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टीबी है एक संक्रामक बीमारी इसलिए हमेशा रहें सावधान - दो हफ्ते से ज्यादा खाँसी रहने पर तुरंत कराएं जाँच सभी अस्पतालों में उपलब्ध है मुफ्त जाँच की व्यवस्था - जिलाभर के हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर स्तर पर हो रही है सैम्पलिंग - निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी मरीजों को सरकार द्वारा दी जाती है सहायता राशि

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मुंगेर, अब नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत जिले के 10 से 16 आयु वर्ग के दायरे में आने वाले सभी किशोर-किशोरियों को टीडी की वैक्सीन दी जाएगी। जिसे सुनिश्चित कराने को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने पत्र जारी कर प्रदेश के सभी सिविल सर्जन को जरूरी और आवश्यक निर्देश दिए हैं। जिसमें कहा है कि उक्त कार्य आरबीएसके (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) टीम के सहयोग से किया जाना है। दरअसल, आरबीएसके टीम द्वारा पूर्व से वार्षिक कार्य योजना के तहत स्कूली बच्चों को नियमित अंतराल पर स्वास्थ्य जाँच की जाती है। जिसके कारण इस टीम के माध्यम से कार्य कराना सुविधाजनक होगा और शत-प्रतिशत बच्चों की टीडी वैक्सीनेशन सुनिश्चित होगा। इसके अलावा पीएचसी स्तर पर हर जरूरी सुविधा उपलब्ध कराने को कहा गया है।

मुंगेर, 7 मई। कोरोना की चौथी लहर आने की संभावनाh बनी हुई है । ऐसे में कुछ लोगों में इसको लेकर डर भी पैदा हो गया है, लेकिन लोगों को इससे डरने के बजाय कोरोना से सतर्क रहने की जरूरत ज्यादा है। यदि लोग सतर्क रहेंगे तो कोरोना की चपेट में आने से बचे रहेंगे। इसलिए कोरोना का डर मन से निकाल दीजिए और घर से बाहर जाते वक्त मास्क लगाइए और सामाजिक दूरी के नियम का पालन कीजिए। पिछली तीन लहरों के दौरान देखा गया है कि जो लोग सतर्क रहे, वे लोग कोरोना की चपेट में आने से बचे रहे। इसलिए सतर्कता पर ध्यान देने की जरूरत है।जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राजेश कुमार रौशन ने बताया कि कोरोना ही नहीं, बल्कि किसी भी बीमारी से बचाव में सतर्कता सबसे बड़ा हथियार होता है। कोरोना में भी यही बात लागू होती है। कोरोना को लेकर तो पिछले दो सालों का लोगों के पास अनुभव भी है और आदत भी । अभी भी सतर्क रहने की आदत को बरकरार रखने की जरूरत है। बहुत सारे लोग अभी भी मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकलते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो इसका पालन नहीं करते। ऐसे लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। कोरोना से बचाव एक तरह से सामूहिक जिम्मेदारी है। जिसमें सभी लोगों को अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है।

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स्कूल स्तर पर 12 से 14 आयु वर्ग के बच्चों के कोविड वैक्सीनेशन के लिए जारी किए गए नए दिशा -निर्देश - राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार के राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने सभी जिलों के सिविल सर्जन, डीआईओ और जिला शिक्षा पदाधिकारी को जारी किए निर्देश - देश के कई राज्यों में टीकाकरण के बाद इस आयु वर्ग के बच्चों के हॉस्पिटलाइजेशन की सूचना मिलने के बाद जारी किया गया दिशा- निर्देश मुंगेर, 2 अप्रैल। स्कूल के स्तर पर 12 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के कोविड वैक्सीनेशन के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति ने नए दिशा -निर्देश जारी किए हैं। इसको ले राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार के राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने डॉ. नरेंद्र कुमार सिन्हा ने राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जन, डीआईओ और जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र जारी कर आवश्यक दिशा- निर्देश जारी किए हैं। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी (डीआईओ) डॉ. राजेश कुमार रौशन ने बताया कि राज्य के सभी जिलों में 12 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए स्कूल स्तर पर ही कोरोना की वैक्सीन लगाई जा रही है। राज्य स्वास्थ्य समिति से प्राप्त सूचना के अनुसार देश के कई राज्यों में उक्त आयु वर्ग के कई बच्चों के कोरोना टीकाकरण के बाद उनके हॉस्पिटलाइजेशन की सूचना प्राप्त हुई है। इसके प्रारंभिक कारणों में बच्चों में एंग्जायटी पायी गयी है जिसमें बच्चे डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। इसको देखते हुए उक्त आयु वर्ग के बच्चों के लिए विद्यालय स्तर पर लगाए जा रहे सत्र स्थलों पर निम्नलिखित दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं - - टीकाकरण कक्ष में एक समय में केवल एक ही बच्चा का प्रवेश कराया जाय। - प्रतीक्षा, टीकाकरण एवं 30 मिनट के अवलोकन के लिए अलग-अलग कमरे का प्रबंध किया जाय। - टीकाकरण की प्रतीक्षा करने वाले बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करायी जाय तथा वहां लंबी लाइन नहीं लगाई जाय। - टीकाकरण के लिए बच्चों को खाली पेट नहीं रखा जाय। - टीकाकरण की प्रक्रिया से बच्चों का ध्यान नहीं हटाने के लिए अवलोकन कक्ष में खेल, मनोरंजन आदि का व्यवस्था की जाय। उन्होंने बताया कि विद्यालय स्तर पर 12 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों का टीकाकरण स्थानीय स्तर पर कार्यरत शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर कराए जाएंगे।

