बिहार राज्य के मुंगेर जिला से गौरी लाल मंडल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि पी एच डी विभाग पानी की व्यवस्था करवाने में ध्यान दें। लोगों को पानी की सुविधा नहीं मिल पा रही है

बिहार राज्य के मुंगेर जिला से विजय मोबाइल वाणी के द्वारा जानकारी दे रहे हैं कई दिनों से नल जल बंद रहने से ग्रामीणों के बीच पानी के लिए त्राहिमाम की का परिस्थिति बन गया है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

मैं गोरियालाल मंडल मुंगेर मोबाइल वाणी से , सामाजिक कार्यकर्ता साजीपी के मणि, तुलसीपुर का शियावंदर जीवमुंगे हूं। मैं मोबाइल वाणी से कहना चाहता हूँ कई जिला मजिस्ट्रेट मुंगे नवीन कुमार बाबू ने उन्हें एक आवेदन दिया था। इसके बाद उन्होंने शोध समिति को मेरा आवेदन दिया कि डी. पी. को क्या देना है, इसके लिए पी. एच. जी. विभाग को क्या देना है। कुशील जी ने अभिरंजन कुमार जी को अभिरंजन कुमार जी से यह सामग्री दी कि हमने आपको कई बार प्रधानमंत्री साहब को आवेदन किया था। नहीं, सामग्री आने के बाद, आपको यहाँ से बाहर फेंक दिया जाएगा। इसी क्रम में मैंने जेरी साहब को भी कई बार फोन किया। अभिनंदन पार्टी, जो मुंगेर के लालगर बाजा में पी. आई. जी. के आवास स्कूटी में इंजीनियर है। जिला मजिस्ट्रेट ने भी मुलाकात की, बदले हुए आवेदन भी दिए गए, लेकिन अभिरंजन कुमार जी कुछ बहाने बनाते रहे कि अगर कोई सामग्री नहीं है तो यह नहीं है, तो इस विभाग ने निर्देश दिए हैं। आज इतने साल बाद भी उन्होंने पी. ए. जी. का काम नहीं किया। आज उनके पेपर में ऐसा नहीं दिखता कि जी. ए. की जल आपूर्ति में कोई कमी नहीं है, जो दो साल में पूरी हो जाएगी।

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कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

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एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

जिला के मानसी बजार में किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार किसानों के साथ सटेला वेवहवार कर रही है किसानों को उचित मोब्जा भी नहीं मिल रही है किसानों पर आये दिन प्रहार किया जाता है जिसके विरोद्ध में आज सोमवार को केंद्र व बिहार सरकार के विरुद्ध किसान ने किया विरोध प्रदर्सन.

तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।

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