नमस्कार आदाब श्रोताओं, मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है रोजगार समाचार यह नौकरी उन लोगों के लिए है जो भारतीय स्टेट बैंक में क्लर्क के पदों पर 8,283 पदों पर काम करने के लिए इच्छुक हैं। इन पदों में सहायक,जूनियर एसोसिएट्स (ग्राहक सहायता और बिक्री) के पदों पर भर्तियां निकाली गई हैं .इन पदों पर वैसे उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में स्नातक की डिग्री या केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त समकक्ष योग्यता प्राप्त किया हो ।इस पद के लिए आवेदक की आयु सीमा की 20 से 28 वर्ष के बीच होनी चाहिए।आयु में छूट मानदंडों के अनुसार किया जाएगा। आवेदन शुल्क सामान्य,ओबीसी, ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 750 रुपये जबकि एससी, एसटी और अन्य आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क बिल्कुल निशुल्क रखा गया है।इन पदों के लिए वेतनमान 17,900 - 45,930 रुपए प्रतिमाह दिया जाएगा। इन पदों पर आवेदन करने या अन्य जानकारी के लिए आप इस आधिकारिक वेबसाइट - sbi.co.in पर जा सकते हैं।आवेदन कर्ता का चयन लिखित परीक्षा में परफॉर्मेंस के आधार पर रोजगार प्रत्याशी का चयन होगा।याद रखिए इन पदों पर आवेदन करने की अंतिम तिथि 7-12-2023 है। तो साथियों,अगर आपको यह जानकारी लाभदायक लगी, तो मोबाइल वाणी एप्प पर लाइक का बटन दबाये साथ ही फ़ोन पर सुनने वाले श्रोता 5 दबाकर इसे पसंद कर सकते है। नंबर 5 दबाकर यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ भी बाँट सकते हैं।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा मटर की खेती के बारे में बता रहे हैं अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

कोई भी जागरूक नागरिक यह जानता है कि लोकतंत्र में वोट की क्‍या कीमत है. वोट का अधिकार ही वह बुनियादी अधिकार है, जो लोकतंत्र में हमारी हिस्‍सेदारी और हमारे नागरिक अधिकारों को सुनिश्चित करता है। दुनिया भर की महिलाओं को यह अधिकार लंबी लड़ाई के बाद हासिल हुआ है।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा पशुपालन के बारे में बता रहे हैं अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

Transcript Unavailable.

दोस्तों, सरकारी स्कूलों की बदहाली किससे छुपी है? इसी कारण देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था, प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक, पूरी तरह से बाजारवाद में जकड़ गई है। उच्च व मध्यम वर्ग के बच्चे तो प्राइवेट स्कूलों में अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। नेताओं और नौकरशाह की बात तो दूर अधिकांश विद्यालय में कार्यरत शिक्षक के बच्चे भी सुविधा संपन्न प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करते हैं भला ऐसे में सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा की चिंता किसे होगी? देश के छोटे से छोटे विकास खंड में सरकारी स्कूलों में करोड़ों खर्चे जाते हैं फिर भी उनका स्तर नहीं सुधरता। -------------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? -------------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? -------------और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।

नमस्कार साथियों शेखपुरा मोबाइल वाणी में आप सभी का स्वागत है। आज हम बात करने वाले हैं संविधान की प्रस्तावना के बारे में वही संविधान की प्रस्तावना जिसमें सामाजिक आर्थिक राजनीतिक और न्याय के बारे में बताया गया है। वही प्रस्तावना जिसमें स्वतंत्रता के बारे में बताया गया है। वही प्रस्तावना जिसमें समता के बारे में भी बताया गया है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संविधान के शब्द में इतनी बड़ी गलती कैसे हुई। दरअसल हुआ यह की जो हमारा अभी नया संसद भवन है वहां पर नये संसद का कार्यकाल शुरू हुआ जहां पर संविधान की जो कापी एमपी को बांटी गई उसमें कुछ शब्द मिसिंग था। लेकिन सत्तापक्ष के लोगों का कहना है कि जो संसद भवन में संविधान की कापी बांटी गई वह मूल प्रति था। लेकिन मैं इसका आलोचना करता हूं कि यदि संविधान के प्रस्तावना से पंथनिरपेक्ष व समाजवादी शब्द हटाये जाते हैं तो यह गलत है। इससे आर्थिक योजना, समाजिक कल्याण सार्वजनिक स्वामित्व भी प्रभावित होगा। हालांकि ये दो शब्द मूल प्रस्तावना का हिस्सा नहीं थे। लेकिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय "समाजवादी" शब्द को शामिल करने का उद्देश्य भारतीय राज्य द्वारा लक्ष्य और दर्शन के रूप में समाजवाद पर बल देना था, जिसमें गरीबी उन्मूलन तथा समाजवाद का एक अनूठा रूप अपनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था जिसमें केवल विशिष्ट एवं आवश्यक क्षेत्रों का राष्ट्रीयकरण शामिल था। "पंथनिरपेक्ष" को शामिल करने से एक पंथनिरपेक्ष राज्य के विचार को बल मिला, जिसमें सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार, तटस्थता बनाए रखने को प्रोत्साहित किया गया और किसी विशेष धर्म को राज्य धर्म के रूप में समर्थन नहीं दिया गया।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Download | | Get Embed Code

Transcript Unavailable.