कोविड- 19 को लेकर बिहार के अस्पतालों में की गई है बड़ी तैयारी लेकिन हाजीपुर में मिली ये कमी कोरोना से जंग में सरकारी अस्पतालों के साधन और तैयारियां - हाजीपुर स्वास्थ विभाग की बड़ी लाचारी सामने आई कोरोना संक्रमितों के गंभीर मामलो के लिए जिन वेन्टीलेटरो की भूमिका बेहद अहम् हो जाती है , उसको लेकर स्वास्थ महकमे की बेबसी .... हाजीपुर सदर अस्पताल में कुल 6 वेंटिलेटर पहले से उपलब्ध है .... उम्मीद यही होनी चाहिए की ये वेंटिलेटर कोरोना मरीजों के बुरे वक्त में शायद काम आवे .... अस्पताल में वेन्टीलेटरो तो है लेकिन इनको चलाने के लिए स्वास्थ विभाग के पास टेक्नीशियन नहीं है .... संसाधन उपलब्ध है , लेकिन तकनिकी कर्मियों की कमी की वजह से वेंटिलेटर धूल फांक रहा है .... आलम ये है की हाजीपुर अस्पताल में बिना टेक्नीशियन के पड़े इन 6 वेन्टीलेटरो में से 3 को मुज्जफ्फरपुर भेज दिया गया ताकि , वंहा इसका कुछ इस्तेमाल हो जाए ....

ताने भी नही रोक सकी संजरी की राहें - काम पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे कर चुके हैं प्रोत्साहित - छुटी पढ़ाई को 39 में किया पूरा - संस्थागत प्रसव और परिवार नियोजन में है महत्वपूर्ण योगदान वैशाली। 20 मई अच्छे काम को हर एक की तारीफ नही मिलती। मगर जब वह काम लोगों की दशा और दिशा बदल दे तो उसे निश्चित रूप से पहचान मिलती है। कुछ ऐसा ही हुआ संजरी खातून के साथ। बचपन से नौकरी की इच्छा थी । इंटर करने के बाद ही शादी हो जाने पर कुछ ठहराव तो आया पर ज्यादा दिनों तक नहीं। 2006 में जब आशा के रूप में संजरी ने अपना काम शुरू किया तो आस - पास के लोगों के तानों ने इनका हौसला तोड़ना चाहा, पर सबकुछ दरकिनार करते हुए अपने काम में व्यस्त थी। संजीदा कहती हैं कि जब वह शुरुआत में टीका और परिवार नियोजन सहित स्वास्थ्य के अन्य मुद्दों को समझाने जाती थी तो लोग उनकी बातों को दरकिनार कर देते थे और हेय दृष्टि से देखते थे। साल- दो साल बीते। एक समय वह भी आया कि लोग उनके पास अब खुद आने लगे । अब तो टीके की तारीख भी संजरी के भरोसे ही रहती और वह भी बड़े मनोयोग से अपने काम को करती रही। 2011 में वह आशा फैसिलैटर बनी । अब उनके अंदर 3 पंचायत और 25 आशा काम कर रही हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में जब डोर टू डोर सर्वे करने का अवसर आया। यहां भी संजरी ने अपने 3 टीम के साथ 8 दिनों में 50000 घरों का सर्वे किया। सर्वे के दैरान ही राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने संजरी और उसके टीम का प्रोत्साहन किया । संजरी कहती हैं अब तक उन्होंने लगभग 200 परिवार नियोजन करवाये होंगे । वहीं अब उनके क्षेत्र की 90 प्रतिशत से ऊपर महिलाएं संस्थागत प्रसव करती है। कुल 20 से ऊपर स्वास्थ्य योजनाओ की जिम्मेवारी है उनके ऊपर। संजरी के बारे में गोरौल की बीएचएम रेणु कहती हैं की उसने जमीन से अपनी शुरुआत की थी । अब वह ब्लॉक के आशा और फैसिलैटर क लिए एक आदर्श बन चुकी हैं। संजरी के हौसलों की उड़ान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंटर के बाद छुटी पढ़ाई को उन्होंने 36 की उम्र में शुरू किया और अब वह समाजशास्त्र में स्नातक भी हैं। आज वह अपने नौकरी और लोगों को जागरूक करने के सपनों के बीच आगे नित नए आयाम जोड़ने का हौसला रखती हैं। वह कहती है कि जो तानों को सह गया वह इस दुनिया मे रह गया । सच में संजरी आज लोगों की आदर्श बन चुकी हैं।

