ध्वनि प्रदूषण बन रही समाज के लिए एक अभिशाप वस्तुओं से ध्वनि प्रदूषण बहुत फैल रहा है, जिससे समाज में हृदय रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह देखा गया है कि आने वाले समय में हृदय रोग के रोगियों की संख्या में काफी वृद्धि होगी यदि प्रदूषण पैदा करने वाले डीजे और अन्य उपकरणों को गिराना बंद नहीं किया जाता है।

बारिश हो या न हो, अत्यधिक धूप के कारण ऐसा लगता है कि शरीर जल जाएगा, सुस्त हो जाएगा,शरीर कपड़े से ढका हुआ है इसलिए भावना थोड़ी कम होती है लेकिन कपड़ा भी ऊपर से जलता हुआ प्रतीत होता है केवल यह स्थिति जो आज भीषण गर्मी का सामना कर रही है प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने का परिणाम यह है कि लोग बड़े जंगलों को काट रहे हैं और उनकी खेती कर रहे हैं। टू लाइन फोर लाइन सिक्स लाइन के आसपास के सभी पेड़ों को सरकार ने काट दिया था,सड़क के किनारे कहीं भी दस मिनट तक छाया में खड़े रहने के लिए पर्याप्त धूप नहीं है। सड़कों के बीच में पौधा लगाने वाली सरकार केवल फूलों की पंखुड़ियां लगा रही है, तो इसका मानसून पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। बारिश शुरू होते ही हर कोई आंवला का पेड़, पीपल का पेड़, नीम का पेड़, लेकिन निश्चित रूप से पाँच पेड़ लगाएं, पेड़ लगाएं, देश को बचाएं, जीवन बचाएं, जीवन बचाएं यह मूल मंत्र है।

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के सी चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि अक्सर देखा जाता है कि लोग पानी का बहुत दुरुपयोग कर रहे हैं। अगर आने वाले समय में लोग ध्यान नहीं देंगे तो पानी का संकट बहुत गहरा हो सकता है। कहीं नल खुले छोड़ दिए जाते हैं, कहीं गाड़ी , परिवहन पर बहुत सारा पानी खर्च किया जाता है। यह इस बात पर अंकुश नहीं लगाता है कि जहां वाहनों को ले जाया जाता है, वहां कम से कम पानी खर्च किया जाए, आने वाले समय में लोगों को पानी के लिए तरसना होगा, यह आज भी देखा जाता है कि पानी का स्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है और बोर या हैंड पंप में पानी नहीं है बहुत मेहनत के बाद पानी ऊपर आता है। अगर लोग जागरूक नहीं होंगे तो पानी का संकट बढ़ सकता है। जल संकट से बचने के लिए, हम सभी को इस बात पर विचार करना चाहिए कि वर्षा जल का संरक्षण कैसे किया जाए।

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संतकबीरनगर- नदी में बूंद भर नहीं पानी बेजुबान पशु पक्षी पानी के लिए बेताब जिम्मेदार "बेजुबानों" पर दया करें श्रीमान महेंद्र सिंह तंवर साहब! आप जिले के जिलाधिकारी हैं भीषण गर्मी व बढ़ती धूप के कारण कठिनाइयां नदी का पानी सुखने से पशु पक्षी पानी के लिए दर दर भटकने को हैं मजबूर,विकासखण्ड सेमरियावां क्षेत्र के चंगेरा मंगेरा गांव का मामला। नदी के साफ सफाई पर प्रति वर्ष काफी रूपये होते हैं खर्च फिर भी नदी में नही बूंद भर पानी।

समाज में लैंगिक असमानता अभी भी प्रचलित है। वास्तव में यह देखा गया है कि कई स्थानों पर जहां महिलाएं आत्मनिर्भर हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं आत्मनिर्भर नहीं हैं। यह देखा गया है कि अक्सर इस पेशे में लगी महिलाएं केवल अपने पैरों पर निर्भर होती हैं, अन्य महिलाएं परिवार के अन्य सदस्यों, पतियों पर निर्भर होती हैं। या बेटे पर निर्भर, घर पर बैठी कामकाजी महिलाएं खर्चों को लेकर बहुत चिंतित हैं, भले ही सरकार कहती है कि उन्हें भुगतान किया जाना चाहिए। समानता दी जा रही है लेकिन समानता का अधिकार नहीं मिल रहा है। अगर शिक्षा में देखा जाए तो लड़कियों की शिक्षा भी शिक्षा में कम है। लोगों की रुचि अन्य क्षेत्रों में पढ़ाई में नहीं है, जिसकी वजह से आज भी। महिलाएँ बहुत अनपढ़ होती हैं और उन्हें अंगूठे के साथ देखा जाता है। वे बैंकों से पैसे निकालते हैं। वे एटीएम जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं से वंचित हैं।

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महिलाओं का जन्मसिद्ध अधिकार है महिलाओं का घर पर रहना सभी के लिए खाना बनाना सभी की देखभाल करना सभी को व्यवस्थित करना लेकिन यह एक पुरानी परंपरा थी अब नई परंपरा में पुरुषों के साथ बराबरी पर चलना, पुरुषों के साथ बराबरी पर बैठना, पुरुषों के साथ बराबरी पर हर जगह जागना, शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों को लड़कों के साथ बराबरी पर रखना, यानी महिलाओं को बराबरी का अधिकार। पैनशॉट पहनने वाले व्यक्ति और पैनशॉट पहनने वाले बच्चे में अब कोई अंतर नहीं है। लड़कियों में कोई अंतर नहीं है। पेय पदार्थों में कोई अंतर नहीं है। सुख और आनंद में कोई अंतर नहीं है। बातचीत में कोई अंतर नहीं है।

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उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के सी चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि गर्मी बहुत तेजी से बढ़ रही है इस बढ़ती गर्मी से बचने के लिए पेड़ लगाना अति आवश्यक है यदि हम पेड़ लगायेंगे तभी इस तपती गर्मी से बच पायेंगे