आज भी राज्य के दक्षिणी व पूर्वी भागों के जोधपुर, अजमेर, उदयपुर, कोटा व जयपुर संभाग में कहीं-कहीं दोपहर बाद मेघगर्जन के साथ हल्की बारिश होने की संभावना है। 7-9 अप्रैल मौसम शुष्क रहने की संभावना है। दिनांक 10-11 अप्रैल से पूर्वी हवाओं के प्रभावी होने से दक्षिणी व दक्षिण पूर्वी राजस्थान के कुछ भागों मेघगर्जन, बारिश गतिविधियां होने की संभावना है। 13 से 15 अप्रैल के दौरान एक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की संभावना है। इसके प्रभाव से राज्य के कुछ भागों में आंधी-बारिश होने की संभावना है।

नमस्ते साथियो धन्यवाद आपने अपने सवाल जयपुर वाणी पर रखे आज हम जानेगे की मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे बनाये। व्यक्ति की मृत्यु चाहे अस्पताल में हो अथवा घर पर, मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता रहती है। मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए मृतक व्यक्ति के परिवारजन को निर्धारित आवेदन फार्म और निर्धारित शुल्क जमा करवाकर आवेदन करना होगा। अगर व्यक्ति की मृत्यु अस्पताल में हुई है तो प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत अस्पताल 21 दिनों तक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर सकते है। इस अवधि के बाद स्थानीय निकाय अथवा वार्ड लेवल नगर निगम से प्राप्त मृत्यु प्रमाण पत्र भरके और मृतक के दस्तावेज लगा कर इसे निकाय में जमा करना होता है, तभी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाता है | ऐसे करें आवेदन – मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए निर्धारित आवेदन फार्म में आवश्यक जानकारियां भरने अथवा प्रार्थना पत्र व निर्धारित शुल्क के साथ आवेदन करना होगा। इसमें आवेदक का नाम, पता, आधार कार्ड संलग्न करना होगा। साथ ही मृतक व्यक्ति का आधार कार्ड की फोटो प्रति भी लगानी होगी। अस्पताल में मृत्यु होने पर अस्पताल की रिपोर्ट भी दस्तावेज के रूप में संलग्न करनी होगी। किसी व्यक्ति की घर पर मृत्यु होने पर – निर्धारित आवेदन फार्म भरने, निर्धारित शुल्क जमा करवाने के साथ क्षेत्र के पार्षद अथवा नगर निगम के अधिकारी -कर्मचारी से प्रमाणित करवाना होगा। मृत्यु को अगर एक माह से अधिक समय हो गई हो तो – अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु को 30 दिन से अधिक का समय हो गया हो तो उसके परिवारजनों को निर्धारित आवेदन फर्म, निर्धारित शुल्क जमा करवाने के साथ संलग्न किए जाने वाले दस्तावेंजों में आवेदक की ओर से शपथ पत्र मय फोटो, नोटेरी अटेस्टेड, दो पडौसियों के शपथ पत्र संलग्न करने होंगे। एक साल से अधिक समय हो गया हो तो – अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु को एक साल से अधिक समय हो गया हो, घर पर मृत्यु हुई हो तो आवेदन फार्म, निर्धारित शुल्क जमा करवाने के साथ तहसीलदार की ओर से जारी आज्ञा पत्र भी दस्तावेज के रूप में संलग्न करना होगा। आवेदन शुल्क – मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए प्रति कॉपी दस रुपए शुल्क निर्धारित है। हिन्दी व अंग्रेजी दोनो भाषाओं में मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते है। मृत्यु प्रमाण पत्र आपको आपके वार्ड के निगम में आवेदन करने के बाद 21 दिन में अंतर्गत मिलेगा।

