उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर जिला से अलोक श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मनरेगा के तहत किए जा रहे वृक्षारोपण के काम सराहनीय है

संत कबीर नगर मोबाइल वाणी में आपका स्वागत है मैं आपको बता दूं कि सरकार गरीबों के लिए मनरेगा योजना चलाती है। लेकिन सरकार के ऊपर से नीचे तक मनरेगा योजना में लगे लोग इसे लूटने में लगे हुए हैं। इस योजना के तहत एक सौ बावन सौ तक श्रमिक कागजों में काम करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि एक दर्जन भी श्रमिक नहीं हैं। लेकिन अगर रोगियों और मजदूरों की संख्या देखी जाए तो कागज पर दो सौ पच्चीस सौ मजदूर काम कर रहे हैं, यह सोचने पर मजबूर हैं कि प्रशासन इस पर गौर क्यों नहीं कर रहा है। आखिरकार, इस धूप और गर्मी में मनरेगा योजना के लाभ कागज पर चल रहे हैं या वास्तव में जमीन पर हैं। आपको बता दें कि जाँच में यह पाया गया कि मनरेगा योजना के तहत किया जा रहा अधिकांश काम जे. सी. बी. या अन्य माध्यमों से किया जा रहा है, जबकि मनरेगा मजदूरों को छीन रही है। मनरेगा श्रमिक मजदूरी और कागजों में काम कर रहे हैं, लेकिन लोग राज्य से बाहर पलायन कर रहे हैं, यही मुख्य कारण है कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से आलोक श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि गाँव का विकास पूरी तरह से मनरेगा के तहत होता है। चाहे वह सड़क का कोना हो या गोल चक्कर या सफाई, नाली हो या सड़क ,आज सभी काम मनरेगा के तहत किए जाते हैं और इस तरह के काम करने से पूरा गांव विकसित होता है.इससे गांव का विकास हुआ है और यह काम सफल रहा है । मनरेगा में अच्छा काम किया गया लेकिन कुछ कारणों से, अब जो कुछ भी हो, मनरेगा धीरे-धीरे बदतर होती जा रही है। मनरेगा के तहत किए जाने वाले कार्यों की संख्या बहुत कम है।

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से आलोक श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि मनरेगा को इस विचार के साथ बनाया गया था कि उन्हें अपना पोषण करने और आजीविका कमाने के लिए साधन मिल जाएगा।गाँव का भी विकास होगा चाहे गाँव का टूटा हुआ कुआँ हो या वृक्षारोपण, सब कुछ चलता रहेगा साथ में लोगों का भी विकास होगा।

उत्तरप्रदेश राज्य के संतकबीर नगर से आलोक श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि मनरेगा केवल नाम मात्र रह गया है इसे लोगों को लाभ पहुँचाने के लिए बनाया गया था लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। मनरेगा में जितनी लूट हुई है, उतना किसी भी विभाग में नहीं हुआ है। शीर्ष अधिकारी से लेकर निचले ग्राम प्रधान तक हर कोई मनरेगा को लूट रहा है। जमीन पर कोई काम नहीं लाया जा रहा है।

महिलाओं की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी और उसके सहारे में परिवारों के आर्थिक हालात सुधारने की तमाम कहानियां हैं जो अलग-अलग संस्थानों में लिखी गई हैं, अब समय की मांग है कि महिलाओं को इस योजना से जोड़ने के लिए इसमें नए कामों को शामिल किया जाए जिससे की ज्यादातर महिलाएं इसका लाभ ले सकें। दोस्तों आपको क्या लगता है कि मनरेगा के जरिए महिलाओँ के जीवन में क्या बदलाव आए हैं। क्या आपको भी लगता है कि और अधिक महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जाना चाहिए ?

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

Transcript Unavailable.

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सरकार का दावा है कि वह 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन दे रही है, और उसको अगले पांच साल तक दिये जाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में यह भी दावा किया कि उनकी सरकार की नीतियों के कारण देश के आम लोगों की औसत आय में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस दौरान वित्त मंत्री यह बताना भूल गईं की इस दौरान आम जरूरत की वस्तुओं की कीमतों में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है।