दैनिक गतिविधि कैलेंडर के माध्यम से बच्चों की दिनचर्या होगी दुरुस्त, माता-पिता को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता देंगी जानकारी • आईसीडीएस के निदेशक ने पत्र लिखकर दिए निर्देश • कोरोना के दौर में बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य एवं विकास का रखा जाएगा ख्याल • दैनिक गतिविधि कैलेंडर के विषय में माता-पिता को दी जाएगी जानकारी मुज़फ़्फ़रपुर / 18 मई: कोविड-19 की रोकथाम के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। कोरोना प्रसार के मद्देनजर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने भी बच्चों को घरों में रहने की बात कही है। इस समय यह जरुरी है कि जब बच्चे घरों में रह रहे हैं तब माता-पिता का उनके प्रति व्यवहार भी काफी संयमित, उत्साहवर्धक एवं सुरक्षात्मक हो। इसे ध्यान में रखते हुए आईसीसीडीएस ने भी बेहतर दिनचर्या के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास की पहल की है। इसको लेकर आईसीडीएस के निदेशक आलोक कुमार ने सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को पत्र लिखकर इस संबंध में विस्तार से दिशा निर्देश दिया है। दैनिक गतिविधि कैलेंडर बच्चों के माता-पिता को करेगा सचेत: कोरोना संकटकाल के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन में स्कूल बंद है एवं बच्चों को घरों पर रहने की हिदायत दी गयी है। ऐसे में बच्चों की बेहतर दैनिक दिनचर्या से कोरोना संकट काल में उन्हें शारीरिक स्वास्थ्य लाभ मिलेगा एवं रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न रहने के कारण उनका उत्साहवर्धन भी होता रहेगा। इसके लिए आईसीडीएस ने दैनिक गतिविधि कैलेंडर तैयार की है। साथ ही आईसीडीएस के सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को निर्देशित किया गया है कि यह कैलेंडर व्हाट्सएप एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सभी महिला पर्यवेक्षकाओं एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं को भेज दें। आंगनबाड़ी सेविकाएँ गृह-भ्रमण के दौरान बच्चों के माता-पिता को दैनिक गतिविधि कैलेंडर के विषय में जानकारी देंगी ताकि वे आसानी से अपने घरों में बच्चों के साथ गतिविधि कर सके। इन विषयों को ध्यान में रखते हुए दैनिक गतिविधि कैलेंडर का किया गया निर्माण: • नियमित दिनचर्या बनाये रखने की कोशिश: वर्तमान स्थिति में जब आंगनबाड़ी केंद्र बंद है। बच्चे घर पर ही हैं। इसलिए यह जरुरी है कि बच्चों के लिए ऐसी दैनिक दिनचर्या बनायी जा सकती है, जो बच्चों के लिए मनोरंजक, स्वास्थ्यकर एवं बच्चे खेल-कूद में कुछ सीख सकें। • बच्चों के साथ संवाद जरुरी: इस महामारी के दौरान बच्चे मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं। इसलिए यह जरुरी है कि बच्चों से बात करने के क्रम में सकारत्मक दृष्टिकोण और ईमानदार रहना बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें माता-पिता एवं देखभाल करने वाले महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। • बच्चे का कुशल नेतृत्व: कुछ बच्चों को गतिविधि करने में उत्सुकता नहीं होती है। ऐसी स्थिति में बच्चे को गतिविधि में शामिल करने के लिए दवाब नहीं बनायें।