22 अप्रैल को जिलाभर में मनाया जाएगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस - सरकारी और निजी विद्यालयों सहित आंगनबाड़ी केंद्रों पर 26 अप्रैल को आयोजित होगा मॉप अप दिवस - 1 से 19 वर्ष तक सभी बच्चों और किशोर-किशोरियों को खिलाई जाएगी अल्बेंडाजोल की कृमि नाशक दवा मुंगेर, 1 अप्रैल। आगामी 22 अप्रैल को मुंगेर सहित राज्य के 31 जिलों में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस और 26 अप्रैल को मॉप अप दिवस मनाया जाएगा। भारत सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार 1 से 19 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों और किशोरों को कृमि से बचाने के लिए आगामी 22 अप्रैल को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाना है। इस दौरान जिला के सभी सरकारी और निजी विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, मदरसा, संस्कृत विद्यालय सहित तकनीकी संस्थान, पॉलिटेक्नीक और आईटीआई संस्थान के साथ-साथ आगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 1 से 19 आयु वर्ग के बच्चों और किशोर-किशोरियों को कृमि नाशक दवा अल्बेंडाजोल 400 एमजी का सेवन कराया जाएगा। इस दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का अक्षरशः पालन किया जाएगा। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राजेश कुमार रौशन ने कहा कि बच्चों में कृमि संक्रमण , व्यक्तिगत अस्वच्छता तथा संक्रमित दूषित मिट्टी सम्पर्क से होता है। कृमि के संक्रमण से बच्चों के पोषण स्तर एवम हीमोग्लोबिन स्तर पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ता है। जिससे बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास प्रभावित होता है। उन्होंने बताया कि पीजीआई चंडीगढ़, आरएमआरआई पटना, एनआईई चेन्नई, सहयोगी संस्था एविडेंस एक्शन एवम राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार के द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार बच्चों में कृमि संक्रमण का दर 2011 की तुलना में सन 2019 में 65 प्रतिशत से घटकर 24 प्रतिशत पर आ गया है । उन्होंने बताया कि 1 से 2 वर्ष के बच्चों के अल्बेंडाजोल 400 एमजी टैबलेट का आधा चूरकर पानी के साथ खिलाना है वहीं 2 से 3 वर्ष के बच्चों को अल्बेंडाजोल 400 एमजी का एक टैबलेट चूरकर पानी के साथ खिलाना है। इसके साथ ही 3 से 19 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों और किशोरों को एक पूरी टैबलेट चबाकर खिलानी है। इसके बाद ही पानी का सेवन करना है। इस अति महत्वपूर्ण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आशा कार्यकर्त्ता, आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका, जीविका दीदियों सहित स्वास्थ्य विभाग के सहयोगी संस्थाएं एवं हितधारी संगठनों से भी अपेक्षित सहयोग लिया जाएगा । इसके साथ ही इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आवश्यक प्रचार- प्रसार भी किया जाएगा। शारीरिक एवं मानसिक विकास बाधित करते हैं कृमि - कृमि संक्रमण के प्रभाव एवं संचरण चक्र पर प्रकाश डालते हुए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. राजेश कुमार रौशन ने बताया कि कृमि ऐसे परजीवी हैं जो मनुष्य के आंत में रहते हैं। आंतों में रहकर ये परजीवी जीवित रहने के लिए मानव शरीर के आवश्यक पोषक तत्वों पर ही निर्भर रहते हैं। जिससे मानव शरीर आवश्यक पोषक तत्वों की कमी का शिकार हो जाता जिससे वे कई अन्य प्रकार की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। खासकर बच्चों और किशोर एवं किशोरियों पर कृमि के कई दुष्प्रभाव पड़ते हैं। जैसे- मानसिक और शारीरिक विकास का बाधित होना, कुपोषण का शिकार होने से शरीर के अंगों का विकास अवरूद्ध होना, खून की कमी होना आदि जो आगे चलकर उनकी उत्पादक क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। कृमि का संचरण चक्र संक्रमित बच्चे के खुले में शौच से आरंभ होता है। खुले में शौच करने से कृमि के अंडे मिट्टी में मिल जाते और विकसित होते हैं। अन्य बच्चे जो नंगे पैर चलते हैं या गंदे हाथों से खाना खाते हैं या बिना ढके हुए भोजन का सेवन करते हैं आदि लार्वा के संपर्क में आकर संक्रमित हो जाते हैं। इसके लक्षणों में दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी और भूख का न लगना आदि हैं। संक्रमित बच्चों में कृमि की मात्रा जितनी अधिक होगी उनमें उतने ही अधिक लक्षण परिलक्षित होते हैं। हल्के संक्रमण वाले बच्चों व किशोरों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखाई पड़ते हैं।