विश्व जल दिवस अवसर पर समुदाय और विभाग द्वारा शपथ ग्रहण प्रोग्राम का आयोजन हुआ, इस प्रोग्राम में हम सुनेंगे समयदाये के साथियो द्वारा ली हुई शपथ - मेरा नाम कृष्णा शर्मा है मैं शपथ लेती हूं कि हमें जितना पानी का जरूर होगा हम उतना ही पानी लेंगे और पानी को व्यर्थ नहीं बहाएंगे! मेरा नाम राबिया है मै विजयागार से हु और मैं शपथ लेती हूं कि मैं पानी के बचाव और पानी को सही जीने की जानकारी हर घर में हर समुदाय में दूंगी! मेरा नाम ज्ञान है और मैं लंका पुरी कच्ची बस्ती में रहती हूं मैं शपथ लेती हूं कि मैं कम पानी में भी ज्यादातर काम करूंगी और जितना भी हो सकेगा पानी बचाऊंगी और इस पानी को दूसरे काम में भी लूंगी उसी से झाड़ू पोछा बर्तन पेड़ पौधों में काम में लूंगी |.....

नमस्ते साथियो जयपुर वाणी पर आपका स्वागत है। आज हमारे साथ है जुडी हैं डॉक्टर सोनिका मैम जो की एक वरिष्ठ गायनेकोलॉजिस्ट हैं, यानि मैम एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। मैम ने पिछले 20 साल से स्त्री योन रोग से जुड़े केसेस पर काम किया हैं और इस विषय में इनका काफी योगदान और अनुभव हैं। आज के प्रोग्राम में हम मिलते हैं डॉक्टर मैम जहा हम माहवारी और मेनोपॉज से जुडी कुछ पहलु को समझेंगे और जानेंगे।

मेरा नाम गीता हैं मैं झालाना डूंगरी से जयपुर वाणी पर साझा कर रही हु की हमारे यहा पर पानी बहुत ख़राब जाता हैं क्युकी पानी पुरे दिन आता हैं तो आप पानी को कम खोले |

ट्रांस पर्सन पुष्पा माई और अनन्या द्वारा उनके समुदाय में होने वाले मुद्दे को लेकर एक पॉडकास्ट की कड़ी साँझा की जा रही है जो जल्द ही आपको एक नए जवाब के साथ सुनंने को मिलेगी। आये सुने -

नमस्ते ,साथियों जयपुर वाणी पर आपका स्वागत हैं ,इस सप्ताह आपको वार्ड नंबर 123,99 से जुडी पानी और स्वछता की व्यवस्था पर बात सुनेगे जोअत्यधिक मोसम और बिगड़े हुए जंगली जानवर जगल या अन्य जानवर से प्रभावित हैं क्या ये समस्या आम दिनों में प्रभावित करती हैं क्या इन समस्या से रोजगारऔर स्वास्थ्य पर प्रभावितप होता हैं तो जानते हैं समुदाय की ये बाते सजन कवर, उर्मिला जी और मोहित की आवाज में , साथ ही जानेगे विभाग का जवाब | आए सुनते हैं

यश एक ट्रांस पुरुष है और उन्होंने जयपुर वाणी के द्वारा सभी को माहवारी के इस पहलु को समझाया है जो शायद समुदाय ने पहले न समझा हो , आये सुनते हैं उन्हें ये अनुभव