उन्हें स्वतंत्र रूप से अपना फैसला लेने की छूट दें एवं जब उनकी इच्छा हो तभी उन्हें गतिविधि में शामिल करें। • बच्चों को विकासात्मक-रचनात्मक गतिविधियों में शामिल कर दिनचर्या का निर्माण: बच्चों को ऐसी गतिविधि में शामिल करने की जरूरत है ताकि उनका स्वास्थ्य एवं सर्वांगीण विकास संभव हो सके। जिसमें नियमित व्यायाम, उमुक्त खेल-कूद, चित्र बनाना, कहानी सुनाना, गीत गाना, रोल प्ले आदि क्रियाओं को उत्साहवर्धक बनाया जा सकता है। इससे बच्चों को राहत महसूस होगी कि वे एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण में हैं।

छपरा: जल प्रबंधन की उचित व्यवस्था कर फसलों के उत्पादन वृद्धि लाई जा सकती है। उक्त बातें कृषि समन्वयक के दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षकों ने कही। कृषि भवन के सभागार में में आयोजित जिले के 10 प्रखंडों के कृषि समन्वयकों को जल जीवन हरियाली योजना के तहत प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान कृषि से संबंधित कार्यों के निष्पादन के बारे में जानकारी दी गयी । इस मौके पर सहायक निदेशक (कृषि अभियंत्रण) संजय कुमार ने खरीफ फसल के समय जल संचयन एवं सिंचाई प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। जबकि जिला समन्वयक गौतम कुमार पंडित ने कहा कि जल जीवन हरियाली योजना के तहत जल जमाव वाले क्षेत्रों और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जल प्रबंधन की उचित व्यवस्था कर फसलों के उत्पादन वृद्धि लाई जा सकती है। इसके लिए सरकार के द्वारा कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू किया गया है। कृषि समन्वयक दीपक कुमार ने जल जीवन हरियाली योजना के तहत कृषि के साथ बागवानी एवं जैविक कैरीडोर बनाने के बारे में विस्तृत जानकारी दी। समारोह को कृषि समन्वयक मिथुन कुमार तथा दीपक कुमार सिंह आदि ने संबोधित किया। पहले दिन प्रशिक्षण कार्यक्रम में 10 प्रखंडों के कृषि समन्वयक उपस्थित थे । जबकि शनिवार को पुनः 10 प्रखंडों के कृषि समन्वयकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। कृषि मंत्री ने 15 जून तक जल जीवन हरियाली योजना सभी कार्यों को पूर्ण कराने का निर्देश दिया है। स्कूल लेकर जिला तथा प्रखंड स्तर पर कृषि विभाग की ओर से व्यापक स्तर पर कार्य योजना बनाई गई है, जिसे कार्यान्वित करने के लिए पावर प्रजेंटेशन के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया।

कोरोना को दें मिलकर मात,परिवार के सभी लोग बढ़ाएं हाथ ,गर्भवती, धात्री माताएं, बुजुर्गों सहित बच्चों एवं किशोरों को सतर्क रहने की जरूरत • छपरा: कोरोना संक्रमण की रोकथाम में सरकार महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है. एक तरफ जहाँ संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन एवं दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी कामगारों एवं अन्य लोगों की घर वापसी जैसे अत्यंत जरुरी निर्णयों से सरकार ने कोरोना के खिलाफ मजबूती से लड़ने की मंसा व्यक्त की है. तो वहीँ लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए प्रवासी कामगारों एवं गरीब परिवारों की आर्थिक मदद