तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।

भारत में हर पाँच मिनट पर घरेलू हिंसा की एक घटना रिपोर्ट की जाती है। नेशनल फैमिली हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार सख्त घरेलू हिंसा कानून- 2005 होने के बावजूद देश में हर तीन महिलाओं में से एक महिला घरेलू हिंसा की शिकार हैं। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 79.4% महिलाएं कभी अपने पति के जुल्मों की शिकायत ही नहीं करती। दोस्तों, हर रोज महिलाओं के खिलाफ जुर्म बढ़ रहे हैं , क्या अब हमारी संस्कृति को ठेस नहीं पहुंच रही , जिस पर इतने डींगे हाँकते है ? समाज में उत्पीड़न, शोषण और हिंसा का निरंतर बढ़ता ग्राफ अब बढ़ता ही जा रहा है। और जिस पर हमें अपनी चुप्पी तोड़नी ही होगी। हमें इस मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठानी ही होगी।

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मैक्लुस्कीगंज 12 जनवरी 2024 जेपीएस मोहन नगर डकरा में स्वामी विवेकानंद के जयंति के रूप मे राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया. झारखंड पब्लिक स्कूल मोहन नगर डकरा मे स्वामी विवेकानंद जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया गया. इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक एवं सभी शिक्षक एवं शिक्षिका द्वारा स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण किया गया. इस दौरान विधायलय के प्राचार्य अभिषेक कुमार चौहान के द्वारा स्वामी विवेकानंद के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बच्चो को उनके सिद्धांतो एवं आदर्शो का पालन करने एवं अपने जीवन में आत्मसात करने की बात कही. साथ ही अपने भाषण मे बताया कि युवा ही हमारे देश के भविष्य है. मौके पर विधायलय के सभी शिक्षक एवं शिक्षिका उपस्थित थे.

सुनिए जेंडर हिंसा के खिलाफ चलने वाले इस कार्यक्रम, 'बदलाव का आगाज़', में आज सुनिए पतोत्री वैद्य जी को, जिनका कहना है युवाओं की सोच में एक नई उम्मीद और दृष्टिकोण है जो समाज में जेंडर के खिलाफ होने वाली हिंसा को रोकने के लिए सक्रिय रूप से उतर रहा है। युवा समझते हैं कि जेंडर परिवर्तन का मतलब सिर्फ नारा नहीं है, बल्कि सोच और आदतों में भी बदलाव लाना है।अब आप हमें बताएं कि जेंडर आधारित हिंसा के खिलाफ आप क्या सोच रहे हैं और इसे खत्म करने के लिए क्या कोशिश कर रहे हैं? अपने विचार और सुझाव हमें बताएं अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर

यूनेस्को की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 1.10 लाख ऐसे स्कूल हैं जो केवल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। इसके अलावा देश भर में शिक्षकों के लगभग 11.16 लाख पद खाली हैं और उसमें से भी तक़रीबन 70 फीसदी पद गांव के इलाके के स्कूलों में हैं। है ना मज़ेदार बात। जो गाँव देश की आत्मा है , जिसके लिए सभी सरकारें खूब बड़ी बड़ी बातें बोलती रहती है। कभी किसान को अन्नदाता , भाग्य विधाता, तो कभी भगवान तक बना देती है। उसी किसान के बच्चों के पढ़ने के लिए वो स्कूलों में सही से शिक्षक नहीं दे पाती है। जिन स्कूलों में शिक्षक है वहाँ की शिक्षा की हालत काफी बदहाल है. माध्यमिक से ऊपर के ज्यादातर स्कूलों में संबंधित विषयों के शिक्षक नहीं हैं. नतीजतन भूगोल के शिक्षक को विज्ञान और विज्ञान के शिक्षक को गणित पढ़ाना पड़ता है. ऐसे में इन बच्चों के ज्ञान और भविष्य की कल्पना करना मुश्किल नहीं है. लोग अपनी नौकरी के लिए तो आवाज़ उठा रहे है। लेकिन आप कब अपने बच्चो की शिक्षा के लिए आवाज़ उठाएंगे और अपने जन प्रतिनिधियों से पूछेंगे कि कहाँ है हमारे बच्चो के शिक्षक? खैर, तब तक, आप हमें बताइए कि ------आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ------ क्या आपने क्षेत्र या गाँव के स्कूल में हर विषय के शिक्षक पढ़ाने आते है ? अगर नहीं , तो आप अपने बच्चों की उस विषय की शिक्षा कैसे पूरी करवाते है ? ------साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

