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दुर्गा पूजा में शांति व्यवस्था को लेकर झाझा पुलिस ने झाजसर क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में किया फ्लेग मार्च

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गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर नगर पंचायत अंतर्गत गांधी बाजार स्थित प्रखंड का एक मात्र भगवान गणेश मंदिर में नवयुवक क्लब द्वारा भव्य पंडाल स्थापित कर सोमवार की देर रात गणेश महोत्सव पूजन का शुभारंभ किया गया। पुरोहित पंडित विजय पांडेय ने प्रथम पूज्य भगवान गणेश की प्राण प्रतिष्ठा करने के पश्चात पूजन प्रारंभ किया। पूजन में पुरोहित के साथ पवन केसरी यजमान के रूप में पूजन किया। तत्पश्चात श्रद्धालुओं के लिए पट खोल दिया गया।प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी पूजा को लेकर मंदिर व पूजा पंडाल के आसपास आकर्षक रूप से पुष्प सज्जा तथा विद्युत सज्जा किया गया है,जो श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है।मंदिर निर्माण से लेकर उसके पूजन में वर्षों से पुरोहित के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे विजय पांडेय ने बताया कि पहले से गणेश महोत्सव पूजन होते आ रहा था।बहरहाल वर्ष 1984 में नवयुवकों की एक टोली बनी जिसमें शिव शंकर रजक,विश्वनाथ गुप्ता,अशोक केशरी के अलावा दर्जनों अन्य गांधी बाजार के बुद्धिजीवियों के अथक प्रयास से गणेश मंदिर का निर्माण कराया गया। तब से लेकर आज तक भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती रही है।बताया कि ऐसी किवदंती रही है कि जो सच्चे मन से श्रद्धा भाव पूर्वक भगवान गणेश के समक्ष अरदास लगाया है उसकी मन्नतें अवश्य पूरी हुई है।जिसका उदाहरण शिक्षक शिवशंकर रजक है,उन्हें पुत्र नहीं था,भगवान से मन्नतें मांगी और पुत्र प्राप्ति के बाद पूजा अर्चना फलीभूत हुई।इसके बाद शिवशंकर ने सीमेंट से भगवान गणेश की प्रतिमा का निर्माण कराया।बताया कि शिवशंकर के जैसे अनेकों उदाहरण हैं जिनकी मन्नतें भगवान की कृपा से पूर्ण हुई है। विसर्जन में हाथी,घोड़े व ढोल नगाड़ा बढ़ाता है शोभा तीन दिवसीय गणेशोत्सव पूजन कार्यक्रम के बाद भगवान गणेश की प्रतिमा विसर्जन में हाथी,घोड़े के साथ ढोल नगाड़ा एक अलग शोभा बढ़ाता है।दरअसल नवयुवकों की टोली के नेतृत्व में भगवान गणेश की प्रतिमा का हाथी घोड़े ऊंट एवं ढोल-नगाड़े के साथ भव्य विसर्जन जुलूस निकाला जाता है। विसर्जन के दौरान ढोल नगाड़ों की थाप व डीजे की धुन पर युवा भक्त थिरकते नजर आते हैं। वहीं श्रद्धालुओं द्वारा लगाए जयकारों से दिशायें गुंजायमान हो उठती है।विसर्जन जुलूस गांधी बाजार से शुरू होकर पूरे बाजार व मुख्य चौक का भ्रमण करते हुए शिवनाथी पोखर पहुंचती है। जहां गगनभेदी जयकारों व गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आना की गूंज के बीच प्रथम पूज्य भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है।