जमुई जिले के सिकन्दरा प्रखंड में बुधवार को सुबह से ही भारत बंद का व्यापक असर देखने को मिला ,वही यातायात पूरी तरह से ठप रहा ! बताते चले कि अनुसूचित जाति एवम अनुसूचित जनजाति के बैनर तले सैकड़ो युवा हाथों में झंडा लिए जय भीम के नारे लगाते हुए सिकन्दरा चौक के मुख्य चौराहा को जाम कर दिया गया। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

21 अगस्त को भारत बंद के लेकर जागरूकता अभियान जमुई जिला के हर प्रखण्ड में चलाया जा रहा है पूर्व बिहार विधान सभा अध्यक्ष श्री उदय नारायण चौधरी जी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश राजनीति सडयंत्र के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण में वर्गीकरण करने का फरमान के विरोध में 21 अगस्त 2024 को भारत बंद के समर्थन में आज जमुई जिला के हर प्रखण्ड में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

जिला बार एसोसिएशन ने किया प्रदर्शन , प्रभारी डीएम को दिया ज्ञापन। जमुई व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता मो. साकिब जफर मल्लिक उर्फ मुन्ना मल्लिक पर अपराधियों ने जानलेवा हमला किया। इस हमले में वे जख्मी हो गए। उनका इलाज जारी है। वे खतरे से बाहर बताए जाते हैं।

CRISIL के अनुसार 2022-23 में किसान को MSP देने में सरकार पर ₹21,000 करोड़ का अतिरिक्त भार आता, जो कुल बजट का मात्र 0.4% है। जिस देश में ₹14 लाख करोड़ के बैंक लोन माफ कर दिए गए हों, ₹1.8 लाख करोड़ कॉर्पोरेट टैक्स में छूट दी गई हो, वहां किसान पर थोड़ा सा खर्च भी इनकी आंखों को क्यों खटक रहा है? आप इस पर क्या सोचते है ? इस मसले को सुनने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

देश के किसान एक बार फिर नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले साल नवंबर 2020 में किसानों ने केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के रद्द करने के लिए दिल्ली में प्रदर्शन किया था और इसके बाद अगले साल 19 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार ने तीनों कानून वापस ले लिए थे, हालांकि इस दौरान करीब सात सौ किसानों की मौत हो चुकी थी। उस समय सरकार ने किसानों की कुछ मांगों पर विचार करने और उन्हें जल्दी पूरा करने का आश्वासन दिया था लेकिन ऐसा अब तक नहीं हआ है। और यही वजह है कि किसान एक बार फिर नाराज़ हैं।

सरकार को भारत रत्न देने के अलावा किसानों को उनके अधिकार भी देने चाहिए , आखिर उनकी मांग भी तो बहुत छोटी सी है कि उन्हें उनकी फसलों का बेहतर मूल्य मिले। हालांकि किसानों की इस मांग का आधार भी एम एस स्वामीनाथन समिति की सिफारिशें हैं जो उन्होंने आज से करीब चार दशक पहले दी थीं। इन चार दशकों में न जाने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करने का वादा करके न जाने कितनी सरकारें आईं और गईं, इनमें वर्तमान सरकार भी है जिसने 2014 के चुनाव में इन सिफारिशों को लागू करने का वादा प्रमुखता से किया था। -------दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, क्या आपको भी लगता है कि किसानों की मांगो को पूरा करने की बजाए भारत रत्न देकर किसानों को उनके अधिकार दिलाए जा सकते हैं? --------या फिर यह भी किसानों को उनके अधिकारों को वंचित कर उनके वोट हासिल करने का प्रयास है.

सिकंदरा प्रखंड के सभी शिक्षक/ शिक्षिका भाई बहनों से अनुरोध है कि आज दिनांक 10/0 2/24 प्रदेश के कार्यक्रम बिहार शिक्षक एकता मंच के प्रदेश पदाधिकारी के आवाहन पर आज 5:00 बजे शाम को जिला मुख्यालय में कार्यक्रम रखा गया है इसके लेकर आप सभी शिक्षक/ शिक्षिका भाई बहनों से अनुरोध है कि सिकंदरा बीआरसी में समय 3:30 बजे सभी शिक्षक /शिक्षिका अनिवार्य रूप से उपस्थित हो उपस्थित होने के पश्चात सिकंदरा से बस के द्वारा मसाल जुलूस में भाग लेने के लिए जमुई जाना है और इसके लिए बस की सारी तैयारियां हो चुकी है

बिहार राज्य के जमुई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता नरेंद्र कुमार ने बताया की अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे धरनार्थियों ने कचहरी चौक पर मतस्य पदाधकारी और कार्यपालक अभियंता का पुतला दहन किया। किसानो ने अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया था। ज़्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

एक सामान्य समझ है कि कानून और व्यवस्था जनता की भलाई के लिए बनाई जाती है और उम्मीद की जाती है कि जनता उनका पालन करेगी, और इनको तोड़ने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसके उलट भारतीय न्याय संहिता में किये गये हालिया बदलाव जनता के विरोध में राज्य और पुलिस को ज्यादा अधिकार देते हैं, जिससे आभाष होता है कि सरकार की नजर में हर मसले पर दोषी और पुलिस और कानून पूरी तरह से सही हैं।

यह भावनाओं के आहत होने का दौर है पता नहीं चलता कब किसकी कौन सी भावना आहत हो जाए। इन खिलाड़ियों के ऐसा करने के पीछे का कारण एक बाहुबली नेता के सहयोगी का एक खेल संघ के अध्यक्ष पद पर चुना जाना। इससे पहले वह नेता ही बीते दशक भर से इस संघ को चला रहा था, उस पर नाबालिगों के यौन शौषण के आरोप हैं, पुलिस इसकी जांच कर रही है लेकिन इस जांच के क्या नतीजे होंगे उसको क्या सजा मिलेगी यह सब सरकार की मर्जी पर निर्भर करता है । *------दोस्तों आपको क्या लगता है क्या हमारे देश के पहलवान जो यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं वे अपनी जगह पर ठीक हैं या उनमें कुछ है जो उन्हें गलत साबित करता है, उन्हें किसी के हाथ का खिलौना बनाता है। हो सकता है कि आप इन दोनों में से किसी एक विचार से सहमत हों। वह विचार चाहे जो भी हो उसे कहिए, बोलिए, हमें बताइए, क्योंकि एक महान लोकतंत्र के लिए लोगों का बोलना ज़रूरी है