मध्यप्रदेश राज्य के इंदौर से ब्रजेश द्वारा बताया गया की होली के साथ टेसू के फूल भी नजर आते हैं लेकिन इस बार हमारे मालवा इलाके में ये फूल बहुत ज्यादा नहीं दिखे क्योंकि मौसम में बदलाव हो गया और फूल खिले ही नहीं।

बिहार राज्य के गिद्धौर प्रखंड के संजीवन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की मठ्या गाँव को नेचर विलेज के रूप में जाना जाता है , ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां की महिलाएं आत्मनिर्भर होने के साथ - साथ पर्यावरण को बचाने के लिए भी काम करती हैं । गाँव की एक दर्जन से अधिक महिलाएं इस काम में लगी हुई हैं । एक समय था जब गाँव की महिलाओं को बीड़ी बनाने का काम करने के लिए मजबूर किया जाता था । एक साल पहले तत्कालीन तहसीलदार निर्भय प्रताप सिंह ने इस गांव का नाम नेचर विलेज रखा और इसे आगे बढ़ाया । धीरे - धीरे यह गाँव सफलता का एक नया उदाहरण बन गया । आज प्रस्तुति गाँव की महिलाएं नेचर विलेज अभियान के तहत काम कर रही हैं वर्तमान में सभी महिलाएं होली के लिए हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं जम्मू जिले के बाजारों में इन रंगों की मांग बढ़ रही है । आपको बता दें कि मटिया जम्मू जिले के लक्षमीपुर प्रखंड के अंतर्गत आने वाला एक गाँव है जहाँ महिलाएं आत्मनिर्भर हैं । हम गुलाल ( अवीर ) बनाते हैं , हरा गुलाल पालक और कुछ अन्य पत्तियों से बनाया जाता है , नारंगी गुलाल नारंगी और गेंदे के फूलों से बनाया जाता है , लाल और गुलाबी गुलाल चुकंदर से बनाया जाता है । रंगीन गोलाल तैयार किया जाता है । एक रंग का गोलाल तैयार करने में दो दिन लगते हैं । पहले एक दिन में पचास से सत्तर रुपये कमाते थे , आज नेचर विलेज के तहत एक सौ तैंतीस रुपये मिलते हैं , जबकि तत्कालीन संभागीय अधिकारी निर्भय प्रताप सिंह के अनुसार , यहां की महिलाएं आनंदपुर मोहनपुर मटिया और उसके आसपास रहती हैं और उनकी गुलाल की मांग इतनी अधिक है कि पिछले चार दिनों में लगभग पांच कुंतल का ऑर्डर प्राप्त हुआ है । पहली सात महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया , जिसके बाद बाकी महिलाओं को पढ़ाया गया । आज के समय में एक दर्जन से अधिक महिलाएं इस काम से जुड़ी हुई हैं और हर्बल गुलाल बनाने के लिए काम कर रही हैं । आय में भी वृद्धि होती रहेगी , उन्होंने कहा कि नौकरी में शामिल होने के बाद उन्होंने कई जगहों पर नेचर विलेज की अवधारणा देखी थी , इस दौरान वे इस क्षेत्र में काम करने वाले कई पुरस्कार विजेता लोगों से भी मिले । आज वह सपना पूरा हुआ है और साकार हुआ है । इसके अलावा , हर्बल गुलाल के लाभों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि लोग बिना किसी चिंता के इसका उपयोग कर सकते हैं , जबकि बाजार में उपलब्ध रासायनिक गुलाल कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है ।

जल है तो कल है। जल दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कक्ष में शांति के लिए जल विषय पर एक दिवसीय सहयोगात्मक कार्यक्रम का आयोजन किया ।

प्रकृति और पर्यावरण से जोड़ने की एक नई और अनोखी पहल उत्तरप्रदेश के युवा ने की है। वो भारत भ्रमण कर लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