नमस्ते साथियो मेरा नाम पूजा है और आज हम बात करेंगे की सेनेटरी पेड का निपटान कैसे करे। अक्सर आपने देखा होगा सेनेटरी नैपकिन जैसे मेडिकल कचरे को अक्सर हम घर से निकलने वाले कचरे के साथ मिक्स करके, कचरे की गाड़ी में डाल देतें है | तोह क्या ये निपटान का तरीका सही है ? आइये जानते हैं, सेनेटरी पैड का निपटान कैसे करें? सैनिटरी पैड निपटान पर सही जानकारी होना स्वच्छता के साथ-साथ पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है | ज्यादातर घरों में सूखे और गीले कूड़े के लिए अलग-अलग कंटेनर या कचरा पात्र होते हैं। इस्तमाल किये गए सैनिटरी नैपकिन के लिए कोई भी पक्ष जिम्मेदार नहीं है। ये कचरा परियवर्ण के साथ साथ जानवरो के लिए भी हानिकारक माना जाता है। सैनिटरी पैड को सुरक्षित रूप से निपटाने में पहला कदम उनके लिए एक अलग कचरा पात्र रखना है यह न केवल बदबू, बैक्टीरिया और मक्खियों को दूर रखेगा, बल्कि उन्हें ढक कर भी रखेगा और साथ ही ये जानवरो की पहुंच से भी दूर रहेगा | सही निपटान के लिए जब आप हर तीन घंटे में नैपकिन चेंज कर रहे हैं तोह सेनेटरी पेड को सावधानी से रोल करें और इसको अख़बार में लपटे। नैपकिन के लिए अलग डस्टबिन या थैले में नैपकिन और नए पेड के कवर को डाले। यदि आप कपडे का इस्माल करते हैं और उसे दुबारा उपयोग में नहीं लेने वाले हैं तोह इसे भी इसी प्रकार कागज में लपेट के अलग डस्टबिन में डाले | हमने देखा की कुछ बस्ती जैसे गेटोर की छतरियों में किशोरिया सूती कपडे से बने पेड का इस्तमाल करती हैं, जिसे साबुन से धो कर, तेज़ धुप में सूखा कर दुबारा इस्तमाल में लिया जा सकता हैं। आप ध्यान रखे की कपडे से बने पेड या कपडे का तेज़ धुप में सुखना जरुरी है, ताकि इसका सुरक्षित रूप से दुबारा इस्तमाल किया जा सके। कई बार किशोरी और महिलाये, पेड़ को अँधेरे या रात में धो कर सुबह इस्तमाल में ले लेती है । तेज़ धुप लगने से कड़पे में छुपे बैक्टरिया मर जाते हैं तोह कृपया कपडे को तेज़ धुप में सूखा कर ही दुबारा इस्तमाल में ले । आप चाहे तो कागज के थैले या पेपर बैग में भी वेस्ट सेनेटरी पैड को इकट्ठा कर सकती हैं | यह सेनेटरी पेड वाले एकत्रित कूड़े को बाकी सूखे/गीले कूड़े के साथ मिश्रित होने से बचाएगा। याद रखे की इकट्ठा सैनिटरी नैपकिन के थैले को कचरे की गाड़ी में ही डाले | इसे टॉयलेट में फ्लश न करे क्योंकि वे सीवर और पाइपलाइन को जाम कर सकता हैं। आपने पाया होगा की अंतिम दिन में हम ये सोचते हैं की पेड साफ़ ही है और उसे बिना परवाह किये बिना कागज में लपेटे हुए सीधे डस्टबिन में डाल देते हैं लेकिन ये समझना जरुरी है की पेड का ये सही निपटान का तरीका सही नहीं है, इस लिए पेड को हमे उसी प्रकार से निपटान करना है जैसे हम माहवारी के अन्य दिनों में करते है। सुलभ शौचालिये में नैपकिन बदलते पर इसका डिस्पोसे आप इंसीनिरेटर मशीन के द्वारा भी कर सकते हैं। यहाँ आपको इसे अख़बार में लपेटने की जरूरत नहीं है। इंसीनेटर मशीन में इस्तेमाल किये गए पेड़ को रोल करके डाले इकठ्टे हुए नैपकिन दिन के अंत में एक साथ लाल बटन दबाने से मशीन में ही नष्ट हो जाते हैं । अगर आप स्कूल टीचर या विद्यार्थी हैं तोह यहाँ आप एक सेनेटरी नैपकिन गड्ढे का निर्माण कर सकते हैं जहा सामूहिक रूप से इकठ्टे हुए नैपकिन का निपटान स्कूल में सहायका के साथ मिल कर सकते हैं। जब आप घर पर होते हैं तो सैनिटरी पैड का निपटान करना आसान होता है, और आप इसे अपनी सुविधा अनुसार निपटान कर सकते हैं। साथियो…. आप जान गए हैं की नैपकिन का सही निपटान घरलू स्तर पर कैसे करना है। आप नैपकिन के निपटान के लिए कोनसा तरीका इस्तमाल करते हैं हमे जरूर बताये, हो सकता है की सेनेटरी पेड के निपटान से जुड़े और सवाल आपको परेशान कर रहे होंगे जिसे आप नंबर ३ दबा हम से साँझा कर सकते हैं| हम आपको फिर मिलेंगे और जानकारियों के साथ तब तक के लिए धन्यवाद !

रतन कवंर वियास कॉलोनी से संझार कर रही है अपने मेनोपोज़ के कुछ अनुभव , आये सुनते है और समझते हैं