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मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?
आजीविका चलाने के लिए गांव में रहने वाले लोगों को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है और इससे भी जब वह अपना आजीविका नहीं चला पता है तो वह गांव छोड़कर पलायन कर जाता है। आज के युवा वर्ग खासकर यह देखने को मिल रहा है कि बहुत अधिक संख्या में गांव छोड़कर दूसरे प्रदेश काम के लिए चला गया है
जिस उम्मीद से केंद्र सरकार ने मनरेगा योजना लाया था वह उद्देश्य मजदूरों से काफी दूर होता जा रहा है और इसमें दूसरे लोगों को काफी लाभ हो रहा है मनरेगा मजदूर केवल नाम का है और काम किसी और के माध्यम से हो रहा है जिसके कारण मजदूरों को काम नहीं मिलता है
गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के किसान इन दिन करो या मरो की स्थिति में से गुजर रहा है क्योंकि किसानों को धान कटनी करने एवं धन को हटाने के लिए मजदूर नहीं मिल रहा है कार्तिक समाप्त होते ही सभी मजदूर आईटी पाने के लिए दूसरे प्रदेश चले गए हैं जिसके कारण मजदूरों का घोर अभाव हो गया है किसान अपने बच्चों को कमाने के लिए पहले ही प्रदेश भेज चुका है इसलिए किसान जितना संभव होता है उतना ही धान का कटनी कर रहा है अगर धान कटनी देर से हुआ तो निश्चित रूप से रवि फसल गेहूं लगाने में अधिक समय लग जाएगा और उसकी फसल फिर हाथ हो जाएगा ऐसे में फसल पर सीधा असर पड़ेगा। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
छठ पूजा समाप्त होते ही परदेसियों का पलायन शुरू हो गया है छठ पूजा से एक सप्ताह पहले परदेसी अपना गांव आता है और गांव एवं गलियों की साफ-सफाई करता है अपने माता-पिता भाई-बहन चाचा चाचा एवं अन्य ग्रामीण से अपना आशीर्वाद प्राप्त करता है और छठ मनाने के बाद वह पुन अपनी प्रदेश की और कुछ कर जाता क्योंकि उसके साथ रोजी रोजगार का बहुत बड़ा प्रश्न है। ज़्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।
जिले के गिद्धौर प्रखंड के बनझूलिया गांव निवासी सुजीत कुमार मजदूरी करने के लिए पटना गए थे वहां लगातार काम नहीं करने की मिलने की वजह से वह अभी वर्तमान में अमृतसर में टाइल्स मार्बल के मिस्त्री का काम कर रहे हैं। वहां उन्हें 450 रुपए प्रतिदिन मिलता है।
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लक्ष्मीपुर प्रखंड के ककनचोर पंचायत के दिनेश जी बताते हैं कि यह मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुने
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