झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के दारू प्रखंड से बलराम शर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से एक श्रमिक भाई जिनका नाम कृष्णा कुमार है उनसे बातचीत किये। इस बातचीत में कृष्णा कुमार बताते हैं, कि वे रोजगार के लिए मुंबई और बैंगलोर गए जहाँ उन्हें काम मिला। काम के दौरान इनके साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता था।कभी भी समय के अनुसार ही काम करवाया जाता था।साथ ही वेतन प्रतिदिन पूरा दिया जाता था। यदि राज्य में भी रोजगार मिल जाए तो श्रमिकों को पलायन नहीं होना पड़ेगा।
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के दारू प्रखंड से बलराम शर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से सूरज कुमार से बातचीत किये। इस बातचीत में सूरज कुमार ने बताते हैं, कि वे कलकत्ता और मुम्बई में कैंटीन में काम करते थे। काम के दौरान सूरज कुमार के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता था। काम के दौरान जितना वेतन मिलता था उस पैसे से घर परिवार चलने में किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। लेकिन अगर राज्य या जिले में सरकार द्वारा कोई रोजगार का साधन दिया जाए तो वह और भी बेहतर होगा
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के दारु प्रखंड से बलराम शर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि सौर ऊर्जा सूर्य से प्राप्त होने वाली एक ऐसी सस्ती एवं बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली ऊर्जा है। जो सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलती है। सरकार द्वारा सौर ऊर्जा को काफी प्रोत्साहन दिया जाता है। लेकिन भ्रस्ट कर्मचारी एवं राजनैतिक कुरीतियों के कारण गावों तक यह योजना नहीं पहुंच पाती है। वर्तमान समय में हज़ारीबाग़ जिला में सौर ऊर्जा का प्रयोग ना के बराबर किया जाता है। केवल सरकारी कार्यालयों में रात के अँधेरे को उज्वल रखने के लिए सोलर प्लॉट ही लगाया गया है। वहीँ दारू प्रखंड के कई पंचायतों में सिर्फ छोटे-छोटे पैनल लगाया गया है। जो केवल रात में ही उजाला देती है। कई सोलर प्लेट ख़राब भी हो चुके हैं जिसे बदलने वाला कोई नहीं है। साथ ही इस क्षेत्र में ना के बराबर सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है।
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाद ज़िला के दारू प्रखंड से बलराम शर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि स्वछता का ध्यान रखने से ही देश महान बन सकता हैं। वर्त्तमान में हर शहर,गांव,क़स्बा,गली-मौहल्ला को स्वच्छ रखने में जनता भागीदारी निभा रही हैं।स्वछता और स्वास्थ्य एक दुसरे के पूरक हैं। अगर समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति अपनी सोच का दायरा बढ़ा कर स्वछता के प्रति ध्यान केंद्रित करे तो देश ज़ल्द ही स्वच्छ बनेगा। और अगर आसपास स्वछता रहेगी तो सेहत भी दुरुस्त रहेगा और बीमारी भी नहीं पनपेगी।प्रत्येक दिन जाने अनजाने में कई गलतियाँ हो जाती हैं जिससे गन्दगी फैलती हैं। दुकान,रेस्टोरेंट आदि से वस्तुएँ ख़रीद उसका प्रयोग कर आवरण को सड़कों पर फैक दिया जाता हैं। जो जमा हो कर कचड़े का भंडार बन जाती हैं।वर्त्तमान में हज़ारीबाग में स्वछता पर पूरी तरह से ध्यान दिया जा रहा हैं।ज़िला के डी.सी रवि शंकर शुकला व एस.डी.ओ व जनता मिलकर एकता के साथ स्वछता क़ायम रखने का कार्य कर रहे हैं। वही हज़ारीबाग में सभी जगहों में ज़िला नगर निगम द्वारा बनाए गए कूड़ेदान का सभी ज़गह उपयोग किया जा रहा हैं। वही दारू प्रखंड के सभी पंचायतों में शौचालय का निर्माण किया गया हैं। प्रखंड के सत्तर प्रतिशत आबादी शौचालय का इस्तेमाल कर देश व समाज को खुले में शौच मुक्त बना रही हैं।देश ज़ल्द से ज़ल्द विश्व में अपना अलग स्थान बना पाएगी ।
