बारिश हो या न हो, अत्यधिक धूप के कारण ऐसा लगता है कि शरीर जल जाएगा, सुस्त हो जाएगा,शरीर कपड़े से ढका हुआ है इसलिए भावना थोड़ी कम होती है लेकिन कपड़ा भी ऊपर से जलता हुआ प्रतीत होता है केवल यह स्थिति जो आज भीषण गर्मी का सामना कर रही है प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने का परिणाम यह है कि लोग बड़े जंगलों को काट रहे हैं और उनकी खेती कर रहे हैं। टू लाइन फोर लाइन सिक्स लाइन के आसपास के सभी पेड़ों को सरकार ने काट दिया था,सड़क के किनारे कहीं भी दस मिनट तक छाया में खड़े रहने के लिए पर्याप्त धूप नहीं है। सड़कों के बीच में पौधा लगाने वाली सरकार केवल फूलों की पंखुड़ियां लगा रही है, तो इसका मानसून पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। बारिश शुरू होते ही हर कोई आंवला का पेड़, पीपल का पेड़, नीम का पेड़, लेकिन निश्चित रूप से पाँच पेड़ लगाएं, पेड़ लगाएं, देश को बचाएं, जीवन बचाएं, जीवन बचाएं यह मूल मंत्र है।
उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के सी चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि अक्सर देखा जाता है कि लोग पानी का बहुत दुरुपयोग कर रहे हैं। अगर आने वाले समय में लोग ध्यान नहीं देंगे तो पानी का संकट बहुत गहरा हो सकता है। कहीं नल खुले छोड़ दिए जाते हैं, कहीं गाड़ी , परिवहन पर बहुत सारा पानी खर्च किया जाता है। यह इस बात पर अंकुश नहीं लगाता है कि जहां वाहनों को ले जाया जाता है, वहां कम से कम पानी खर्च किया जाए, आने वाले समय में लोगों को पानी के लिए तरसना होगा, यह आज भी देखा जाता है कि पानी का स्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है और बोर या हैंड पंप में पानी नहीं है बहुत मेहनत के बाद पानी ऊपर आता है। अगर लोग जागरूक नहीं होंगे तो पानी का संकट बढ़ सकता है। जल संकट से बचने के लिए, हम सभी को इस बात पर विचार करना चाहिए कि वर्षा जल का संरक्षण कैसे किया जाए।
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संतकबीरनगर- नदी में बूंद भर नहीं पानी बेजुबान पशु पक्षी पानी के लिए बेताब जिम्मेदार "बेजुबानों" पर दया करें श्रीमान महेंद्र सिंह तंवर साहब! आप जिले के जिलाधिकारी हैं भीषण गर्मी व बढ़ती धूप के कारण कठिनाइयां नदी का पानी सुखने से पशु पक्षी पानी के लिए दर दर भटकने को हैं मजबूर,विकासखण्ड सेमरियावां क्षेत्र के चंगेरा मंगेरा गांव का मामला। नदी के साफ सफाई पर प्रति वर्ष काफी रूपये होते हैं खर्च फिर भी नदी में नही बूंद भर पानी।
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उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से अलोक श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि तेज़ गर्मी के कारण लोग 3 बार नहा रहे है। भीषण गर्मी के कारण लोग खूब पानी पी रहे है फिर भी कोई असर नहीं हो रहा है।
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से अलोक श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि तेज धूप के कारण मिट्टी में किसी भी तरह की नमी नहीं है।जिसके कारण सब्जियों की जड़ें थोड़ी ऊँची होती हैं, इसलिए सब्जियां भी सूख रही हैं। यही कारण सब्जियां महंगी हो गई है।
