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झारखण्ड राज्य से टेक नारायण प्रसाद जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है महिला नहीं है तो कुछ भी नहीं है। महिलाओ के कारण हि एक घर सुन्दर बनता है अगर महिलाए नहीं तो घर शून्य है। ऐसी स्थिति में अगर महिलाए एक दिन कि मर्ज़ी मांगती है तो इसे देने में कोई संकोच नहीं किया जाना चाहिए। महिलाए अपने घर परिवार के बोझ के आगे अपने अंदर की प्रतिभा, गुण को अपने भीतर ही दबा लेती है
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झारखण्ड राज्य के हाज़िरीबाग़ जिला के इचाक प्रखंड से टेकनारायण प्रसाद कुशवाहा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि मोबाइल वाणी पर कुछ दिन पहले कम्बल वितरण नहीं किये जाने सम्बंधित खबर प्रसारित किया था। इस खबर को सभी पदाधिकारी एवं मुखियागण को सुनाया गया। इसके कुछ दिन बाद ही लाभुकों के बीच कम्बल का वितरण कर दिया गया। दिनाँक 10/1/2019 तक बड़काकाना पंचायत के सभी वार्डों में लगभग 40 कम्बल का वितरण किया गया, जिसमे प्रत्येक वार्ड को चार-चार कम्बल दिया गया। यह सब संभव हुआ है झारखण्ड मोबाइल वाणी के प्रयास से।
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झारखंड राज्य के हज़ारीबाग जिला से टेक नरायण कुशवाहा मोबाइल वाणी के द्वारा कहते हैं की इचाक प्रखंड में जो हाट बाजार लगता है वहाँ पर वाहनों की इतनी भीड़ होती है की उससे आने-जाने वाले लोगों को तो समस्या होती ही हैं,इसके साथ ही सब्जी लगाने या ठेला वालों को भी समस्या का सामना करना पड़ता है।लोग अपने वाहनों को कहीं भी खड़ा कर देते हैं।इससे सड़क और बाजार के बीच में अंतर करना ही मुश्किल हो जाता है। मुर्गा-मुसलम विक्रेता भी व्यवस्थित तरीके से अपना कार्य नहीं करते है।माँस बेचने वाले लोगों के कारण यहाँ शराबियों का भी अड्डा देखने को मिलता है।इस बाजार में करीब छह महीने पुर्व ही प्रशासन की ओर से व्यवस्था की गयी थी।लेकिन कुछ समय बीतने के बाद फिर से वही समस्या का सामना लोगों को करना पड़ रहा है।यह बाजार काफी पुराना है,इसके बावजुद अब तक यहाँ महिलाओं के लिए कोई भी शौचालय की व्यवस्था नहीं है,इससे महिलाओं को भी खासी दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है।प्रशासन द्वारा यहाँ शौचालय और पानी की व्यवस्था आवश्यक रूप से की जानी चाहिए।जिससे महिलाओं को भी सुविधा हो सके।
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग ज़िला के इचाक प्रखंड से टेकनारायण प्रसाद खुश्वाहा मोबाइल वाणी के माध्यम से सिक्योरिटी गार्ड पर होने वाले शोषण के विषय में बता रहे हैं, कि सिक्योरिटी गार्ड के पद पर नौकरी करने वाले लोग चाहे वो मकान,दूकान,ए.टी.एम,अस्पताल आदि में कार्य करते हो। इन्हें ठेकेदार द्वारा ही कार्य पर रखा जाता हैं। ठेकेदार को मिलने वाले मूल्य से भी कम वेतन पर सिक्योरिटी गार्ड की नियुक्ति होती हैं। आठ घंटे ड्यूटी में वेतन कम मिलने के बावज़ूद भी लोग मज़बूरी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं।इतना ही नहीं उन्हें उचित मूल्य से अधिक पोशाक आवंटित किए जाते हैं। देखा जाता हैं कि काम के दौरान इन्हें कोई न कोई अतिरिक्त शर्तों के साथ काम दे दिया जाता हैं। महीना भर काम करने के बाद अगर मजदुर अधिकारी द्वारा सौंपी गई शर्तों के आधार पर कार्य करने में विफल होते हैं तो उनके वेतन में से 100-200 रुपय शुल्क के रूप में काट लिया जाता हैं। इतने कम पैसे में मजदूरों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं, दिनचर्या इस्तेमाल होने वाली वस्तुएँ,खाद्य पदार्थ जुटाने में उन्हें काफ़ी परेशानी होती हैं। इस कारण सिक्योरिटी गार्ड को ओवरटाइम करना पड़ता हैं। परन्तु संचालक व मैनेजर द्वारा ड्यूटी लगवाने के लिए उन्हें रिश्वत देना पड़ता हैं। महीनें भर काम करने के बावज़ूद सिक्योरिटी गार्ड्स केवल 1000-1500 रुपय ही बचा पाते हैं।इतनी बचत होने के बावज़ूद भी घरेलु सामग्रीयों में ही उनका पैसा निकल जाता हैं।
झारखण्ड राज्य के हजारीबाग जिला के इचाक प्रखंड से टेकनारायण प्रसाद कुशवाहा और इनके साथ विशेश्वर प्रसाद कुशवाहा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है की वे कृषि कार्य करते हैं लेकिन पानी की कमी के कारण खेती अच्छे से नहीं कर पा रहे हैं। गांव में दूर दूर तक पानी की कोई सुविधा नहीं है। सरकार द्वारा किसानो के लिए झरना को बांधने पर सौ दो सौ चार सौ जो भी किसान हैं वो अपना प्रबंधित कर ले तो उनकी ये दुविधा दूर हो सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि वो पानी की सुविधा ना होने की वजह से खेती नहीं कर पा रहे हैं।और बारिश के इन्तजार में किसानो का बुरा हाल हो चूका है।