चार्ली चैप्लिन द्वितीय राजन कुमार ने गुड़ी पड़वा की पूर्व संध्या पर दी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं बिहार पुत्र हीरो राजन कुमार के लिए महाराष्ट्र का हर फेस्टिवल भी बेहद खास होता है। वह मुम्बई में हर पर्व को मनाते हैं और मराठी समुदाय के हर एक फंक्शन के हिस्सा होते है। अब जबकि महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना से जुड़ी तमाम पाबंदियां हटा दी हैं, मास्क पहनना जरूरी नहीं रह गया है, ऐसे में गुड़ी पड़वा को लेकर हीरो राजन कुमार का उत्साह दुगना है। उन्होंने गुड़ी पड़वा की पूर्व संध्या पर चार्ली चैप्लिन बनकर लोगों को इस पावन पर्व की बधाई दी है। अभिनेता राजन कुमार के इस अंदाज को मुंबईकरों ने काफी पसन्द किया है। राजन कुमार आज और कल दो दिनों तक चार्ली चैप्लिन 2 के रूप में महाराष्ट्र के इस महाउत्सव पर लोगों का मनोरंजन करते रहेंगे। गौरतलब है कि हिन्दू नववर्ष की शुरुआत की खुशी में हर वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इस बार 2 अप्रैल को यह त्योहार मनाया जाएगा। आपको बता दें कि बिहार के सुपुत्र राजन कुमार की अर्धांगिनी महाराष्ट्र से बिलॉन्ग करती हैं और जीवन संगिनी के साथ गुड़ी पड़वा का फेस्टिवल उनके लिए इस वजह से बेहद खास हो जाता है क्योंकि वह फूडी पर्सन हैं। खाना उन्हें खूब पसन्द है। गुड़ी पड़वा पर कई खास पकवान बनाए जाते हैं. इस दिन बनने वाली पूरन पोली को राजन कुमार काफी खाते हैं। उल्लेखनीय है कि राजन कुमार की पत्नी एक सशक्त अधिवक्ता हैं जो सेशन कोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं। उनके हाथों से बना व्यंजन खाकर राजन कुमार का दिल खुशियो से भर जाता है। अपनी जन्मभूमि बिहार और कर्मभूमि मुम्बई के बीच संतुलन स्थापित करना बहुत मुश्किल होता है मगर राजन कुमार अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी समझते हैं। यही वजह है कि बिहार में बन रहा कला ग्राम राजन कुमार का सपना है। यह बिहार का पहला ऐसा कलाग्राम होगा, जो लोक कलाकारों के लिए एक उपयोगी प्लेटफार्म होगा ताकि राष्ट्रीय स्तर पर वह परफॉर्म कर सकेंगे। दूसरी तरफ राजन कुमार की मुम्बई मे भी काफी व्यस्तता रहती है, फिल्मों, सीरियल्स, वेब सीरीज,शार्ट फिल्मों, म्यूज़िक वीडियो की शूटिंग से लेकर लाइव स्टेज शोज़ तक और इन तमाम चीजों को मैनेज करने में राजन कुमार और कल्पना जी के होनहार पुत्र राजवीर का बहुत बड़ा हाथ होता है। इस मौके पर राजन कुमार ने डॉ अनिल काशी मुरारका, डॉ पवन अग्रवाल और कुमार बिहारी पाण्डेय के सपोर्ट के लिए उनका शुक्रिया अदा किया है। यूथ होस्टल एसोसिएशन पटना ने राजन कुमार को लाईफ़ मेम्बरशिप दी है और इस सिलसिले में राजन कुमार की मीटिंग बिहार के मंत्री शाहनवाज हुसैन के साथ होनी है। गुड़ी पड़वा की रात में ही राजन कुमार डॉ पवन अग्रवाल के साथ पटना के लिए निकल जाएंगे। पटना में इनके भव्य स्वागत की तैयारी हो रही है। राजन कुमार बिहार के 2 दिनों के प्रवास में कई जरूरी मीटिंग करेंगे और आगे की रणनीति पर काम करेंगे।

मंगलवार को मुंगेर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में 2011 लोगों की कोविड-19 जांच कराई गई नहीं मिले एक भी लोग संक्रमित इसकी जानकारी सिविल सर्जन डॉ आनंद शंकर शरण सिंह ने दिए।