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झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग ज़िला के दारू प्रखंड से बलराम शर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जहाँ आधुनिकरण के आने से मुश्किलों भरी कार्य आसान हो गए हैं तो वही पुरखों की परम्परा और सभ्यता लुप्त होते जा रहे हैं।अपनी हाथों की कला से सादी एवं गंदी मिट्टी को नया रूप निखार प्रदान करने वाले कुम्हार की स्थिति आज के युग में दयनीय हो गई हैं।आज समाज विकास की सीढियाँ चढ़ने में व्यस्त हैं। आधुनिकरण के दौर में कुम्हारों द्वारा बनाई गई मिट्टी की कलाकृतियाँ की महत्व घटती ही जा रही हैं। बाज़ार की वस्तुएँ की माँग इस कदर बढ़ गई हैं कि लोग कुम्हारहों द्वारा बनाई गई मिट्टी के बर्तन,खिलौने,मूर्तियाँ,दीये आदि को उतना महत्व नहीं देते हैं।कुम्हार महनत से मिट्टी को नया रूप दे कर दीया,मूर्तियाँ आदि बना कर बाज़ारों में बेचने लाते तो हैं परन्तु लोग हस्तकला को छोड़ बाज़ारों में बिकनें वाली कृत्रिम चमचमाती लाइट,मूर्तियाँ,दीया आदि माँग करते हैं।कुम्हारों की वस्तुएँ बिक न पाने की वज़ह से उनकी जीविका सुचारु ढंग से आगे नहीं बढ़ पाती हैं।जो कुम्हार दूसरे के घरों में रोशनी लाने हेतु दीये बनाती हैं उन्ही कुम्हारों की जिन्दगी अंधेरें में बीतती हैं। देखा जाता हैं कि कम लागत में बिकने वाली कुम्हार द्वारा निर्मित वस्तुएँ,चीनी उत्पादों के सामने टिक नहीं पाती क्योंकि चीनी उत्पादों की माँग बाज़ारों में अधिक हैं।कारणवश कुम्हार अपनी सभ्यता को त्यागने पर मज़बूर हो जाते हैं। बलराम जी बताते हैं कि हमारे समाज में कुम्हारों की जिंदगी ख़तरे में हैं,सरकार को कुम्हारों को ध्यान में रखते हुए चीन से आयत होने वाली वस्तुओं पर रोक लगाने की आवश्यकता हैं। देश में निर्मित एवं कुम्हारों द्वारा बनाई जाने वाली कलाकृतियों को बढ़ावा देना चाहिए।ताऔर परंपरा कि देश के विकास के साथ साथ समाज में कुम्हारों का भी विकास हो सके। और हमारी सभ्यता और परंपरा बरक़रार रहे।
झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के दारू प्रखंड से बलराम शर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि पर्यावरण है तो हम सभी हैं,पर्यावरण को सुरक्षित एवं नियंत्रण में रखने के लिए, पेड़ पौधों एवं जीव जंतुओं को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए .यदि हम जंगल में रखने वाले जीव जंतुओं एवं पेड़ पौधों को नुकसान पहुँचाते हैं तो इसका खामियाजा हम सभी को भुगतना पड़ता है क्योंकि हरियाली को बरक़रार रखने में पेड़ पौधे एवं जीव जंतु एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं . पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए इन्होने कुछ सुझाव दिए जैसे - अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए ,जंगलों में कार्बनिक पदार्थों को नहीं जलाना चाहिए क्योंकि कार्बनिक पदार्थ जलने से वायु मंडल में कार्बन की मात्रा काफी बढ़ जाती है, जिसका बुरा प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है। साथ ही इन्होने बताया कि पेड़ों से हमें कई चीजों की प्राप्ति होती है, जैसे- फूल, फल,ईंधन, औषधि,महुआ,एवं लकड़ियां इत्यादि जिसका इस्तेमाल लोग अपने दैनिक जीवन में करते हैं। अगर पर्यावरण सुरक्षित रहता है तो मौसम का मिज़ाज भी ठीक रहता है। समय के अनुसार बारिश,गर्मी अनुकूल रूप से होती है .