भारत जैसे देश में जहां सासंकृतिक सामाजिक और राजनीतिक असमानताओं की खाई बहुत ज्यादा गहरी है, ऐसे में यह कह पाना कि सबकुछ एक समान है थोड़ी ज्यादती है। आप हमें बताइए कि "*----- महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं में शामिल करने और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- समुदाय-आधारित पहल और सामाजिक उद्यमिता गरीबी उन्मूलन में कैसे योगदान दे सकते हैं?
उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधवी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से निधि से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि गांव के विकास के लिए या अपने स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए अगर महिलाएँ शिक्षित होंगी तो गाँव का विकास होगा और अगर एक महिला शिक्षित होगी तो वह हर महिला को किसी न किसी तरह से शिक्षित कर सकती है साथ ही गांव का भी विकास होगा।
उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से सायरा बानो मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिला शिक्षा के साथ रोजगार की समस्या बढ़ती जा रही है। अब शिक्षित महिलाएं भी नौकरियों की ओर आकर्षित हो रही हैं। लड़कियाँ लड़कों से बहुत आगे हैं। अगर महिला उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाए तो बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो जाएगा।
बेरोजगारी आजकल अपने चरम पर है और विशेष रूप से महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। इसलिए महिलाओं को समाज में आगे आकर रोजगार और स्व-रोजगार के बारे में सोचना और कार्य करना चाहिए। इससे हमारी महिलाएं अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारेंगी और अपने परिवार और समाज की अर्थव्यवस्था को भी सुधारेंगी। एक अच्छा संदेश आएगा ताकि अधिक से अधिक महिलाएं अपना स्व-रोजगार करने के लिए प्रेरित हों।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि 2024 के लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। या मुद्दा कोई और नहीं बल्कि वह है जिससे हम पहले दिन से जूझ रहे हैं वह है बेरोजगारी मुद्रास्फीति और विकास का कहना है कि चुनावी मुद्दा बेरोजगारी मुद्रास्फीति भ्रष्टाचार है लेकिन आपका घोषणापत्र। पत्र में इसे दिए गए महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पंद्रह हजार से अधिक शब्द वाले घोषणापत्र में मुद्रास्फीति शब्द का उपयोग तीन स्थानों पर किया गया है। समाजवादी पार्टी अपने चुनावी घोषणापत्र में दूध सहित सभी फसलों के लिए एम. एस. पी. की कानूनी गारंटी देने में अग्रणी रही है।
2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।
तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।
राज्य में दिन-प्रतिदिन बेरोजगारी बढ़ती ही जा रही है तथा पढ़े-लिखे लोग भी बेरोजगार बैठे हुए हैं
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सरकार का दावा है कि वह 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन दे रही है, और उसको अगले पांच साल तक दिये जाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में यह भी दावा किया कि उनकी सरकार की नीतियों के कारण देश के आम लोगों की औसत आय में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस दौरान वित्त मंत्री यह बताना भूल गईं की इस दौरान आम जरूरत की वस्तुओं की कीमतों में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है।