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जिला धनबाद के बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो झारखण्ड मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि कोयला खादान क्षेत्रों में पर्यावरण की स्थिति काफी दयनीय हैं। क्योकि यहाँ पर पेड़ पौधे हैं परन्तु उनके पत्ते झड़ गए हैं। प्रदुषण इतना बढ़ गया है की पेड़ पौधे जीवित नहीं रह पा रहे हैं। जंगलों को काट दिया गया है क्योंकि जंगल झाड़ रहते हुए कोयला खान नहीं चल सकता। कोयला खान चलने के कारण जंगलों का सफाया हो चूका है। जमीन को खोखला कर दिया गया है जिससे पानी की भी कमी हो गई है । पर्यावरण इतना दूषित हो गया है की लोगो के अनेक तरह की बीमारियां हो रही हैं।
जिला धनबाद बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो झारखण्ड मोबाईल वाणी के माध्यम से एक कविता प्रस्तुत कर रहे हैं जो खनन के कारण होने वाले दुष्प्रभाव पर आधारित है।
झारखण्ड राज्य के धनबाद जिले के बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि भारत को आजद हुए 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज कुपोषण बेकाबू होता जा रहा है। इनमे झारखंड भी शामिल है।कुपोषण का शिकार अधिक मात्रा में बच्चे और महिलाएं होती हैं। इसे रोकने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएँ चलाई जाती परन्तु उसे धरातल पर नहीं उतारा जाता है। आंगनबाड़ी केंद्र में कुपोषण दिवस कब मनाया जाता है इसकी जानकारी ग्रामीणों को नहीं मिल पाती है। जिसके कारण कुपोषण के बचाव से लोग वंचित रह जाते हैं। यह सच है कि पहले की तुलना में कई आंगनबाड़ी केन्द्रो में कुपोषण से बचाव के उपाय के बारे में बताया जाता है। फिर भी कुछ क्षेत्रो में अभियान चला कर कुपोषण पर काबू पाया जा सकता है। इसमें आम जनता के साथ-साथ जनप्रतिनिधि को आगे आने की आवश्यकता है।
धनबाद जिला के बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो जी झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से कोयला खदान पर आधारित एक कविता प्रस्तुत कर रहे है। कविता के माध्यम से बीरबल जी बता रहे है की इस कोयला खदान की वजह से नलकूप और कुँआ सुख गए है। जिस कारण सभी को पीने के पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है।और इस कोयले खदान के दूषित पानी का उपयोग करने से लोगों में तरह-तरह की बीमारियां हो उत्पन्न रही है।
धनबाद के बाघमारा प्रखंड से मदन लाल चौहान जी झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि बाघमारा प्रखंड अंतर्गत BCCL की अनेको कोलियारियाँ चलती है। इन कोलियरियों के कारण यहाँ की खेती पर पूरा प्रभाव पड़ा है। BCCL बिना मुवाबजा के कई ऐसे क्षेत्र को परियोजना या भूमिगत खदान बना चुकी है।इससे स्थानीय बेरोजगार किसान प्रभावित है।कई बार आंदोलन करने पर उन्हें आश्वासन मिला।यहाँ पांच सौ फीट से लेकर दो हजार फीट की गहराई में कोलियारियाँ चल रही है।इसके कारण यहाँ के चापानल और कुँवा में पानी नहीं है । इतना ही नहीं पानी के साथ-साथ हवा भी भी दूषित है।जिस कारण यहाँ पर निवास करने वाले मनुष्य और जानवर दोनों बिमारियों की चपेट में है। BCCL के अधिकारीयों, बार-बार चुने जाने वाले प्रतिनिधियों और केंद्र और राज्य सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है।
झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला के बाघमारा प्रखंड से मदन लाल चौहान जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां के लगभग 70 प्रतिशत लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। देश के अर्थव्यवस्था में कृषि का अहम् योगदान है। उनका कहना है कि आज़ादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी गांवों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाई है । और शायद यही वजह है कि आज भी हमारे देश में असमानता व्याप्त है।चूँकि इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी अधिकांश गांव में बिजली,पानी ,शिक्षा ,सड़क आदि जैसी मूलभूल आवश्यकताओं की भारी कमी है। साथ ही किसानों में कृषि सम्बन्धी जानकारी की कमी, कृषि उत्पादों की बिक्री हेतू हाट बाजार का आभाव आदि एक गंभीर समस्या है। वे कहते हैं कि ग्रामीणों और खासकर दबे कुचले लोगों को विकास के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए गांव में ही रोजगार सृजन किया जाना चाहिए लेकिन स्थानीय मुखियां एवं अन्य जनप्रतिनिधि इस ओर किसी तरह का ध्यान नहीं दे रहे हैं। ऐसे में देश की सर्वांगीण विकास की कल्पना कैसे की जा सकती है यह एक विचारणीय प्रश्न है।