झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग प्रखंड के बिष्णुगढ़ से राजेश्वर महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि बिष्णुगढ़ के कई अभियर्थियाँ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफ़ल हुए। आवासीय,जाति व शैक्षणिक प्रमाण पत्र जाँच हेतु उन्हें सारे प्रमाण पत्र 13 सितंबर तक जमा करने का निर्देश दिया गया हैं ।जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अभियार्थी ने ऑनलाइन आवेदन करने के बाद चार दिनों तक अंचल कार्यालय के दरवाज़े पर दस्तक दिए। परन्तु उनके आवेदन हलका कर्मचारी अपने ही लॉगइन पर चार दिन तक रखें हुए थे। अभियर्थियाँ कभी कम्प्यूटर ऑपरेटर तो कभी अंचल कर्मी तो कभी उच्च अधिकारियों से मिलते परन्तु वो ज़ल्दी बनवाने का आश्वाशन दे कर वापस भेज देते थे। अभियार्थी अपनी समस्या का हल निकलवाने हेतु कई अन्य संवाददाता से मिले परन्तु किसी ने उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दिया।इससे परेशान हो कर अभियर्थियाँ मोबाइल वाणी का सहारा लिए और संवाददाता से मिले फिर उन्हें अपनी समस्याओं के बारे में बताया। उनकी समस्या को 8 सितंबर 2018 को रात्रि 11 बजे मोबाइल वाणी में प्रसारित किया गया। इसके प्रसारण को अंचल कर्मियों को सुनाया गया। दूसरे दिन बी.डी.ओ ,सी.ओ,प्रखंड कर्मियों,मुख्या एवं अन्य ज़िला के वरीय पदाधिकारियों ,जान प्रतिनिधि सहित विभिन्न राजनितिक दलों के सदस्यों को प्रसारण सुनाया गया। इसे सुनने के उपरांत 10 सितंबर को अभियार्थियों आवेदन अनुमंडल पदाधिकारी के लॉगइन में चला गया तथा संध्या तक अभियर्थियों का जाति प्रमाण पत्र बन गया।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग ज़िला से विष्णुगढ़ प्रखंड से राजेश्वर महतो झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं, कि हाथों की कला को मिट्टियों में दीया,घड़ा,कलश,ढकनी के रूप में उतारने वाले कुम्हारों की स्थिति दयनीय हैं।झारखण्ड में खपरा,दीपक,घड़ा,ढकनी,गिलास मटका सहित अन्य जरुरत की वस्तुओं को बनाने वाले कुम्हारों की बेरोजग़ारी काफ़ी चिंताजनक बनी हुई हैं।कुम्हार अपने चक्का,डंडा तथा धागा से अंधा चूका बनाते समय लोगों में मुस्कुराहट लाता हैं परन्तु उसके चेहरे की खुशी छिन गई हैं,मुस्कुराहट के जग़ह झुर्रियाँ दिखाई पड़ती हैं।कुम्हारों से हुई बातचीत से राजेश्वर जी को पता चला कि उन लोगों को पहले की तरह काम नहीं मिल पाता हैं। पहले जहा खपरा का घर होता था उस वक़्त खपरे को उपयोग में लाने हेतु कुम्हारों की माँग ज़्यादा थी परन्तु अभी लोग ईंट सीमेंट का इस्तेमाल कर छत बनवाते हैं जिस कारण रोज़गार में कमी आई हैं। गर्मी के मौसम में ठन्डे पानी का सेवन के लिए घड़े को उपयोग में लाया जाता हैं वही जाड़े के मौसम में बोरसी की जरुरत पड़ती हैं। उसी तरह दीपावली में मूर्तियाँ एवं दीये की जरुरत पड़ती हैं,शादी एवं श्राद्ध में भी मिट्टी से बनी वस्तुओं की जरुरत पड़ती हैं।ऐसे ही मौसम में और कार्यक्रम के दौरान मिट्टी के उत्पादों की ज़्यादा माँग रहती हैं।बाकि शेष समय में कुम्हारों के काम ठप रहते हैं।इससे उनके जीविका में काफ़ी असर पड़ता हैं एवं परिवार के पालन-पोषण में कई परेशानियों का सामना पड़ता हैं।कुम्हारों द्वारा बनाए गए वस्तुएँ संतुलित वातावरण बनाए रखने में एहम भूमिका अदा करती हैं वही वर्तमान में कृत्रिम उत्पादों की बढ़ती माँग,चमचमाती साज सज्जा के सामान से वातावरण को नुकसान तो पहुँच ही रहा हैं साथ ही इसकी माँग के कारण कुम्हारों की आमदनी घटती जा रही हैं।इस कारण कुम्हारें रोज़गार के आभाव में महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं।सरकार द्वारा अच्छे दिन दिखाने वाली सपने झूठे साबित हो रही हैं।सरकार उनकी मदद के लिए कोई योजनाएँ लागू नहीं करती हैं।प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में कुम्हारों को भी शामिल करनी चाहिए ताकि जानकारी धरातल पर उतरे और लोगों तक पहुँच पाए।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग ज़िला के विष्णुगढ़ प्रखंड से राजेश्वर महतो झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि गजराज की लगातार घटती संख्या ,राष्ट्रीय वन्य उद्यान अभयारण के कर्मियों के बीच एक चिंता का विषय बन गया हैं। देश के विकास के नाम पर हो रही आधुनिकरण जैसे चौड़ी सड़कों का निर्माण,राजमार्गो का निर्माण,रेल परिवहन का निर्माण ,बड़ी बड़ी बाँधो का निर्माण ,ऊँची-ऊँची इमारतों के निर्माण आदि के वज़ह से वनों की धड़ाधड़ कटाई चालू हैं। इससे न केवल हथियाँ बल्कि अन्य वन्य जीव के लिए भी समस्या खड़ी हो गई हैं। देखा जाए तो इसके कारण प्रदेश में हाथियों की संख्या में काफ़ी गिरावट आई हैं। वर्त्तमान में प्रदेश के जंगलों में हाथियों की संख्या छह सौ अठ्ठासी से घट कर पांच सौ पचपन हो गई हैं।राजेश्वर जी यह भी बता रहे हैं कि उनके क्षेत्र में उत्पात मचाने वाले हाथियों को सुरक्षित खदेड़ने हेतु वन्य अधिकारी अपने अनुसार प्रयास करते हैं। एवं हाथियों द्वारा बर्बाद फ़सलों के लिए किसानों को अंचल अधिकारीयों द्वारा भौतिक सत्यापन के बाद उचित मुआवजा दिया जाता हैं। परन्तु इन सब से अलग़ हाथियों को सुरक्षित रखने एवं उनकी देखरेख के लिए अधिकारीयों के साथ साथ कर्मियों को भी ईमानदारी से कार्य करना होगा। अवैध रूप से होने वाली पेड़ों की कटाई और शिकार पर बंधिश लगाने हेतु विचार विमर्श के बाद उचित उपाय निकालने की आवश्यकता हैं। जंगलों में होने वाली आकस्मिक आग जैसी समस्या के निपटारे हेतु समाधान निकालने की जरुरत ज़्यादा हैं। साथ ही जन-शिक्षा जागरूकता कार्यक्रम भी करानी चाहिए ताकि लोग वन्य जीवों को सुरक्षित रखने में अपना-अपना योगदान दे। वन्य-जीव वनों की शोभा बढ़ाते हैं।

