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दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।

धरहरा प्रखंड के उच्च माध्यमिक विद्यालय धरहरा नंबर वन में मंगलवार को भारत स्काउट गाइड ने पौधारोपण कर प्रकृति को संरक्षित रखने का संदेश दिया। इस दौरान छात्र - छात्रों ने 100 से अधिक पौधे लगाकर उनके संरक्षण की जिम्मेदारी लिया। साथ ही आम लोगों से भी पौधारोपण करने की अपील किया। जिला प्रशिक्षक रामविलास कुमार के नेतृत्व में फलदार पौधे लगाकर उनकी देखभाल करने की जिम्मेदारी ली गई। इस मौके पर स्काउट गाइड ने स्कूल में स्वच्छता कार्यक्रम चलाकर बच्चों को स्वच्छता के लिए प्रेरित किया । उन्होंने कहा कि शुद्ध वायु और पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में पेड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका है। सभी लोग कम से कम एक पौधा अवश्य लगाएं और उसकी देखभाल करना सुनिश्चित करें। इस मौके पर एचएम सपना कुमारी सिंह, मुस्कान कुमारी, सावन कुमार सहित अन्य मौजूद थे।

मानसून प्रवेश होने वाला है वर्षा होते ही पूरे शहर में पैदल चलना दूभर हो जाएगा

दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और इससे जलवायु में होता जा रहा परिवर्तन अब मानव जीवन के हर पहलू के लिए ख़तरा बन चुका है। यदि जलवायु परिवर्तन को समय रहते न रोका गया तो लाखों लोग भुखमरी, जल संकट और बाढ़ जैसी विपदाओं का शिकार होंगे। यह संकट पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा। आने वाले समय में तापमान इस क़दर बढ़ जाएगा कि मानव जीवन पर संकट आ सकता है, और इन सब प्राकृतिक आपदाओं के फ़लस्वरूप कई प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं. मानव समाज के आगे यह एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इस चुनौती से निपटने के लिए कुछ संभावित समाधान भी हैं. सुनने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

फोर लाईन परियोजना के प्रारंभ होते ही धुलो के अंम्वार हो चुकी हैं परियोजना निर्माण कंम्पणी के लोगो को पानी छिरकाव करनी चाहिए परंन्तु देखा नही जा रही है

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दोस्तों, हमारे आपके बीच ऐसी महिलाओं के बहुत से उदाहरण हैं, पर उन पर गौर नहीं किया जाता. अगर आपने गौर किया है तो हमें जरूर बताएं. साथ ही वे महिलाएं आगे आएं जो घंटों पानी भरने और ढोने का काम करती हैं. उनका अपना अनुभव कैसा है? वे अपने जीवन के बारे में क्या सोचती हैं? क्या इस काम के कारण उनका जीवन नरक बन रहा है? क्या वे परिवार में पानी की आपूर्ति के चक्कर में अपना आत्मसम्मान खो रही हैं? क्या कभी ऐसा कोई वाक्या हुआ जहां पानी के बदले उनसे बदसलूकी की गई हो, रास्ते में किसी तरह की दुर्घटना हुई हो या फिर किसी तरह के अपशब्द अपमान सहना पडा?

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साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?