दोस्तों, दुनिया भर में काम के घंटे घटाए जाने की मांग बढ़ जा रही है, दूसरी तरफ भारत काम के घंटों को बढ़ाए जाने की सलाह दी जा रही है। भारत में ज्यादातर संस्थान छ दिन काम के आधार पर चलते हैं, जिनमें औसतन 8-9 घंटे काम होता है, उस हिसाब से यहां औसतन पैंतालिस घंटे काम किया जाता है। जबकि दुनिया की बाकी देशों में काम के घंटे कम हैं, युरोपीय देशों में फ्रांस में औसतन 35 घंटे काम किया जाता है, ऑस्ट्रेलिया में 38 घंटे औसतन साढ़े सात घंटे काम किया जाता है, अमेरिका में 40 घंटे, ब्रिटेन में 48 घंटे और सबसे कम नीदरलैंड में 29 घंटे काम किया जाता है। दोस्तों, बढ़े हुए काम घंटों की सलाह देना आखिर किस सोच को बताता है, जबकि कर्मचारियों के काम से बढ़े कंपनी के मुनाफे में उसका हक न के बराबर या फिर बिल्कुल नहीं है? ऐसे में हर बात पर देशहित को लाना और उसके नाम पर ज्यादा काम की सलाह देना कितना वाजिब है? इस मसले पर अपना राय को मोबाईल वाणी पर रिकॉर्ड करें और बताएं कि आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, आप भले ही मुद्दे के पक्ष में हों या विपक्ष में, इसे रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं अपने फोन से तीन नंबर का बटन

विश्व युवा कौशल दिवस पर मुख्यमंत्री सारथी योजना का शुभारंभ आज से आर्यभट्ट सभागार रांची विश्व विद्यालय में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा किया जायेगा। इसका उद्देश्य युवाओं को नि: शुल्क कौशल प्रशिक्षण देकर रोजगार एवं स्वरोजगार से जोड़ने हेतु राज्यों के युवा अपने अंदर छुपी हुई प्रतिभा को निखार सके और अपना भविष्य खुद लिख सके। इसके लिए ये योजना सरकार धरातल पर लेकर आई है। प्रथम चरण में 2023 - 24 के लिए राज्य के 80 प्रखंडो में इसकी शुरुवात की जाएगी इसके बाद झारखंड के सभी प्रखंडों में इसका विस्तार किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत सामान्य श्रेणी से 18 से 35 तक तथा एस टी, एससी ओबीसी के लिए अधिकतम 50 वर्ष तक महिलाओं तथा पुरषों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा । प्रशिक्षण के बाद पुरषों को 1000 तथा महिलाओ 1500 रुपए डीपीटी के माध्यम से दिया जाएगा । इसके लिए सरकार ने एक टोल फ्री नंबर जारी किया है जिसका नंबर 1800123444 है इस पर कॉल कर नि :शुल्क जानकारी लिया जा सकता है।

पिपरवार कोयलांचल क्षेत्र के बचरा में करोड़ो की लागत से बना स्वधीनता स्वर्ण जयंती क्रीडांगन खेल का मैदान है ।ये मैदान पहले बहुत अच्छा हुआ करता था बच्चे इसमें खेलते थे सेहत के दृष्टिकोण से देखा जाए तो ये मैदान काफ़ी अच्छा लोग मॉर्निंग वॉक के लिए इस मैदान में आते है सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष नौजवान सभी आते है लेकिन अब ये मैदान अपनी बदहाली पर रोता हुआ दिखाई दे रहा है । क्योंकि इसका रखरखाव अच्छे ढंक से नही हो पा रहा इस पर न तो स्थानीय प्रबंधन का ध्यान है और न ही क्षेत्र के लोगो का। शाम होते ही इस मैदान में शराबियों का जमावड़ा लगता है अंधेरे का फायदा उठाकर शराबी यहां शराब पीते है और बोतल को फोड़ देते है। जिससे खेलने वाले बच्चो के पैर कट जाते है और बहुत नुकसान होता है।कहते है सार्वजनिक जगहों , स्मारको की देखभाल करना एक आम आदमी का फर्ज होता है की वो अपनी सार्वजनिक धरोहरों को संभाल कर रखे लेकिन जब यही लोग इस तरह का कृत्य करेंगे तो इन सब की रक्षा कैसे हो पाएगी। आजकल के युवा पढ़ाई लिखाई से दूर हो गए है और नसे के इतने आदि हो गए है की वहा से निकल पाना मुश्किल हो गया है जिससे उनका भविष्य खतरे में आ गया है। इसलिए इनके माता पिता सहित इन युवाओं को भी समझना होगा कि उनका जीवन कैसे चले उनको इन सब से निकलकर अपने लिए कुछ अच्छा करने की जरूरत है तभी वो जीवन में सफल हो पायेंगे नही तो फिर उनका जीवन खतरे में आ जायेगा