मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे अपने श्रोताओं की राय

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम जानेंगे एसएचजी यानि की स्वयं सहायता समुह से जुड़ने के क्या फायदे हैं और इससे जुड़ कर कैसे आप अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं।

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इसके बरक्स एक और सवल उठता है कि क्या सरकारें चाहती हैं कि वह लोगों का खाने-पीने और पहनने सहित सामान्य जीवन के तौर तरीकों को भी तय करें? या फिर इस व्यवसाय को एक धार्मिक समुदाय को निशाना बनाने के लिए इस तरह के आदेश जारी किये जा रहे हैं। सरकार ने इस आदेश को जारी करते हुए इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया कि उसके एक आदेश से कितने लोगों की रोजी रोटी पर असर पड़ेगा

झारखंड राज्य के रांची जिला के बुरमु प्रखंड से संजय उरॉव ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि इन्होने नाच गांव में 2 अक्टूबर को ग्राम सभा का आयोजन मोबाइल वाणी के माध्यम से किया था। जिसमें संजय द्वारा ग्रामीण भाइयों और बहनों को प्रखंड में चलने वाले योजनाओं का लाभ लेने के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई थी। साथ ही सम्बंधित योजना में लगने वाले कागजात के बारे में भी बताया गया था.जानकारी मिलने पर पवन देवी ने ब्लॉक में मुर्गी पालन फार्म के लिए अप्लाई किया और इनको एक मुर्गी फार्म चार सौ मुर्गी चूजा शेड के साथ तीन लाख रूपये मिले हैं। योजना का लाभ मिलने पर पवन बहुत खुश हैं।

मुर्गी पालन सेट सहित एवं सुकर पालन सेट सहित

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