झारखंड राज्य के हजारीबाग जिला के बिष्णुगढ प्रखंड से राजेश्वर महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि आज भी कई दिव्यांग व्यक्ति अपना योगदान देकर देश की प्रगति में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।पर शारीरिक विकास में थोड़ी अपूर्णता रहने के कारण समाज के लोग उन्हें थोड़ी हीन दृष्टि से देखते हैं। लेकिन आज वर्तमान स्थिति देखा जाए तो अनपढ़े दिव्यांग लोगों को प्रमाण पत्र बनाने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सरकार के नियमानुसार 40% से कम रहने वाले दिव्यांग सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं। बिष्णुगढ के तीन दिव्यांग व्यक्तियों से वार्तालाप करने पर उनमे से एक महादेव तुरी ने बताया कि वे शारीरिक श्रम नहीं कर पाते हैं वहीँ चंद्रशेखर महतो कंप्यूटर ऑपरेटर है और हेमलाल साहू स्कूल में पारा शिक्षक हैं। उन सभी को दिव्यांग पेंशन का लाभ आसानी से मिलता है। साथ ही सरकार द्वारा चलाए जा रहे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी आसानी से मिल रहा है।जिन दिव्यांग लोगों को योजना की जानकारी होती है वे उसका भरपूर लाभ उठा रहे हैं और जिनके पास जानकारी नहीं है उन तक गांव की सेविकाओं के द्वारा सर्वे कर कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में मदद किया जा रहा है। सरकार द्वारा मनरेगा योजनाओं में दिव्यांगों को भी काम दिए जाने तथा हल्की कामो में योगदान देने का प्रावधान रखा गया है।वर्तमान स्थिति में सभी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। बैंक,रेलवे स्टेशन एवम सरकारी दफ्तरों में दिव्यांगों को भी तरजि दिया जाता है।पर भी दिव्यांगों में असहजता महसूस जरूर करते हैं

झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के बिष्णुगढ प्रखंड से राजेश्वर महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि देश को आजादी मिले 72 वर्ष बीत गए हैं। लेकिन हमारे देश आज भी कई विषन परिस्थितियों से गुजर रहा है। कई ऐसी जगहों में आज भी लोग बिजली,पानी,सड़क,स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा सहित कई अहम जरुरत की चीजों से वंचित हैं। हाँ यह सत्य है कि प्रधान मंत्री सड़क योजना के तहत कुछ नगरों में सड़क देखने को मिल रहा है। पर फिर भी सबसे बड़ी समस्या देश के लिए भ्रष्टाचार है। जहाँ बीना उपहार दिए सरकारी दफ्तरों में दो-दो तीन वर्षों तक टेबल में फाइलें पड़ी रह जाती है। तीन दशक पूर्व सरकारी कर्मी सुदुरवर्ती गांवों में रह कर अपनी देवा दिया करते थें। लेकिन आज ऐसा कुछ नहीं होता है आज करोड़ों रूपये का अस्पताल बन कर तैयार है। लेकिन स्वास्थ्य कर्मी शहर में रह कर अपनी इच्छा अनुसार ही गांवों में लोगों का ईलाज करने जाते हैं

