भारत का आम समाज अक्सर सरकारी सेवाओं की शिकायत करता रहता है, सरकारी सेवाओं की इन आलोचनाओं के पक्ष में आम लोगों सहित तमाम बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों तक का मानना है कि खुले बाजार से किसी भी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों में कंपटीशन बढ़ेगा जो आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देगा। इस एक तर्क के सहारे सरकार ने सभी सेवाओं को बाजार के हवाले पर छोड़ दिया, इसमें जिन सेवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है। इसका खामियाजा गरीब, मजदूर और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।

बनो नई सोच ,बुनो हिंसा मुक्त रिश्ते की आज की कड़ी में हम सुनेंगे महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और हिंसा के बारे में।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

बनो नई सोच ,बुनो हिंसा मुक्त रिश्ते की आज की कड़ी में हम सुनेंगे महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और हिंसा के बारे में।

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दहेज में परिवार की बचत और आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता है. वर्ष 2007 में ग्रामीण भारत में कुल दहेज वार्षिक घरेलू आय का 14 फीसदी था। दहेज की समस्या को प्रथा न समझकर, समस्या के रूप में देखा जाना जरूरी है ताकि इसे खत्म किया जा सके। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आपके क्या विचार है ? *----- आने वाली लोकसभा चुनाव में दहेज प्रथा क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

बनो नई सोच ,बुनो हिंसा मुक्त रिश्ते की आज की कड़ी में हम सुनेंगे यौन हिंसा के बारे में।

बिहार राज्य के समस्तीपुर जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता रत्न शंकर ने बताया की विद्यापतिनगर बाल विकास परियोजना कार्यालय की देखरेख में गुरुवार को मतदाता जागरूकता अभियान चलाया गया। वहीं विभिन्न गांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्रों पर रंगोली बनाकर मतदान करने के लिए लोगों को जागरूक किया गया। एवं सेविकाओं ने रंगोली बनाकर मतदान के महत्व को लोगों को बताया। साथ ही बाल विकास परियोजना कार्यालय में गुरुवार को पोषण मेला का आयोजन किया गया। मौके पर सीडीपीओ रश्मि शिखा मुख्य रूप से मौजूद थीं। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में पोषण एवं विशेष खान-पान, पौष्टिक एवं समुचित भोजन के प्रकार व मात्रा, प्रसव पूर्व व प्रसव बाद की सुरक्षा एवं जच्चा-बच्चा की देखभाल के प्रति जागरूक किया गया। वहीं कुपोषण को दूर करने के उद्देश्य से स्टॉल लगाकर हरी सब्जी से लेकर विभिन्न पौष्टिक फल व आहार का नियमित रूप से सेवन करने के लिए महिलाओं को प्रेरित किया गया। कार्यक्रम के दौरान गर्भवती महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृत्व योजना, जननी बाल सुरक्षा योजना, मातृत्व एवं शिशु सुरक्षा कार्ड का महत्व, प्रसव पूर्व व बाद के जांच का महत्व, प्रसव से संबंधित परेशानियों की पहचान सहित कई अन्य आवश्यक जानकारी दी गयी। साथ ही पोषक क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं की गोद भराई उत्सव भी मनाया गया। गर्भवती महिलाओं के बीच पौष्टिक आहार का वितरण किया गया। वहीं मुंह जुट्ठी कार्यक्रम का भी आयोजन कर छह माह उम्र के बच्चे को पौष्टिक आहार खिलाया गया। कार्यक्रम के दौरान सीडीपीओ ने गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य की समुचित देखभाल करने की सलाह दी। ताकि जच्चा बच्चा सुरक्षित रह सके। इस मौके पर एलएस कंचन कुमारी वन ,शिप्रा कुमारी, कंचन कुमारी टू, पार्वती सिन्हा सहित सेविका सहायिका आदि मौजूद थीं।ज़्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।