एवं उनके लिए खाद्य सामग्री की उपलब्धता भी सुनिश्चित करा रही है. इसी कड़ी में यूनिसेफ, एनएचएम एवं डब्ल्यूएचओ ने संयुक्त मार्गदर्शिका जारी कर समाज के विशेष वर्गों(गर्भवती, धात्री माताएं, बुजुर्गों सहित बच्चों एवं किशोरों) को कोरोना काल में सतर्क रहने की जानकारी दी है । कोरोना के इस दौर में गर्भवती एवं धात्री माताओं को भी अधिक सचेत एवं सतर्क रहने की जरूरत है. इसके लिए गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक भोजन, समय से टीका, प्रसव पूर्व जांच एवं आराम का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी गयी है. वहीं धात्री माताओं को साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखते हुए मास्क पहनकर बच्चे को दूध पिलाने की बात बतायी गयी है. कोरोना के बढ़ते प्रसार के कारण बच्चे मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं. इसके लिए मार्गदर्शिका में बच्चों की बेहतर देखभाल करने की हिदायत दी गयी है. जिसमें माता-पिता को बच्चों को सरल भाषा में कोरोना बीमारी से बचने के उपायों को बताने, छोटे बच्चों के साथ हमेशा कोई बड़े व्यक्ति के साथ रहने एवं बच्चों को उनकी पढाई जारी रखने में सहयोग करने की बात बताई गयी है. वहीं किशोरियों को माहवारी के समय पैड या साफ़ कपडे इस्तेमाल करने की सलाह दी गयी है. 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, किडनी की बीमारी, कैंसर या मधुमेह जैसी समस्याओं से ग्रसित लोगों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इन्हें घर से बाहर नहीं निकलने दें एवं इनका विशेष रूप से अलग रहना सुनिश्चित करायें. सरकारी योजनाओं एवं सुविधाओं का जरुर उठायें लाभ: कोरोना के मद्देनजर सरकार ने प्रवासी कामगारों एवं गरीब परिवारों की आर्थिक मदद के साथ उनके लिए सरकारी योजनाओं के तहत खाद्य सामग्री भी उपलब्ध करा रही है. 1 मई से खाद्य पदार्थ वितरण के दौरान पुराने राशन कार्ड धारकों के साथ नए राशन कार्ड धारकों को भी राशन उपलब्ध कराया जा रहा है. जिसमें अंत्योदय कार्ड धारकों को 20 किलोग्राम गेहूं एवं 15 किलोग्राम चावल उपलब्ध होगा . अन्य श्रेणी के लाभार्थियों जैसे मनरेगा श्रमिक, पंजीकृत निर्माण श्रमिक, ठेला, खुमचा लगाने वाले, रिक्शा एवं ई-रिक्शा चालक आदि को 3 किलोग्राम गेहूं एवं 2 किलोग्राम चावल उपलब्ध होगा. प्रवासियों को घर भेजे जाने से पहले उन्हें राशन किट दिए जाने का प्रावधान किया गया है, जिसमें उन्हें10 किलोग्राम गेहूं, 10 किलोग्राम चावल ,2 किलोग्राम दाल , 5 किलोग्राम आलू, 2 किलोग्राम भुने चने, 1 किलोग्राम नमक, 250 ग्राम पीसी हुयी हल्दी, 250 ग्राम पिसा हुआ धनिया, 250 ग्राम पिसा हुआ लाल मिर्च एवं 1 लीटर रिफाइंड एवं सरसों का तेल मिलेगा. आर्थिक मदद एवं आश्रय की व्यवस्था: कोरोना संक्रमणकाल के मद्देनजर पंजीकृत श्रमिकों को सरकार की ओर से 1000 रूपये दिए जा रहे हैं. जिन श्रमिकों का पंजीकरण नहीं हुआ है, उनका पंजीकरण नगर निगम, नगर पंचायतों एवं बीडीओ द्वारा किया जाएगा. साथ ही लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों एवं प्रवासियों के लिए आश्रय की भी व्यवस्था की गयी है. जहाँ उनके लिए पर्याप्त भोजन, पेयजल, साफ़ शौचालय एवं अलग से बिस्तर एवं चिकित्सा की व्यवस्था है.

राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को किया जाय जागरूक ,डेंगू से बचाव ही सबसे बड़ा इलाज है: छपरा सदर अस्पताल डॉ दिलीप छपरा/ 16 मई:-- डेंगू से बचाव ही इसका सबसे बड़ा इलाज साबित होगा। डेंगू से बचाव के लिए सतर्क व सजग रहने की जरूरत है. बदलते मौसम में डेंगू का खतरा बढ़ जाता है। उक्त बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने कही। उन्होंने कहा बरसात शुरू होते ही मच्छरजनित रोगों जैसे डेंगू एवं चिकनगुनिया का खतरा बढ़ जाता है। मच्छरों से फैलने वाले इन दोनों रोगों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए साथ स्वास्थ्य विभाग पहले से ही सतर्क है। प्रत्येक वर्ष 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया वैश्विक महामारी कोविड-19 की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस दिवस पर किसी प्रकार की जागरूकता रैली या सभा का आयोजन नहीं किया गया है। कोविड-19 के मद्देनजर राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर आम जागरूकता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया, फेसबुक, व्हाट्सएप आदि माध्यमों किया जा रहा है। डीएमओ ने बताया कि डेंगू एवं चिकनगुनिया की बीमारी संक्रमित एडीस मच्छर के काटने से होती है। यह मच्छर सामान्यता दिन में काटता है एवं यह स्थिर पानी में पनपता है। डेंगू का असर शरीर में 3 से 9 दिनों तक रहता है। इससे शरीर में अत्यधिक कमजोरी आ जाती है और शरीर में प्लेटलेट्स लगातार गिरने लगती है। वहीँ चिकनगुनिया का असर शरीर में 3 माह तक होती है। गंभीर स्थिति में यह 6 माह तक रह सकती है। डेंगू एवं चिकनगुनिया के लक्षण तक़रीबन एक जैसे ही होते हैं। इन लक्षणों के प्रति सावधान रहने की जरूरत है । तेज बुखार, बदन, सर एवं जोड़ों में दर्द ,जी मचलाना एवं उल्टी होना ,आँख के पीछे दर्द. त्वचा पर लाल धब्बे/ चकते का निशान ,नाक, मसूढ़ों से रक्त स्त्राव ,काला मल का आना डेंगू एवं चिकनगुनिया के लक्षण है। घर में साफ सफाई पर ध्यान रखें ,कूलर एवं गमले का पानी रोज बदलें ,सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें. मच्छर भागने वाली क्रीम का इस्तेमाल दिन में करें • पूरे शरीर को ढंकने वाले कपडे पहने एवं कमरों की साफ़-सफाई के साथ उसे हवादार रखें • आस-पास गंदगी जमा नहीं होने दें. जमा पानी एवं गंदगी पर कीटनाशक का प्रयोग करें • खाली बर्तन एवं समानों में पानी जमा नहीं होने दें. जमे हुए पानी में मिट्टी का तेल डालें • डेंगू के लक्षण मिलने पर तुरंत ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें

सुरक्षा कवच बनेगा आयुष संजीवनी एप ,50 लाख लोगों के अनुभवों के आधार पर आंकड़े जुटाने का लक्ष्य ,अनुभवों के आकलन से आयुष मंत्रालय की सलाह से होने वाले फायदे का चलेगा पता • आयुष मंत्रालय की सभी एडवाइजरी से भी लैस है संजीवनी एप छपरा--कोरोना वायरस यानि कोविड-19 से लोगों की रक्षा करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा आयुष मंत्रालय अब आयुष संजीवनी एप लेकर आगे आया है । इस एप में जहाँ आयुष मंत्रालय की सभी एडवायजरी हैं वहीँ इसमें लोगों के सवाल - जवाब का भी प्रावधान किया गया है । इन्हीं सवाल-जवाब के आंकड़ों के आधार पर यह तय होगा