उत्तरप्रदेश राज्य के जिला महोबा से संजना कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है की वे भी एक आईएमवी समूह से जुडी हुई है जिससे इन्हे बहुत सी जानकारिया मिलती है इन्हे अवसर मिलता है और काफी कुछ चीजे जानने को भी मिलता है . इसके लावा इन्हे लड़के लड़कियों के बीच होनेवाले फर्क को भी बताया जाता है की लड़की बाहर नहीं जा सकती है जबकि लड़के बाहर हमेशा घूमते रहते है।लड़कियों को ये करना चाहिए लड़कियों को ये नहीं करना चाहिए। ये सब गलत बाते है लड़का लड़की को बराबर माने। लड़कियों को भी आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए। उन्हें किसी भी तरह से रोका नहीं जाना चाहिए। आईएमवी से जुड़ने के बाद इनकी फैमली इन्हे कही भी जाने से नहीं रोकती है। माता पिता को भी अपने बच्चो पर भरोसा रखना चाहिए। लड़कियां किसी से कम नहीं है उन्हें भी अपने पैरो पर खड़ा होने चाहिए। इसके साथ लड़कियों को भी यह सोचना चाहिए कि उन्हें भी अपने फैसले अच्छे से लेना चाहिए जिससे माता पिता को परेशानी न हो।

उत्तरप्रदेश राज्य के बरेली जिला के हजियापुर से आयुषी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहना चाहती है कि जो औरतें समाज में आगे बढ़ रही हैं मर्दो को ये पसंद नहीं होता है । लड़कियां,औरतें आगे बढ़े पंचायत में बैठे ये पसंद नहीं किया जाता है जबकि ये समाज की सोच बिल्कुल गलत है। लड़कों को ज्यादा महत्व दिया जाता है। जबकि लोगों की गलत सोच है आज के दौर में लड़कियां हर क्षेत्र में और हर देश में आगे है लड़कियां पढ़ाई कर रही है और अपने सपनों को पूरा कर रही है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बरेली जिला के भोजीपुरा प्रखंड से शहनाज़ जी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लॉकडाउन के दौरान बहुत सी दिक्कतें आयी थी। बाहर से जो लोग आये थे उनके साथ कोई मिलता नहीं था। वैसे लोग खुद को बहुत अकेले महसूस करते थे। फिर लोगों को समझाया गया कि बहार से आने वाले लोग भी हमारे अपने है, उनकी कोरोना जांच हुई। जिसके बाद लोग उनके साथ बैठने लगे बातचीत करने लगे। जिससे उन्हें अच्छा महसुसु हो। इस तरह से धीरे धीरे लोगों के व्यवहार में बदलाव आया। साथ ही उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के समय काम छूट जाने से आर्थिक स्थिति भी बहुत ख़राब हो गयी थी। रोजमर्रा की जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थी

उत्तरप्रदेश राज्य के हाजीयापुर से एक श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती हैं कि अगर कोई इंसान स्वस्थ नहीं होगा तो वह अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी नहीं निभा पायेगा। इंसान को मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से स्वस्थ होना जरुरी है। स्वस्थ होने पर ही हमें अच्छी बातें समझ में आएगी अगर हम मन से स्वस्थ नहीं होंगे तो इसका बुरा असर हम पर पड़ेगा .

उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा जिला से सबीना मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है कि इन्होने नीलिमा की कहानी सुनी जिससे पता चला है कि लॉकडाउन में महिलाएं प्रसव पीड़ा से परेशान है। लॉकडाउन के दौरान अधिकतर महिलाये ही परेशान है। अभी देखा जाय तो समुदाय में कई महिलाओं को इन समस्याओ का समाधान भी करना पड़ता था। उनके स्वास्थ्य के विषय में कोई नहीं सोचता। वो घर का काम ,खेत का काम करती है इसके साथ बहुत से काम होते है ,बहुत सी जिम्मेदारियां होती है उनके सर पर। आये दिन आर्थिक स्थिति और मानसिक स्थिति को झेलते हुए महिलाये बहुत हिंसा का सामना करती है। और इसमें भी समाज महिलाओ पर ही ताना कसी करते है। इस कोविड के दौरान लड़कियों की शिक्षा का स्तर बिलकुल गिर गया है न तो उनका कोचिंग और न ही स्कुल खोला इससे उनको भी मानसिक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है और इसके लिए सरकार भी क्या कर रही है कुछ पता नहीं। नीलिमा की कहानी से बहुत सी जानकारी मिल रही है इससे लड़कियों को बहुत अच्छा लग रहा है। इनका यह भी कहना है कि घर बैठे इस तरह की अच्छी कहानियां सुनने को मिल रही है। जिससे हम अपनी मानसिक स्थिति में सुधार कर सकते है। इसके आलावा और भी बहुत से मुद्दे जैसे यौन प्रजनन स्वास्थ्य से जुडी जानकारियाँ मिलती है की किस तरह से माहवारी के दौरान लड़कियों को परेशानी होती है।

उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा जिला से कल्पना मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि वह मीना और संजीव की कहानी सुनी। उसमे बताया गया है कि कोरोना वायरस के समय पति अपनी पत्नी के कामों में कितनी मदद करते है ताकि उनकी पत्नी को भी कामो से थोड़ी फुर्सत मिल सके। वही वह कहती है कि जब उसने नीलिमा की कहानी सुनी तो उसने इसके बारे में अपने पापा,मम्मी और भैया को सुनाई। उस कहानी को सुनने के बाद उनके घर में भी थोड़ा बदलाव आया है। अब उनके पापा तथा भैया भी घर के कामों में मदद करते है ताकि थोड़ी जल्दी काम खत्म हो जाए। इसलिए उनका कहना है कि नीलिमा की कहानी सुनकर इन्हें बहुत अच्छा लगा क्योकि इनके घर में कार्यक्रम सुनकर कुछ तो बदलाव आए हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य से एक शोरता जो उमंग सेंटर में पढ़ाई करती हैं ,मोबाइल वाणी के माध्यम से ये कहना चाहतीं है,कि उन्होंने नीलिमा की कहिनी सुना और उन्हें सुन कर अच्छा लगा,लड़कियों को आगे बढ़ाने के लिए जो प्रयास किये जाते हैं,और जो माध्यम है वो उनको अच्छा लगा और घर में भी पहल करतीं हैं ,की उन्हें भी भाई की तरह पढ़ने दिया जाये। बाल विवाह को रोकने का भी प्रयास करेंगी। नीलिमा की कहानी से लड़कियों और महिलाओं को अपने अधिकारों और मुद्दे पर बात करने लिए एक अच्छा मंच मिला है। वो अपने आस पास की महिलाओं और लड़कियों को जागरूक करना चाहतीं है ,कि नीलिमा की कहानी सुने और अपने मुद्दें खुद उठायें। जेंडर की भेदभाव को ख़त्म कर के लड़कियों को भी आगे आने का मौका दें

उत्तरप्रदेश राज्य के मिरतला पंचायत से प्रीति कुमारी मेरी पंचायत मेरी शक्ति के माध्यम से यह कहती हैं कि इस कार्यक्रम से बहुत सी जानकारियाँ मिलती है। वह यह कहती हैं कि इस कार्यक्रम के माध्यम से यह जानकारियाँ मिलती है की लड़कियों के साथ हो रहे भेद भाव, यौन उत्पीड़न, घर से बाहर नहीं जाने देना। साथ ही लड़कियों के साथ छेड़खानी करना। इन सभी को लेकर लड़कियों को अपने ऊपर हो रहे हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा जिला से सुधा मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि वह वह मेरी पंचायत मेरी शक्ति से जुड़ी है।वह नीलिमा की कहानी सुनी जिसमे बताया गया कि लॉकडाउन के कारण किस तरह प्रवासी महिलाओं को घर जाने के दौरान रास्ते में ही माहवारी शुरू हो गई जिससे उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ी।वही वह कहती है कि किन्नरों के साथ भी भेदभाव किया जाता है।समुदाय में इस तरह के लोगों को घृणा की दृष्टि से देखते है जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। उनका भी वजूद होता है ,उन्हें भी सम्मान देना चाहिए।उनका भी अधिकार होता है और उनके प्रति हमे जागरूक होना चाहिए।वही उनका कहना है कि लॉकडाउन के कारण कई लड़कियों की पढ़ाई रुक रही है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।लड़कियों को भी पढ़-लिख कर आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के महोबा जिला से अनीता मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि नीलिमा की कहानी सुनकर इन्हे काफी प्रोत्साहन मिला है।उस कहानी में लड़कियों के साथ हो रहे भेदभाव और हिंसा के बारे में बताया जाता है जो इन्हें काफी पसंद है क्योकि इसकी जानकारी इन्हें पहले नहीं थी।उन्हें कार्यकरम सुनकर हिंसा के कई प्रकार के होती है उसकी समझ हुई।इससे अब वह जान पाई की उन्हें भी अपने हिंसा के लिए लड़ना चाहिए तथा अपने अधिकारों के लिए आगे बढ़ना चाहिए