संतकबीरनगर पानी का टंकी बना शो पीस ग्रामीणों को नही मिल रही है सुविधाएं,जिले के मेंहदावल क्षेत्र के सांड़े कला गांव में पानी की टंकी बनने के बाद भी पेयजल आपूर्ति न होने पर नाराज ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने सूखे की जैसी स्थिति होने पर पानी संकट से परेशान है।जलापूर्ति न होने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे सचिन, शिवेंद्र, शिबू, पप्पू, देवेंद्र सिंह, सुभाष चौधरी, रामा, जितेंद्र आदि ने कहा कि एक दशक पहले गांव में पानी की टंकी का निर्माण कराया गया था। इस परियोजना पर लगभग 58 लाख रुपए भी खर्च किए गए। उसके बावजूद अभी तक परियोजना का ट्रायल नहीं किया गया। परियोजना का ट्रायल न होने के कारण पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हुई। जिसके कारण भीषण गर्मी में लोगों को स्वच्छ पेयजल के लिए परेशान होना पड़ रहा है। लोगों ने कार्यदाई संस्था पर मानक विहीन कार्य करने का आरोप लगाया।लोगों का कहना है कि पानी की टंकी बनाने के नाम पर भारी अनियमितता की गई। जिसके कारण परियोजना का ट्रायल नहीं किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस मामले में कई बार प्रदर्शन व शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। लोगों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द पानी की आपूर्ति नहीं शुरू की जाएगी तो लोग आंदोलन करने को बाध्य होंगे। उपजिलाधिकारी अरुण कुमार ने कहा कि टंकी बनने के बाद भी पेयजल आपूर्ति न होना ठीक नहीं है। संबंधित विभाग को शीघ्र पेयजल आपूर्ति शुरू करने का निर्देश दिया जा रहा है।
उत्तप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से अलोक श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि गर्मी की लहर चल रही है, उसने हर तरफ के हर व्यक्ति को प्रभावित किया है। चाहे वह आर्थिक नुकसान हो, शारीरिक नुकसान हो, या स्वास्थ्य संबंधी नुकसान हो, जिसे हम जानवरों के प्रति किसानों का नुकसान कह सकते हैं। भयानक गर्मी से निपटता है, वह सभी तरफ से एकमात्र नुकसान है। जिस तरह से श्रमिक काम कर रहे हैं, उसका उनके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह महसूस किया जा सकता है कि वे काम नहीं कर रहे हैं। आर्थिक खदान काम करेगी, फिर स्वास्थ्य की रक्षा होगी। खदान हर तरफ है। लाभ कहीं से भी मौसम के अनुसार नहीं होता है। किसान को बीज नहीं डालना चाहिए। अगर बीज डालने में भी समस्या हो, तो बीजों के उत्पादन के तरीके में भी समस्या है। किसान दो-तीन बार बीज डाल रहे हैं।
उत्तप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से अलोक श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि गर्मी जितनी होगी, उतनी ही बिजली कट जाएगी, यानी गर्मी के कारण बिजली कट जाएगी। लोग मुसीबत में हैं, बिजली से थोड़ी राहत है, लेकिन गर्मी के कारण कुछ लोगों को पता नहीं है कि जीवन जितना गर्मी कितना है। इस समय, कटौती की जा रही है। अधिक भार के कारण कटौती की जा रही है। बिजली बचाने के लिए कटौती की जा रही है। हमेशा एक तुलना होती है। यहाँ साल फर बनाया जा रहा है। यह बेहतर हो रहा है, यह बेहतर हो रहा है, आधे घंटे के लिए रोशनी जलती है, कम से कम आधे घंटे के लिए, इसलिए लोग आज सांकबीर नगर में गर्मी के बारे में अधिक चिंतित हैं। चालीस डिग्री प्लस अभी इस दस-तीस घंटे के निशान पर, जीवित रहना दुर्लभ हो गया है। लोग बहुत परेशान हो गए हैं और कृषक वर्ग, जो लोगों से अधिक खेती करता है, सबसे अधिक परेशान है। यह आदमी भावपूर्ण तरीके से बोलता है, लेकिन जानवर, पक्षी, जो भी वे हैं, वे हमसे अधिक परेशान हैं। आजकल सुबह में कुछ पक्षी दिखाई देते हैं, उसके बाद शाम साढ़े छह बजे तक पूरे दिन कहीं भी कोई पक्षी उड़ता या बैठा नहीं दिखाई देता है।