बिहार राज्य के मुंगेर जिला के हवेली खड़कपुर से गोरेलाल मंडल ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जल को संरक्षित करना बहुत जरूरी है। जल संरक्षण करने से मनुष्य को दिक्कत नहीं होगा। जिनके पास जितनी जमीन हो उसमे तटबन्ध बनाकर जल संरक्षण करने की कोशिस करनी चाहिए
इस कार्यक्रम में हम जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और असमान बारिश के पैटर्न से उत्पन्न हो रहे जल संकट पर चर्चा करेंगे। "मौसम की मार, पानी की तकरार" से लेकर "धरती प्यासी, आसमान बेपरवाह" जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा। हम समझेंगे कि कैसे सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारे जल संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर क्या समाधान हो सकते हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं – आपके इलाक़े में पानी की क्या स्थिति है? क्या आपने कोई जल संरक्षण के उपाय अपनाए हैं? या आप इस दिशा में कोई क़दम उठाने की सोच रहे हैं?
बिहार राज्य के मुंगेर जिला के हवेली प्रखंड से गोरेलाल मंडल ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत में मुग़ल और अंग्रेजों के आने से पहले गांव में जल संचयन के लिए सामूहिक प्रयास किया जाता था। ग्रामीण बड़े - बड़े तटबंध तैयार करते थे। बाद में सरकार मदद करती थी। धीरे - धीरे यह प्रयास लुप्त होता गया और हम सरकार पर निर्भर होते चले गए। आपदा प्रबंधन के लिए जापान में पहले से ही तैयारी कर ली जाती है। भारत आपदा प्रबंधन के मामले में अभी बहुत पीछे है
इस कार्यक्रम में हम जानेंगे कि कैसे गाँव के लोग मिलकर अपने समुदाय को मजबूत बना रहे हैं। जल संरक्षण, ऊर्जा बचत और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सामूहिक प्रयासों की ताकत को समझेंगे। साथ ही, यह भी जानेंगे कि कैसे छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं और गाँव के विकास में योगदान दे सकते हैं। क्या आपके समुदाय में ऐसे समूह हैं जो जल संरक्षण, आपदा प्रबन्धन या संसाधन प्रबन्धन पर काम करते हैं? अगर हाँ, तो हमें बताएं कि वे कैसे काम करते हैं? और अगर नहीं, तो इस कार्यक्रम को सुनने के बाद क्या आप अपने समुदाय में ऐसे सामूहिक प्रयास शुरू करने के लिए तैयार हैं?
इस कार्यक्रम में हम जानेंगे जल संरक्षण और ऊर्जा बचत से जुड़ी सरकारी योजनाओं के बारे में। साथ ही, यह कार्यक्रम बताएगा कि आप इन योजनाओं का लाभ कैसे उठा सकते हैं और अपने गाँव के विकास में कैसे योगदान दे सकते हैं। स्वच्छ पानी और सतत ऊर्जा के महत्व को समझते हुए, हम एक बेहतर कल की ओर कदम बढ़ाएंगे। क्या जल सरंक्षण की योजनाओं के बारे में आपने भी सुना है, क्या आप इन योजनाओं का लाभ आपने भी उठाया है, क्या आपके गाँव में जल सरंक्षण की कोई प्रेरणादायी कहानी है ?
बिहार राज्य के मुंगेर जिला के हवेली खड़गपुर से गोरेलाल मंडल ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पानी को बर्बाद नही करना चाहिए। उपयोग के बाद नल का टैब बंद कर देना चाहिए। सार्वजानिक जगहों पर आय दिन पानी की बर्बादी देखने को मिलती है। शिक्षित और अशिक्षित दोनों प्रकार के लोग पानी की बर्बादी करते हैं। पानी ऐसे ही बर्बाद होता रहा तो, इसकी भरपाई करना मुश्किल होगा।
यह एपिसोड बताता है कि हम अपने रोज़मर्रा के जीवन में कैसे छोटे-छोटे बदलाव करके बिजली और पानी बचा सकते हैं। इससे न सिर्फ हमारा खर्च कम होगा, बल्कि हम अपनी धरती की भी रक्षा कर पाएंगे। आसान तरीकों से हम सभी मिलकर पर्यावरण को बचाने में मदद कर सकते हैं।क्या आपने भी अपनी ज़िन्दगी में कुछ ऐसे बदलाव किए हैं? अगर हाँ, तो हमें बताइए।
दोस्तों, हमारे आपके बीच ऐसी महिलाओं के बहुत से उदाहरण हैं, पर उन पर गौर नहीं किया जाता. अगर आपने गौर किया है तो हमें जरूर बताएं. साथ ही वे महिलाएं आगे आएं जो घंटों पानी भरने और ढोने का काम करती हैं. उनका अपना अनुभव कैसा है? वे अपने जीवन के बारे में क्या सोचती हैं? क्या इस काम के कारण उनका जीवन नरक बन रहा है? क्या वे परिवार में पानी की आपूर्ति के चक्कर में अपना आत्मसम्मान खो रही हैं? क्या कभी ऐसा कोई वाक्या हुआ जहां पानी के बदले उनसे बदसलूकी की गई हो, रास्ते में किसी तरह की दुर्घटना हुई हो या फिर किसी तरह के अपशब्द अपमान सहना पडा?
बिहार राज्य के मुंगेर जिला से गोरेलाल मंडल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि बढ़ती जनसंख्या में पर्यावरण को संतुलित करना बहुत जरूरी है। इसके लिए सभी लोगों को वृक्ष लगाना चाहिए। अभी जो फुल पौधे लगाए जाते हैं इससे पर्यावरण संतुलित नहीं हो पाता। इसलिए कभी बहुत अधिक बारिश होगी, कभी सूखा पड़ेगा, और किसानों की समस्या भी होगी। वे अपने घर के पास की जमीन पर आम का एक पौधा लगा रहे हैं, जो प्रदुषण बचाव के साथ-साथ मनुष्य के लिए भी छायादार होगा.सभी को वृक्ष लगाना चाहिए ताकि पर्यावरण संतुलित सके
बिहार राज्य के मुंगेर जिला से गोरेलाल मंडल ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बरसात के पानी का जल संरक्षण कर के किसानों को लाभ उठाना चाहिए। पिने का पानी साफ़ रखना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में पहले नदी और नहर के पानी को बांध कर के रखा जाता था। बाद में किसान इस पानी से सिंचाई करते थे।अब किसान तकलीफ उठा लेते हैं,मगर पानी जमा करने के बारे में नही सोचते हैं । मनरेगा में जन प्रतिनिधि अपने तरीके से काम करवाते हैं और अपने लोगों को ही सिंचाई की सुविधा देते हैं। बाकि लोगों को सिंचाई करने नही मिलता है