समय-समय पर सरकार द्वारा पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं .इसी के अंतर्गत हज़ारीबाग़ जिले में 2010 में कई हेक्टेयर पेड़ लगाए गए हैं जिसमे सीसम,गम्हार,अजवान इत्यादि पेड़ खास हैं.आज उस स्थान ने एक जंगल का रूप ले लिया है और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के दारू प्रखंड से बलराम शर्मा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि बारिश का मौसम आते ही किसानों में उल्लास भर जाता हैं क्यूंकि धान रोपने में बारिश वरदान की तरह होती है। लेकिन बारिश का मौसम जहाँ अपने साथ राहत और खुशियाँ लाती है,वहीं व्रजपात जैसी घटनाओं में लगातार वृद्धि होने से लोगों के मायूसी भी साथ लेकर आती है। व्रजपात होने के कारण कई जीव-जन्तुओं की जान चली जाती है, जिससे जानमाल की भारी क्षति होती है।वे कहते हैं कि कुछ सावधानियों को अपना कर बरसात के दिनों में होने वाले व्रजपात के दुष्परिणाम से बचा जा सकता है।जैसे-बारिश के दौरान पेड़ों के नीचे पनाह न लें।आकाशीय बिजली चमकने के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग बिलकुल न करें।खेतों में काम करते समय खाली पैर न रहें तथा चप्पलों का इस्तेमाल करें या पैरों के नीचे ऐसी वस्तुएं रखें जिससे व्रजपात का प्रभाव न पड़े ।
राज्य झारखण्ड के हजारीबाग जिला के दारु प्रखंड से बलराम शर्मा जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि एक लंबे समय के बाद राज्य में वर्ष 2010 में पंचायत चुनाव हुआ।पंचायत चुनाव होने के बाद मुखिया द्वारा पंचायत के विकास के लिए तरह-तरह के कार्य किये जा रहे हैं।पंचायत सम्बन्धी कोई भी कार्य के लिए आम सभा का आयोजन किया जाता है जिसमें ग्रामीणों की राय ली जाती है। मुखिया द्वारा गावं की पक्की सड़के बनवायी गयी और सोलर लाइट भी लगवाया गया है । वे कहते हैं कि समाज का विकास करने के लिए आम नागरिक को भी जागरूक होना पड़ेगा।साथ ही उनका कहना है कि गाँवो में कई प्रकार के विकास कार्यो को संपन्न करने के लिए सरकारी राशि आती है लेकिन जनता को इनकी जानकारी नहीं रहती है। अत: पंचायतों में चल रहे विकास कार्यों को गति देने एवं पंचायत का समग्र विकास के लिए जरुरी है कि लोगों को जागरूक किया जाये।
झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के दारू प्रखंड से बलराम शर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि नशा खोरी एक ऐसी आदि है जो किसी परिवार को तोड़ कर रख देती है। आज के युग में नाबालिक युवक नशा में तब्दील होते जा रहे हैं। आज स्कूल,कॉलेज,महाविद्यालय, पब्लिक प्लेस एवं अन्य जगहों पर तम्बाकू मुक्त लिखा जाता है। लेकिन उन्ही स्थानों पर अत्यधिक नशा करते लोग नजर आते हैं। आज के युग में हर छोटे-बड़े अपराध के पिछे नशा ही सामने आता है। क्योंकि नशा करने के बाद युवाओं का मानसिक संतुलन काफी बिगड़ जाता है और वे अपराध कर जाते हैं। जो युवक नशा का सेवन अधिक करते हैं वे शारीरिक और मानसिक रूप से काफी कमजोर नजर आते हैं। सरकर द्वारा छोटे-बड़े दुकानों में तम्बाकू बेचना कानूनन अपराध माना गया है, फिर भी विक्रेता चोरी छुपे तम्बाकू को बेचते हैं। अतः युवाओं को नशा से दूर रखने के लिए एक बेहतर माहौल बनाने की जरुरत है। साथ ही इससे होने वाले कुप्रभावों के बारे में जागरूक करना चाहिए। प्रशासन द्वारा भी कड़े कानून को सख्ती से लागू करना चाहिए