गर्मी एवं वायु प्रदूषण प्रभाव और इससे उत्पन्न होने वाली बीमारियों की रोकथाम, प्रबन्धन और तैयारी हेतु जनपदीय टास्क फोर्स की बैठक दिनांक 22.03.2024 को विकास भवन सभागार में अपराह्न 04.00 बजे मुख्य विकास अधिकारी संतोष कुमार वैश्य की अध्यक्षता में आयोजित की गयी है

सुप्रभात , मैं बंदिता श्रीवास्तव हूँ , दैनिक मोबाइल वाणी से बात कर रही हूँ । आज मैं आपसे चर्चा करूँगा कि पानी को कैसे बचाया जाए । पृथ्वी का सात प्रतिशत क्षेत्र पानी से ढका हुआ है , लेकिन इसका केवल तीन प्रतिशत है । यह पानी साफ है और मानव उपयोग के लिए उपयुक्त है । पर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्र में होने के बावजूद , पानी को पंप करने और फिर से पंप करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है । सौभाग्य से , प्रमाणित जर्मफोप से लेकर खाद्य खाद शौचालय स्तर के संरक्षण तक सभी के लिए जल संरक्षण के उपाय हैं । सदस्य का परिवार प्रतिदिन चार सौ पचास लीटर और एक सौ बीस गैलन पानी का उपयोग करता है । घर के काम जैसे मुंडन , सांप बनाना , नहाने के बर्तन बनाना और हाथ धोना नल बंद करके नहीं किया जाना चाहिए । ऐसा करते समय साबुन लगाते समय नल को बंद रखें और साबुन को हटाने के लिए जब तक आवश्यक हो तब तक नल को खुला रखें । वाल्व लें और इसे फव्वारे के नल के पीछे लगा दें । गर्म पानी के भरने की प्रतीक्षा करते समय नल और फव्वारे के ठंडे पानी को बर्बाद न होने दें । इसे संयंत्र में रखने के लिए फ्लश टैंक में भरें और इसे फ्लश करें , क्योंकि गर्म पानी की टंकी में ठंडे पानी की टंकी की तुलना में अधिक गाद और जंग होगी । इसके बावजूद , पानी पीने योग्य है ; यदि आप पानी के फिल्टर का उपयोग करते हैं , तो आप फ़िल्टर किए गए पानी को बोतल में डाल सकते हैं और ठंडा पानी पीने के लिए फ्रिज में रख सकते हैं ।

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प्लास्टिक के थैले से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है,विनोद कुमार सेठ,

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अंधराठाढ़ी के सखी संस्था परिषद में कार्यक्रम की शुरुआत अतिथिगण द्वारा दीप प्रज्वलित करते हुए उत्तरी बिहार में आधार भूमि और जल स्रोतों की अधिकता के बावजूद भूमिका चयन होना और उसका उपयोग पर सेमिनार का आयोजन किया गया सखी संस्था के सचिव सुमन सिंह ने बताया है की क्षेत्र के विकास हेतु एक राष्ट्रीय स्तर की आद्र भूमि अनुसंधान केंद्र बनाने की आवश्यकता है जो जल जैसे अमूल्य प्राकृतिक संसाधनों से अधिक उत्पादकता देकर क्षेत्र में खुशहाली ला सके और पर्यावरण सुरक्षित रखें यह बातें सखी संस्था द्वारा आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला ग्रामीण महिलाओं के लिए मानवाधिकार जागरूकता पर आयोजित कार्यशाला में ख्याति प्राप्त कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर जनार्दन ने कही ज्ञात भी हो कि पूरे देश में आधार भूमि विकास हेतु कोई शोध संस्थान नहीं है जिन कारण इन क्षेत्रों का क्रमिक ह्रास हो रहा है सखी संस्था की संचारी का श्रीमती सुमन सिंह ने संस्था की विकासात्मक गतिविधियों एवं महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु चल रहे कार्यक्रमों की विश्व की जानकारी दी कार्यक्रम का समापन सुश्री रश्मि सिंह के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।