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झारखंड राज्य के बोकारो जिला के चन्द्रपुरा प्रखंड से नरेश महतो का मोबाइल वाणी के माध्यम से राज्य में स्थित असंख्य पर्यटन सथलों के सम्बन्ध में कहते हैं कि झारखंड एक ऐसा राज्य है, जहां अगर गौर किया जाये ,तो हर एक जिले में कोई न कोई पर्यटन स्थल अवश्य ही मौजूद है. राज्य में तरह तरह के झरने, नदी ,पहाड़ आदि स्थित हैं जो एक बड़े पर्यटन स्थल के रूप में उभर कर आ सकते हैं। इन्हीं पर्यटन स्थलों के सूची में चन्द्रपुरा प्रखंड के बंदियों पंचायत में द्वारफेनि बाबा का नाम भी शामिल है। बड़े बुजुर्गों के अनुसार इस द्वारफेनि बाबा की लगभग डेढ़ सौ वर्षों से नियमित रूप से पूजा अर्चना की जाती है। द्वारफेनि बाबा का मंदिर जंगल के बीचोंबीच स्थित है।बड़े बुजुर्गों का यह मानना है कि पहले काफी संख्या में लोग इस मंदिर में आते हैं । और अगर इस स्थल को विकसित किया जाये तो यह राज्य में एक बड़ा पर्यटन स्थल के रूप में जाना जायेगा और इससे झारखण्ड सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी। लेकिन झारखंड राज्य अलग हुए 17 वर्ष पूरा हो गया है, फिर भी इस रमणी स्थल को विकसित करने के बारे में किसी भी जनप्रतिनिधियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आज तक इस स्थान में आवागमन की कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है।जिसके कारण यहां पर आने वाले पर्यटकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । और शायद यही वजह है कि बहुत ही कम लोग इस पर्यटन स्थल से परिचित हैं। अतः झारखण्ड सरकार को इस ओर ध्यान देकर इसे विकसित करने की जरुरत है।

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जिला बोकारो,प्रखंड चंदरपुरा से नरेश महतो जी मोबाईल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि हर किसान यह चाहता है कि उसकी फसल अच्छी हो। पैदावार को बढ़ाने के लिए किसान ज्यादातर रासायनिक खाद और कीटनाशक दवा का प्रयोग करने लगते है। जिसके फलस्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति ख़त्म हो रही है।वर्तमान समय में जैविक खाद का प्रयोग नहीं के बराबर हो रही है। किसान अपने मेहनत का पूरा लाभ पाने के लिए अपने खेतों में यूरिया,डीएपी जैसे कई तरह के रासायनिक खादों का प्रयोग करते है। साथ ही तरह -तरह के कीटनाशक दवाओं का भी अधिक प्रयोग कर रहे हैं जिससे उपजाऊ जमीन बंजर जमीन में तब्दील होती जा रही है। वे कहते हैं कि भारतीय शोधकर्ताओं के अनुसार जब देश अंग्रेजों का गुलाम था तब हमारे यहाँ खेती का कुल उत्पादन पूरी दुनिया का तैंतीस प्रतिशत था। तब देश में कोई आधुनिक तकनीक नहीं थी। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत में कृषि का कुल उत्पादन विश्व स्तर पर 0.02 प्रतिशत है। फिर भी ऐसी क्या वजह है की किसान आत्महत्या क्र रहे हैं? यह एक विचारणीय प्रश्न है। वे कहते हैं कि खेतों की उर्वरा शक्ति को बनाने के लिए किसानों को खेती करने के लिए गोबर और गोमूत्र का ही प्रयोग करना चाहिए।

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