बिहार राज्य के जिला मुंगेर के हवेली खरगपुर के बहिरा पंचायत के भदौरा गांव से सुशील ठाकुर ने बताया कि पहले उसके पास आमदनी का स्रोत था लेकिन करोना काल में रोजगार बंद हो गया आमदनी का स्रोत खत्म हो गया धीरे धीरे बच्चे को ट्यूशन पढ़ाना बंद करवा दिया तबीयत भी खराब हो गया जिसके कारण से अपने बच्चे को पढ़ाने में असमर्थ हैं

बिहार राज्य के मुंगेर जिला के चंडिका स्थान से संवाददाता विपिन कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कोरोना में हुई समस्या को लेकर चाट दुकानदार आर्यन राज से विशेष बातचीत कि । जिसमे आर्यन राज ने बताया कि लॉकडाउन से पहले उनकी दुकानदारी बहुत ही अच्छी चल रही है। लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही गंभीर हो गई। उन्होंने बताया कि चोरी चुपके दुकानदारी करने पर पुलिस ने पकड़ा और सात हजार का जुर्माना लगाया।  

मुंगेर से विपिन कुमार की रिपोर्ट

बिहार राज्य के वार्ड संख्या 5 चंडिका स्थान जिला मुंगेर से संवाददाता विपिन कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से रंजू देवी से लिया गया साक्षात्कार। रंजू देवी ने बताया कि उन्हें विधवा पेंशन 1998 से 2016 तक मिला उसके बाद फिर 2017 में पेंशन मिलना बंद हो गया। उन्होंने यह भी बताया कि 2021 को पेंशन फिर से चालू हुआ उसके बाद फिर चार महीने के बाद बंद हो गया। वह यह कहती हैं कि उन्होंने ब्लॉक में जाकर दस्तावेज को भरा। जिसके बाद पेंशन चालू हुआ फिर कुछ दिन बाद बंद हो गया।

साथियों, क्या आपने इस कोरोना काल के दौरान आपने शिक्षकों को तलाशने की कोशिश की? क्या आपने उनसे उनका हाल जाना? क्या आपके आसपास ऐसे लोग हैं जो पहले शिक्षक थे लेकिन कोविड काल में नौकरी जाने के बाद अब कोई दूसरा काम कर रहे हैं? क्या आपको नहीं लगता कि सरकार को शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधारने पर ध्यान देने की जरूरत है? स्कूल बंद होने और शिक्षकों के ना रहने से आपके बच्चों की पढ़ाई पर कितना असर पड़ा है? अगर आप शिक्षक हैं, तो हमें बताएं कि कोविड काल के दौरान आपको किस तरह की परेशानियां आईं और क्या अब आपके हालात पहले जैसे हैं? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

महंगाई पर चर्चा करने के लिए उपेंद्र पासवान बंगलवा बांसी से सीधी बातचीत

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बिहार राज्य के मुंगेर जिले से नीतू सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से यह कहती हैं कि वह मजदूरी का काम करती हैं। उन्होंने बताया कि राशन कार्ड के लिए उन्होंने फॉर्म को भरा था। लेकिन अधिकारीयों द्वारा जनगणना करने की बात को कहकर राशन कार्ड नहीं बनाया है। 

दोस्तों, लॉकडाउन के अकेलेपन को हम सबने झेला है पर खतरा अभी टला नहीं है और हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वैज्ञानिक कोरोना की तीसरी लहर आने का अंदेशा जता चुके हैं. ऐसे में क्या इस तरह की लापरवाही ठीक है? हमें बताएं कि आखिर क्यों सार्वजनिक स्थलों पर इतनी ज्यादा आवाजाही हो रही है? क्या स्थानीय प्रबंधन इसे रोकने के लिए कोई प्रयास कर रहा है? क्या केवल चालान काटने और जुर्माना लगा देने भर से कोरोना के प्रति बरती जा रही लापरवाही को रोका जा सकता है या फिर इसके लिए आम लोगों का जागरूक होना ज्यादा जरूरी है? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

नमस्कार दोस्तों, पहले कोरोना आया और फिर साथ में लेकर आया लॉकडाउन, जिसने देश में हर गतिविधि को रोक दिया. जिनके घर राशन से भरे थे वे इस वक्त को गुजारते चले गए और जो हर दिन की कमाई पर निर्भर थे वे सरकारी राशन, आम लोगों की दया के भरोसे वक्त गुजारते रहे. अब अनलॉक हो चुका है, प्रवासी मजदूरों को यकीन था कि वे फिर से शहर लौटेंगे और सब ठीक हो जाएगा... पर क्या वाकई ऐसा हुआ है?दोस्तों, हम आपसे जानना चाहते हैं कि क्या आप भी इस संकट का सामना कर रहे हैं? क्या आपको भी रोजगार की तलाश करने में परेशानी हो रही है? कंपनी मालिक क्या कह कर काम देने से ​इंकार कर रहे हैं? क्या कारखानों में काम देने के पहले वैक्सीन लगवाना अनिवार्य कर दिया गया है? अगर आप अब तक को​रोना की वैक्सीन नहीं ले पाएं हैं तो इसका क्या कारण है? क्या वापिस गांव लौटने पर आपको काम मिलने की उम्मीद है? अगर आपको पहले की तरह रोजगार नहीं मिल रहा है, तो परिवार का भरण पोषण कैसे कर रहे हैं? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.