मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

सिवान: गुठनी थाना क्षेत्र के चीलमरवा गांव निवासी एक युवक की मलेशिया में फैक्ट्री में काम करने के दौरान ऊपर से गिरने से मौत हो गई। मृतक गुठनी थाना क्षेत्र के चिलमरवा निवासी राज कोकिल गोड का 36 वर्षीय पुत्र उमेश गॉड बताया जा रहा है। इधर युवक की मौत की सूचना मिलते ही परिजनों में चीख-पुकार मच गई मृतक के महावर भाई का रो-रोकर बुरा हाल है। मृतक के परिजनों ने बताया कि 48 दिन पूर्व उमेश गॉड लखनऊ से मलेशिया गया हुआ था। और एक कंपनी मैं काम करता था इसी बीच सूचना मिली की वह ऊपरी फ्लोर से नीचे गिर गया है। आनन-फानन में मौजूद लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचाया । जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। युवक की मौत की खबर सुन मृतक के दो छोटे छोटे पुत्र नीलेश कुमार तथा नितेश कुमार, पत्नी बसंती देवी, मां अमरावती देवी का रो- रो कर बुरा हाल है।

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बिहार राज्य के सारण जिला के मशरक प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता धर्मेंद्र पांडेय ने जानकारी दी की यहाँ के मजदूरों को मनरेगा योजना के तहत काम नहीं मिलता है। क्योंकि सभी कार्य जेसीबी से करवा लिया जाता है।रात के अँधेरे में ये सारे काम होते हैं।एक तरफ सरकार पलायन रोकने का प्रयास कर रही है। दूसरी तरफ मनरेगा अधिकारी मजदूरों का हक छीन कर अपनी तिजोरी भरने में लगे हुए हैं