कि आयुष मंत्रालय की सलाह लोगों के लिए कितनी फायदेमंद साबित हो रही है । लोग इस एप पर अपने अनुभव साझा कर सकेंगे कि वह आयुष मंत्रालय की सलाह को कब से अपना रहे हैं और कितने दिनों में फायदा हुआ । इसके अलावा किन दिशा-निर्देशों के पालन से ज्यादा लाभ हुआ है। सरकार का प्रयास है कि इस एप का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार हो ताकि और लोग इसका फायदा उठाकर निरोगी काया पा सकें । भारत में पारंपरिक चिकित्सा का लम्बा इतिहास रहा है और आयुर्वेद के क्षेत्र में अग्रणी होने के नाते आयुष मंत्रालय आयुष प्रणालियों के नैदानिक अध्ययन के माध्यम से देश में कोरोना वायरस यानि कोविड-19 की समस्या का समाधान करने के लिए काम कर रहा है । इन्हीं आयुर्वेद से जुड़ीं पद्धतियों पर क्लिनिकल रिसर्च स्टडीज और आयुष संजीवनी एप की शुरुआत की गयी है । यह एप कोविड की रोकथाम के लिए आयुष चिकित्सा प्रणालियों के उपयोग की स्वीकृति और लोगों के बीच इसके प्रभावों से आंकड़े जुटाने में उपयोगी साबित होगा । मंत्रालय लोगों के बीच कोविड की रोकथाम के लिए आयुष प्रभाव का भी आकलन कर रहा है । एप के जरिये 50 लाख लोगों के आंकड़े जुटाने का आयुष संजीवनी एप के जरिये देश भर के 50 लाख लोगों के अनुभवों के बारे में आंकड़े जुटाने का लक्ष्य तय किया गया है । यह आंकड़े कोविड-19 की रोकथाम के लिए आयुष चिकित्सा प्रणालियों के उपयोग की स्वीकृति और लोगों के बीच इसके प्रभावों के आकलन में उपयोगी साबित होंगे। जनसंख्या आधारित पारम्परिक अध्ययन पर जोर : आयुष मंत्रालय उच्च्च जोखिम वाली आबादी में कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम में आयुर्वेदिक दवाओं के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए जनसँख्या आधारित अध्ययन भी शुरू करने जा रहा है । इससे निवारक क्षमता का पता चल सकेगा । देश में आयुष मंत्रालय के अनुसन्धान परिषदों, राष्ट्रीय संस्थानों व कई राज्यों के माध्यम से यह अध्ययन किया जाएगा । इसके तहत 5 लाख की आबादी को कवर करने की योजना है । यह अध्ययन रिपोर्ट कोविड-19 के उपचार में आयुष पद्धति की क्षमताओं के आकलन के लिए वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर अवसरों के नए द्वार खोलेगी । • दिन में बार-बार गुनगुना पानी पिएं • रोजाना 30 मिनट तक योगा करें • भोजन में हल्दी, जीरा, धनिया और लहसुन का इस्तेमाल करें, एक चम्मच या 10 ग्राम च्यवनप्राश का हर रोज सेवन करें ,दिन में एक-दो बार हर्बल चाय/काढ़ा पियें • दिन में एक/दो बार हल्दी वाला दूध पियें • तिल या नारियल का तेल या घी सुबह-शाम नाक के छिद्रों में लगायें • एक चम्मच नारियल या तिल का तेल को मुंह में लेकर इधर-उधर घुमाएँ और गुनगुने पानी के साथ कुल्ला करें (थूक दें) • गले में खरास या सूखा कफ हो तो पुदीने की पत्तियां व अजवाइन को गर्म कर भाप लें • गुड़ या शहद के साथ लौंग का पाउडर मिलाकर दिन में दो-तीन बार खाएं