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के बिष्णुगढ़ प्रखंड से राजेश्वर महतो झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है, कि बिष्णुगढ प्रखंड के नागी उचाधाना, बन्दखारो सहित गिरिडीह जिला के बगोदर क्षेत्र से बिचौलियों के माध्यम से विदेश ले जाने तथा काम दिलाने एवम अधिक तनख्वा देने का सपना दिखा कर कई मजदूरों से मेडिकल इंटरव्यू के नाम पर पचास हजार रूपए प्रति मजदुर से लिया गया था। मजदुर पैसे कर्ज लेकर बिचौलियों को दिए थे। परन्तु एक वर्ष बीत जाने के बाद भी विदेश नहीं गए मजदूरों में रोष व्याप्त हो गई थी। इस ख़बर को झारखण्ड मोबाइल वाणी में प्रसारित होने के बाद मुखिया,जनप्रतिनिधि,वरिय प्रशासनिक पदाधिकारी को सन्देश फॉरवर्ड कर सुनाया गया। खबर प्रसारण के एक सप्ताह बाद पंचायत बुलाया गया और पैसा वापस करने की बात कही गई। साथ ही पैसा नहीं देने पर क़ानूनी करवाई करने की भी बात कही गई। एक माह के बाद ही क़िस्त में 15 से 20 मजदूरों का पैसा वापस कर दिया गया। झारखंड मोबाइल वाणी ही एक ऐसा मंच और सेवा है जिसमे आम नागरिक अपनी बात सरकार के मंच तक पंहुचा सकते हैं। यदि किसी श्रोता के साथ ऐसी कोई समस्या होती है, तो वे तुरंत अपने जिले के श्रम अधीक्षक को तुरंत सुचना दें। ताकि भविष्य में ऐसी घटना उत्पन्न ना हो।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के बिष्णुगढ़ प्रखंड से राजेश्वर महतो झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि सड़क किसी भी देश के लिए प्रगति की तरफ़ पहला कदम हैं।परिवहन की सुविधा जिस देश में बढ़ेगी वह और भी ज़्यादा विकसित होगा।विकास की दृष्टि में सड़क महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।आज के दिन प्रधानदमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत हमारे देश में सड़कों का निर्माण कई क्षेत्रों में हो गया हैं।जो गांव को शहर से जोड़ने में मददगार साबित हो रही हैं।परिवहन की सुविधा ग्रामीणों में आर्थिक सुधार लाने में लाभदायक हैं।परन्तु प्रशासन की लापरवाही से हानि भी हो रही हैं।जिस तरह तेज़ी से सड़क निर्माण हो रहा गुणवत्ता की कमी के कारण उतनी ही तेज़ी से सड़क की स्थिति बिगड़ती ही जा रही हैं। आने जाने में दिक्कतें तो आ रही साथ ही सड़क की बदहाल स्थिति तमाम दुर्घटनाओं को अंज़ाम भी दे रही हैं।सड़क की ऐसी स्थिति के लिए जितनी प्रशासन ज़िम्मेदार हैं उतनी ही आम जनता भी। उनकी लापरवाही भी दुर्घटनाओं को बुलावा देती हैं। अगर प्रशासन और जनता की सोच एक हो जाए तो देश को सुरक्षित रूप से विकसित होने से कोई नहीं रोक सकता।

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झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के बिष्णुगढ़ प्रखंड से राजेश्वर महतो ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से व्रजपात के सम्बन्ध में बताया। व्रजपात एक प्राकृतिक आपदा है। इसकी चपेट में आने से न केवल इंसानो को बल्कि पेड़ पौधों व जानवरों-पक्षियों को भी क्षति पहुंचती है। कभी-कभी इसकी चपेट में आने से कई लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। व्रजपात की घटनाएं ज्यादातर घनी आबादी वाली जगहों पर होती हैं।इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा बड़े बड़े भवनों में बिजली विरोधी यंत्र तो लगाए गए हैं, परन्तु सही देखरेख नहीं होने से यंत्रों की चोरी हो जाती है ।वे कहते है कि व्रजपात से बचने के लिए पानी वाले इलाकों से दूर रहना चाहिए एवं बारिश से बचने के लिए भूल कर भी पेड़ों के नीचे शरण नहीं लेनी चाहिए। गर्जन के दौरान विद्युत से चलने वाले उपकरणों को बंद कर देनी चाहिए।साथ ही इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कुछ लोग प्राथमिक उपचार के लिए पीड़ित को गोबर की ढ़ेर में डालते हैं,परन्तु ये भी कारगर साबित नहीं होता है।अत: अगर कोई व्यक्ति बज्रपात की चपेट में आ जाता है ,तो पीड़ित को जितना जल्दी हो सके अस्पताल लेकर जाना चाहिए।

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