समाज के लिए उदाहरण बने इंद्रदेव यादव बिना दहेज के बेटे अरविंद सिंह की शादी करेंगे। भारतीय समाज में दहेज मुक्त समाज के सपने को साकार करने में योगदान दे रहे हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

मेरा नाम रियांकू कुमारी है, मैं विष्णुपुर ग्राम खजरा पंचायत नालंदा जिला नगरलासा ब्लॉक का निवासी हूं और मैं सिर्फ इतना कहने जा रहा हूं कि अब जो है वह हर लड़की के लिए है। सिलाई मशीन होनी चाहिए और हर लड़के के पास साइकिल होनी चाहिए क्योंकि ये दोनों फैशन गर्ल की सिलाई मशीन और लड़के की साइकिल बन गई हैं तो एक लड़की है जिसने सिलाई सीखी है या नहीं सीखी है जो थोड़ी सी भी है। भले ही वह मशीन चलाना जानती हो, फिर भी घातक बुढ़ापे में रह जाता है, इसका मतलब है कि वह एक अच्छा काम करती है और लड़का वह है जो पैसा लेता है, चाहे वह सास के दहेज में अपने ससुर के साथ कुछ करे या न करे और वह एक बाइक मांगता है, दहेज में अपना तेल देने से भी इनकार नहीं करता है, यह पता चलता है कि ससुराल वालों ने इसे किश्त में ले लिया है, जिसका अर्थ है कि पैसा अभी भी बैंक में है और बाइक पकड़ी गई है। सड़क पर गति करने का मतलब है लाइसेंस न होना या उस गलती पर दुर्घटना होना, तो उसका तेल क्षेत्र बेरोजगार रहता है, इसलिए तेल एकत्र नहीं किया जाता है, और इसका मतलब यह भी है कि पत्नी हमारे समाज में ऐसी स्थिति है, इस वजह से कुछ लोग हैं जो अपनी कमाई से थैला खरीदने या तेल जलाने के लिए अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग अक्सर यह सुना जाता है कि लालची लोग जो कार लेते हैं, फिर उसे ले जाते हैं और ससुर से उसका तेल और अन्य खर्च मांगते हैं और पत्नी की जांच करते हैं।

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निरंजन कुमार ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि "मैं कुछ भी कर सकती हूँ" कार्यक्रम की कहानी में गौरी के साथ बहुत गलत हुआ। दहेज प्रथा समाप्त होनी चाहिए। इस प्रथा के आड़ में महिलाओं पर अत्याचार होता है

बिहार राज्य से संतोष चौरसिया ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बिहार में दहेज प्रथा को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाना चाहिए और इसमें कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। सभी पुरुषों को किसी से समान रूप से शादी करनी चाहिए, ऐसा नहीं है कि गरीब पुरुष नौकरी करने वाले से शादी नहीं कर सकते, दहेज शून्य होना चाहिए, कोई दहेज नहीं होना चाहिए।

महंगाई और भ्रूण हत्या के बीच गहरा संबंध है। आज के समय में लोग बच्चों की अच्छी परवरिश करना चाहते हैं। लेकिन बढ़ती महंगाई के कारण लोग सक्षम नहीं होते हैं। जिसके कारण दहेज़ और भविष्य में आने वाली कठिनाईयों का सोच कर लोग बेटी को जन्म के पहले ही गर्भ में मार डालते हैं

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बिहार राज्य के कैमूर ज़िला से सीताराम ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि समाज में दहेज़ प्रथा एक चिंता का विषय है। सरकार को दहेज़ प्रथा पर विशेष ध्यान देना चाहिए

बिहार राज्य के कैमूर ज़िला से सीताराम ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि समाज में दहेज़ प्रथा एक चिंता का विषय है। इसी कारण लोग लड़की नहीं चाहते है

बेटों की चाह में बार-बार अबॉर्शन कराने से महिलाओं की सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव लाइफ पर भी बुरा असर पड़ता है। उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी खराब होने लगती है। कई मनोवैज्ञानिको के अनुसार ऐसी महिलाएं लंबे समय के लिए डिप्रेशन, एंजायटी का शिकार हो जाती हैं। खुद को दोषी मानने लगती हैं। कुछ भी गलत होने पर गर्भपात से उसे जोड़कर देखने लगती हैं, जिससे अंधविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि * -------आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? * -------भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा के आपको क्या सम्बन्ध नज़र आता है ?