तमिलनाडु राज्य के सिडको से मीना की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से ममता से हुई। ममता ने बताया वो तिरुपुर में 13 साल से तीन कंपनियों में काम कर चुकी है। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी में एक सप्ताह पहले एक श्रमिक की पांच उँगलियाँ कार्य के दौरान कट गई थी । कंपनी वालों ने 5 से 6 दिन का उनका इलाज़ करवाया इसके बाद उस घायल श्रमिक के भविष्य की चिंता करते हुए छह श्रमिकों ने मिलकर कंपनी प्रबंधन से दुर्घटना मुआवज़ा की बात की परन्तु कोई समाधान नहीं निकला। जिस श्रमिक की उँगलियाँ कटी है ,वो पीस रेट में कार्य करते है जिन्हे पीएफ ईएसआई की सुविधा नहीं मिलती है। ममता का कहना है कि पीस रेट में कोई फ़ायदा नहीं है ,चार दिन का कार्य एक दिन में ही निबट जाता है जिससे कई श्रमिक पीस रेट में ही कार्य करना पसंद करते है। बड़ी कंपनियों में 50 से 60 कारीगर होने पर भी पीएफ व ईएसआई का लाभ नहीं मिलता। पहले कंपनी में ममता ने चार साल काम किए परन्तु कोई लाभ नहीं मिलता था। न बोनस मिलता था न ही पीएफ का सुविधा। छुट्टी लेने पर भी पैसे काटे जाते थे। चार सालों में कोई बचत नहीं कर पाए। ऑडियो पर क्लिक कर सुनें पूरी साक्षात्कार...