बिहार राज्य के चम्पारण जिले के सुप्पी प्रखंड मरपा में दीपक पटेल ने "बेटी की शिक्षा " विषय पर ईश्वर दास जी साक्षात्कार लिया। ईश्वर दास ने बताया कि गरीबी के कारण गांव एवं समाज में बेटियों को सुख और शांति नहीं मिलती है। सरकार द्वारा शिक्षा के लिए सहायता राशि दिया जाता है ,परन्तु वह पर्याप्त नहीं है।सही तरीके से सरकारी योजनाओं का लाभ नही मिलता है। विस्तार पूर्वक बातचीत सुनने के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी बात ।

बिहार राज्य के सीतामढ़ी जिला के सुपी प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता दीपक पटेल ने अशोक व्यास से साक्षात्कार लिया जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि जिस माँ के गर्भ से लड़का जन्म लेता है उसी माँ के गर्भ से लड़की जन्म लेती है। तो दोनों का अधिकार बराबर है इसलिए दोनों को सामान शिक्षा मिलना चाहिए था। अगर लड़की नहीं होगी तो बेटी बहु कहाँ से ले आ पाएंगे। लड़का और लड़की का अधिकार बराबर है इसलिए दोनों को पढ़ाना चाहिए। लड़का और लड़की दोनों को बचाना चाहिए। बहुत से लोग ऐसे हैं जो दवा और सुई दे कर के गर्भ में मार देते हैं। पूरी खबर सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

सुप्पी निवासी अर्जुन कुमार राज मिस्त्री ने कहा कि हम सब को बेटियां को अधिक मान समान देनी चाहिए क्यों की बेटियां ही संसार चलाती है और घर चलाती है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

Transcript Unavailable.

बिहार राज्य के पूर्वी चम्पारण ज़िला के मोतिहारी प्रखंड के बरदाहा पंचायत से लालू पासवान की बातचीत चम्पारण मोबाइल वाणी के माध्यम से सुष्मिता से हुई। सुष्मिता कहती है कि बेटियों को बोलने ,खेलने,पढ़ने व खुद की बात सब के समक्ष रखने का पूरा अधिकार है। अगर गाँव में कोई विचार विमर्श होता है तो उस बीच भी लड़कियाँ अपने विचारों को पेश कर सकती है। लड़कियों को छेड़खानी से बचाने के लिए ही घर वाले उनको बाहर पढ़ने जाने से रोकते है। अगर लड़कियाँ खुद को अच्छे और सही से रखेंगी तो घरवाले भी मना नहीं करेंगे। सुष्मिता खुद भी आगे पढ़ना चाहती है और समाज में लोगों को बेटी की शिक्षा को लेकर जागरूक भी करती है।

बिहार राज्य के चम्पारण जिला से हमारे श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि अभिभावकों को अपने बच्चों में ज़रा भी भेद भाव नहीं करना चाहिए। साथ ही कह रहे है कि अभी भी कई जगह हमारे समाज में बेटों को ही सिर्फ पढ़ने का या आगे बढ़ने का छूट दिया जाता है जो सरासर गलत है। हमारे देश में पहले ही महिलाओं ने अपना परचम लहराया है यह तब संभव हो पाया था जब उनके माता पिता ने उनका साथ दिया था उसी तरह देश के हर एक अभिभावकों को अपने बच्चों का साथ देना चाहिए

जुल्फिकार ने मोबाईल वाणी के माध्यम से सीतामढ़ी जिले के रुन्नी ग्राम के समाज सेवी बबलू जी से "बेटियों की शिक्षा " विषय पर साक्षात्कार लिया।बबलू जी ने बताया कि बेटियाँ सामाजिक ताना-बाना और बुराई के कारण अपनी पढ़ाई पूरी नही कर पाती हैं तथा पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं।दिन-दहाड़े बच्ची का अपहरण हो जाना,बच्ची के साथ जघन्य अपराध हो जाना,इत्यादि चिंता का कारण है।अमेरिका में लड़की के साथ बलात्कार या अपराध होना क्षम्य है,परन्तु भारत के समाज में यह बहुत बुरा माना जाता है। इज्जत-आबरू को बचाने के लिए बेटी की शिक्षा को बीच में रोक दी जाती है। अपनी बात को जारी रखते हुए बबलू जी का कहना है कि ज्यादातर लोगों की सोच होती है कि जल्दी से जल्दी बेटी की शादी कर के उसका घर बसा देना चाहिए। महिलाओं के प्रति हमारा देश जागरूक नहीं है।वर्तमान समय में स्कूल एवं संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद बेटियाँ अपनी पढ़ाई पूरी नही कर पा रही हैं। बबलू जी का विचार है कि जब-तक समाज में लोगों का बेटियों के प्रति नजरिया नहीं बदलेगा तथा दूसरे की बहु-बेटी को अपना नही समझा जाएगा,तब-तक बेटियों पर होने वाला अपराध नही रुकेगा।महिला और पुरुष का अलग शिक्षा व्यवस्था होनी चाहिए। हर जिले तथा प्रखंड स्तर पर महिला कॉलेज होगा तो,बेटियाँ जरूर उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगी। विस्तार पूर्वक बातचीत सुनने के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी बात ।

बिहार राज्य के रोहतास ज़िला के चेनारी प्रखंड से सचिन कुमार ,चम्पारण मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि देश के बहुत से गाँव में अभी भी लड़कियों को हीन भाव से देखा जाता है। ऐसे नहीं करना चाहिए ,लोगों को लड़कियों को भी इंसान के रूप में समझना चाहिए

बिहार राज्य के सीतामढ़ी जिला से मोनू कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से जगदीश मिश्रा से बेटियों की शिक्षा पर चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बेटियों की शिक्षा बहुत जरूरी है। शिक्षा की जरुरत केवल बेटे को ही नहीं बल्कि बेटी को भी होती है। जिसके घर में बेटी यदि शिक्षित नहीं है तो वह घर भी अशिक्षित रहेगा

बिहार राज्य के पूर्वी चम्पारण के सीतामढ़ी से मोनू कुमार और इनके साथ शिक्षक रविंद्र मिश्रा हैं वे मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि आज के समय में बेटियों का शिक्षित होना अति आवश्यक है। क्योंकि हर बेटी का सपना रहता है कि वो पढ़ लिख कर आत्मनिर्भर बने। लड़कियाँ शिक्षित हो इसके पीछे सरकार भी करोड़ो रूपए खर्च कर रही है। साथ ही कई क्षेत्रों में अशिक्षा के कारण लोग बेटा और बेटी में भेदभाव करते हैं। अतः अभिभावकों को बच्चों के प्रति अपने मन में एक समानता रखना चाहिए। क्योंकि आज बिटिया हर उस मुकाम को हासिल कर रही है जिसका अरमान माता पिता केवल बेटों में रखते हैं। साथ ही बेटियों का विवाह सही उम्र में ही करना चाहिए जल्दी शादी कर देने से उन्हें कई तरह की बिमारियों का भी सामना करना पड़ता है।