10 किलोमीटर प्रतिदिन पैदल चलकर सोनपुर अनुमंडल अस्पताल पहुँच कर अपने कर्तव्यों के साथ-साथ माँ का फर्ज निभा रही है नर्स -नूतन, अपने घर के घरेलू कार्य को निभाते हुए कोरेना के जंग में उनके बच्चे व पति हौसला बढ़ाने में पीछे नहीं सोनपुर--कोरोना संक्रमण काल में स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक , नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे हैं. इन दिनों जब कोरोना वायरस का संकट पूरे देश में फैला हुआ है तो एएनएम एवं नर्स लोगों की सेवा में दिन-रात जुटी हैं । एक तरफ वह अपने परिवार के सदस्यों की देख रेख तो कर ही रहीं हैं लेकिन उनके कन्धों पर जो जिम्मेदारी देश और समाज के प्रति है, उसे भी वह बखूबी निभा रही हैं। ऐसी परिस्थिति में प्रत्येक वर्ष 12 मई को मनाये जाने वाले विश्व नर्स दिवस उन सभी नर्सों को समर्पित है, जो निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज की सेवा में समर्पित हैं । ऐसे में सोनपुर अनुमंडल अस्पताल में कार्यरत नूतन कुमारी विश्व नर्स दिवस को अपने कर्तव्यों से सार्थक कर रही है. वह कोरोना संक्रमण काल में एक ज़िम्मेदार स्वास्थ्य कर्मी के साथ एक परिवार के गृहणी होने का भी फर्ज निभा रही है। नीलम कुमारी कहती है सोनपुर प्रखंड के सबलपुर गांव में दो कोरोना संक्रमित पॉजिटिव मरीज मिला था । जहां पर उनकी ड्यूटी लगाई गई थी वे उन मरीजो को विना किसी तरह के भय अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती रही और कोरेना जैसी महामारी से डटकर मुकाबला करने में पीछे नही रहती है । नीलम कुमारी कहती है कि मैं सुवह 3 बजे उठकर अपने घर के सभी कार्यो को निपटारा करते हुए प्रतिदिन 10 किलोमीटर पैदल चलकर ससमय से अस्पताल में पहुँच कर अपने कर्तव्यों का वेखुवी से पालन करती हूं । लॉक डाउन में गाड़ियों के नही चलने से परेशानियों का सामना करना पड़ता लेकिन इस महामारी में मेरे परदेशी पति जो बाहर में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कार्यरत है जो कि छुट्टी में आये थे वह इस महामारी में आवागमन बाधित होने से घर पर रह गए वही उनकी बच्ची शुभम साक्षी ने इस महामारी में हमे हौसला बढ़ाने में अहम रोल अदा कर रही है। वही 15 वर्षीय पुत्री सुभम साक्षी माँ से कहती है कि काश मैं भी आज डॉक्टर रहती तो निश्चित ही इस महामारी में अपना जीवन देश के सेवा में लगाकर अपने को गौरवांवित महसूस करते । वही नूतन कुमारी कहती हैं कि मेरे अस्पताल के डॉक्टर अभिषेक कुमार सिन्हा ,प्रभारी हरिशंकर चौधरी ,मृत्युंजय पांडये ,जंगबहादुर से लेकर सभी डॉक्टर ,नर्स, एएनएम के सभी कर्मचारियों का कार्यो में सहयोग व पैदल चलकर आने- जाने के लिए हौसला बढाते रहते हैं । नूतन कहती हैं कि मैं सोनपुर से लेकर नायगांव स्वास्थ्य केंद्र पर आने वाले मरीजो व प्रवेशी मजदूरों या अन्य लोगों के साथ उनके परिजनों को कोरोना संक्रमण से बचाव के बारे में जागरूक करती रहती हूं साथ ही साथ स्वास्थ्य विभाग की महत्वपूर्ण अभियान परिवार नियोजन को भी धरातल पर उतारने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हूं ।

सोनपुर प्रखंड के एक बालू व्यापारी मुकेश रंजन ने बताया कि सरकार को यातायात नियमों में भारी जुर्माने की रकम न लेकर उसकी जगह सही तरह से शासन व्यवस्था बनाये तो यह कारगर जो सकता है।

किसान लक्ष्मण पांडेय ने बताया कि अनाज भंडारण न होने के कारण किसानों को नुकसान सहना पड़ता है अगर सरकार द्वारा इस तरह की कोई उपाय किया जाए तो किसान नुकसान से बच जाए और किसानों की आर्थिक स्थिति भी कुछ हद तक बदलेगी।