जाता है। इस तरह से गॉँव में मुखिया सिर्फ घर पर बैठे रहते है और बिचौलियाँ मुखियां बनकर गाँव में घूम-घूम कर काम करते है और योजनाओं का लाभ अपने अनुसार किसी को भी उपलब्ध कराते है।

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प्रखंड पोटका ,जिला पूर्वी सिंघभूम, झारखण्ड से सुबोध कुमार ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि झारखण्ड राज्य में सदिओं से "झूमर-गायन" की प्रथा चली आ रही है,परन्तु अब "झूमर-गायन" विलुप्त होता जा रहा है। वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति एवं संगीत, युवा-वर्ग बहुत पसंद कर रहे हैं और उसका अनुसरण भी कर रहे हैं।समाज में पारम्परिक तथा लोक-गायन की जगह, पाश्चात्य संगीत एवं फ़िल्मी संगीत ने ले लिया है।लेकिन गौरतलब है कि सरकार "झूमर-गायन" परम्परा को बचाने के प्रति उदासीन रवैया अपनाये हुए है और अपनी संस्कृति पर ध्यान देने की जगह सरकार,पाश्चात्य संस्कृति को घर-घर पहुंचाने का काम कर रही है।फलस्वरूप युवा-वर्ग अपने संस्कृति ,गायन और परम्परा को भूल कर,पराये संस्कृति ,गायन और परम्परा को महत्व दे रहे हैं तथा "झूमर-गायन" की प्रथा को विलुप्त करने पर तुले हुए हैं।समय रहते अगर उचित कदम नहीं उठाया गया तो "झूमर-गायन" का विलुप्त होना तय है।

पूर्वी सिंघभूम पोटका प्रखंड से चक्रधर भगत ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि चंद्रपुर और धनबाद रेललाइन का बंद होना,गरीबों के साथ अन्याय है।साथ ही विकसित समाज को वापस पीछे के तरफ ले जाने सा प्रतीत होता है।रेल गरीबों के जीवन यापन का जरिया भी है।कुछ जान की रक्षा करने के लिए, सरकार ने लाखों जानो को मारने जैसा काम किया है।सरकार को इस दिशा में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

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