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उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरमपुर से राजा बाबू मिश्रा , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि राह चलती महिलाओं की इज़्ज़त करनी चाहिए। जो सुरक्षा महिला अपने भाई और पिता के साथ महसूस करती है वही सुरक्षा उनको लोगों के बीच भी लगनी चाहिए। जिस तरह से हम अपने बहनों का इज़्ज़त करते उसी तरह दूसरों की बहनो का इज़्ज़त करनी चाहिए। हर किसी को इज़्ज़त पाने का अधिकार है। आज हम पूरी तरह से आज़ाद नहीं है। लड़की को पढ़ाना चाहिए। बाल विवाह , दहेज़ प्रथा, बाल मजदूरी को रोकना चाहिए।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से राजा बाबू की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से सुधीर मिश्रा से हुई। सुधीर मिश्रा यह बताना चाहते है कि अगर दहेज़ बंद हो जायेगा तभी वह अपनी बेटी को जमीन पर हिस्सा देंगे, क्योंकि अगर वह बेटी को जमीन पर हिस्सा देंगे तो अपने बेटों को क्या देंगे उनको कैसे पालेंगे। इतनी महंगाई है अगर दहेज़ देंगे तो उनके पास कुछ नहीं बचेगा।
उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से अंकिता मिश्रा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से राजाबाबू मिश्रा से बातचीत किया। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि लड़कियों को भूमि का अधिकार नहीं मिलना चाहिए। क्योकि लड़की की पढ़ाई और शादी में मायके से जितना खर्च उठाया जाता है उसके बाद जमीन में उन्हें अधिकार नहीं मिलना चाहिए।
उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर ज़िला से नीलू ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है कि आज भी बहु बेटियाँ सुरक्षित नहीं है। उन्हें आज भी दहेज़ के लिए प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। ऐसे में महिलाओं को जागरूक करना होगा ताकि वो अपने ऊपर होने वाली प्रताड़ना को न सही और समस्या का डट कर सामना करें ।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से अंकिता मिश्रा , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि वर के परिवार को भूषण और अन्य कीमती सामान देना दहेज कहा जाता है, लेकिन बदलते समय के साथ लोगों में लालच विकसित हुआ और इस प्रथा ने एक बुराई पैदा कर दी।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से अंकिता मिश्रा , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि दुल्हन के परिवार को नकद उपहार और उपहार दिए जाते हैं। इसे दहेज प्रथा कहा जाता है। प्राचीन काल से ही हमारे समाज में दहेज प्रथा प्रचलित है जहाँ बेटियों को दहेज दिया जाता है। यह लोगों को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद करने के एक तरीके के रूप में शुरू हुआ क्योंकि उन्होंने शादी के बाद एक नई जगह पर एक नए तरीके से अपना जीवन शुरू किया। लेकिन समय के साथ इसे बेचना महिलाओं की मदद करने के बजाय एक घृणित प्रथा में बदल गया और अब दूल्हे और उसके माता-पिता के रिश्तेदारों को उपहार दिए जाते हैं।
उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर ज़िला से अंकिता मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि दहेज़ देने के लिए पैसे जमा करने से बेहतर है पैसों का इस्तेमाल लड़कियों की शिक्षा पर करे। दहेज़ देने पर खुद को रोकना चाहिए क्योंकि माँगने वालों की मांग कभी रूकती नहीं है। ऐसे में लड़कियाँ त्रस्त होती है और उन्हें दहेज़ के कारण खुद का जान गंवाना पड़ता है
उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से स्मृति मिश्रा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि डायरी सुन कर बहुत अच्छा लगता है और इससे लोगों को फायदा भी हो रहा है। साथ ही उन्होंने बताया कि दहेज़ प्रथा एक ऐसी महामारी है जिससे अधिक लोग ग्रषित है। ये कुप्रथा सदियों से हमारे समाज में चली आ रही है। दहेज़ के कारण ही कन्या भ्रूण हत्या, लड़कियों के प्रति भेदभाव तथा महिलाओं के प्रति अपराध में वृद्धि होती है। इस कुप्रथा को लेकर लोगों के बीच जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है
उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से स्मृति मिश्रा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारतीय समाज मेदहेज प्रथा प्रमुख समस्याओं में से एक है। हर माता पिता के द्वारा बेटी की शादी के समय उपहार बनाम दहेज़ दिए जाने की परम्परा रही है। ये परम्परा हमारे समाज में सदियों से चली आ रही है। लेकिन यह परम्परा अब कन्या पक्ष के लिए शोषण का रूप धारण कर चूका है। विवाह जैसे पवित्र रीति में जब लालच की भावना शामिल हो जाती है तो यह दहेज़ का रूप धारण कर लेती है