कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला गोंडा से लक्ष्मी गोस्वामी , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि सड़क बहुत ख़राब है जिसके कारण लोग परेशान है।

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

गोंदा

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गोंडा ,नमस्कार , मैं माधि श्रीवास्तव हूँ जो गोंडा मोबाइल वानी के दर्शकों से बात कर रहा हूँ , आप सभी सुन रहे हैं । गोंडा मोबाइल वानी आज हम बात करेंगे मीना श्रीवास्तव जी की , जिन्हें राशन कार्ड का लाभ नहीं मिला था । इस बार कार्रवाई की गई और राशन कार्ड के लिए मेरा काम नहीं हुआ और मैं ऐसा नहीं कर पाया ।

गोंडा ,मेरा नाम करण चौहान है । मैं करुणा के साथ बोल रहा हूँ । सर , सुर काना अपना हूं वाला हूं । मेरा विनम्र अनुरोध है कि मेरे गाँव में जल निकासी हिंसा न हो । जल की व्यवस्था है और न जाने की व्यवस्था है और प्रधानम या पंचायत भवन का नाम क्या है जिसकी कोई योजना या कोई लाभ नहीं है ।

एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला गोंडा से हमारे श्रोता , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि श्रोता के बच्चों के राशन कार्ड में दो यूनिट नहीं बढे है

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