उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से आलोक श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि गाँव का विकास पूरी तरह से मनरेगा के तहत होता है। चाहे वह सड़क का कोना हो या गोल चक्कर या सफाई, नाली हो या सड़क ,आज सभी काम मनरेगा के तहत किए जाते हैं और इस तरह के काम करने से पूरा गांव विकसित होता है.इससे गांव का विकास हुआ है और यह काम सफल रहा है । मनरेगा में अच्छा काम किया गया लेकिन कुछ कारणों से, अब जो कुछ भी हो, मनरेगा धीरे-धीरे बदतर होती जा रही है। मनरेगा के तहत किए जाने वाले कार्यों की संख्या बहुत कम है।

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से आलोक श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि मनरेगा को इस विचार के साथ बनाया गया था कि उन्हें अपना पोषण करने और आजीविका कमाने के लिए साधन मिल जाएगा।गाँव का भी विकास होगा चाहे गाँव का टूटा हुआ कुआँ हो या वृक्षारोपण, सब कुछ चलता रहेगा साथ में लोगों का भी विकास होगा।

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे अपने श्रोताओं की राय

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम जानेंगे एसएचजी यानि की स्वयं सहायता समुह से जुड़ने के क्या फायदे हैं और इससे जुड़ कर कैसे आप अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं।

इसके बरक्स एक और सवल उठता है कि क्या सरकारें चाहती हैं कि वह लोगों का खाने-पीने और पहनने सहित सामान्य जीवन के तौर तरीकों को भी तय करें? या फिर इस व्यवसाय को एक धार्मिक समुदाय को निशाना बनाने के लिए इस तरह के आदेश जारी किये जा रहे हैं। सरकार ने इस आदेश को जारी करते हुए इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया कि उसके एक आदेश से कितने लोगों की रोजी रोटी पर असर पड़ेगा